हम तो मुहब्बत करेगा
हम तो मुहब्बत करेगा
दिलदार सिंह के तबेले से आजाद होते हुए साढ़े चार फुट ऊँचे और १२५ किलो वजन के अर्धगंज झम्मन लाल के कानो में दिलदार सिंह की आवाज गूंज उठी-
"कोयले का दलाल घमंडी लाल? अरे वो तो बहुत ही नंबरी आदमी है, उसकी कोई बेटी भी है? उसका एक लड़का बैंक फ्रॉड में तीन साल की जेल काट रहा है दूसरा पोस्ट ऑफिस में दलाली करता है..........घमंडी लाल से मत उलझ, अगर उसके हत्थे चढ़ गया तो तेरी खाल उतरवा कर अपनी जूतियां बनवा लेगा।"लेकिन ये तो तकदीर का तमाशा ही था कि उसी घमंडी लाल की बेटी शीला से झम्मन लाल को ऑनलाइन इश्क हो गया था।
एक हफ्ते बाद झम्मन लाल गुलफाम नगर शहर से दूर सुनसान बगीचे में शीला के साथ बैठा था जो आँख में आँसू भरकर बोली, “झम्मन तेरे डील-डोल को देख कर मेरे पापा कभी मेरी शादी तुमसे नहीं करेंगे।"
"शादी की क्या जरूरत ऐसे ही भाग चलते है।" झम्मन लाल तपाक से बोला।
"और खिलायेगा क्या मुझे, तेरे पास तो कोई काम-काज या हुनर है ही नहीं?" शीला ने गुस्से से कहा।
"तो क्या करें?" झम्मन लाल शीला का एक हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोला।
"चोरी कर.........."
"क्या बकवास कर रही है, बड़ी मुश्किल से दिलदार सिंह के तबेले से निकला हूँ………"
"फालतू मत बोल पूरी बात तो सुन ले।" शीला गुस्से से बोली।
"सुना………"
"देख हमें भाग कर छह महीने गायब होना है, उसके बाद पापा हमें बुला कर हमारी शादी कर देंगे उसके बाद मजे करना घर जमाई बन कर। इन छह महीनों के लिए पैसा चाहिए हमें जो तुझे मेरे पापा की दुकान से चोरी करना होगा, वहाँ हर समय लाखों रुपये रहते है तिजौरी में।" शीला समझाते हुए बोली।
"तुम क्यों नहीं कर लेती चोरी? मुझे कौन करने देगा चोरी तुम्हारे पापा की दुकान से?" झम्मन लाल गुस्से से बोला।
"गुस्सा मत हो झम्मू, मेरा तो दुकान में जाना मना है लेकिन तू आराम से दुकान में जा भी सकता है और चोरी भी कर सकता है।"
"वो कैसे?"
"देख तेरी डील-डोल का एक आदमी छुन्नू हमारी दुकान का कोयला गधे पर लादकर एक ईंट के भट्टे पर पहुँचाता है, इस काम को वो मुद्दत से कर रहा है, मेरे पापा उसपर बहुत भरोसा करने लगे हैं और कभी-कभी पूरी दुकान उसके हवाले कर घर पर खाना खाने चले आते हैं। बस तू एक दिन के लिए वो गधे वाला बनकर दुकान की तिजोरी साफ़ कर दे फिर हम दोनों की लाइफ सैट हो जाएगी।" शीला उसे समझाते हुए बोली।
"बहुत मुश्किल है अगर तुम्हारे पापा ने पहचान लिया………?"
"नहीं पहचान सकेंगे, छुन्नू का मुँह, कपडे सब कोयले से काले हुए रहते है, बस एक दो दिन उसको देखकर उसका रंग-ढंग सीख ले उसके बाद तू छुन्नू बनकर चोरी कर लेना।"
"अगर असली छुन्नू आ गया तो?"
"नहीं आएगा ये इंतजाम मै करवा दूंगी।"
"तिजौरी की चाबी?"
"अरे वो कोई हाई-फाई तिजौरी तो है नहीं सिम्पल सी है, हो जायेगा मास्टर चाबी का इंतजाम तू चिंता न कर।"
"प्यार का मारा झम्मन तीन दिन तक छुन्नु के रंग-ढंग देख कर अपने कपडे और मुँह कोयले से काला कर गधे पर बैठ कर शीला के पिता घमंडी लाल की दुकान पर पँहुचा। उसे देखते ही घमंडी लाल खुश होते हुए बोला, "सही टाइम पे आया छुन्नु तू, देख कोयले का ट्रक आया हुआ है और दुकान की लेबर गायब है, ऐसा कर तू ट्रक के क्लीनर के साथ मिलकर कोयला गोदाम में पहुँचा दे, बस एक दो घंटे का काम है, तुझे पूरे दिन की दिहाड़ी दूँगा।"
और दस मिनट बाद ट्रक का क्लीनर कोयले के टोकरे भर-भर कर झम्मन लाल के सिर पर रख रहा था और झम्मन लाल अपनी तकदीर को कोसते हुए कोयला गोदाम तक पंहुचा रहा था।
दो घंटे बाद जब ट्रक खाली हुआ तो झम्मन लाल की जान में जान आई और वो दुकान में पहुँचा।
"सुन बेटे देख मैं खाना खाने जा रहा हूँ तू दुकान का ध्यान रखना, तेरी दिहाड़ी आकर दूंगा, तेरे लिए भी चाय समोसा भिजवा दूंगा।" कहकर घमंडी लाल दुकान से चला गया।
बुरी तरह थका झम्मन लाल अब देर करने के मूड में नहीं था। वो तत्काल दुकान की तिजौरी के सामने पहुँचा और शीला की दी चाबियाँ तिजोरी में लगाने लगा। पाँच चाबी लगाने के बाद छठी चाबी से तिजोरी का ताला खुल गया, तिजोरी में कानी कोड़ी भी न थी लेकिन एक पोटली जरूर थी। पोटली में बहुत सारे जेवर थे, झम्मन लाल ने वो पोटली अपनी जेब के हवाले की और तेजी से दुकान के बाहर चला आया।
सड़क पर शीला एक मोटर साइकिल वाले लड़के के साथ मिली, उसे देखते ही शीला तेजी से उसके पास आई और बोली, "हो गया काम?"
"हाँ, लेकिन ये कौन है?"
"भाड़े का आदमी है इसने ही तो छुन्नु को दारू पिला कर अब तक रोक रखा था, ला अब माल निकाल।"
"निकाल क्या मतलब, अरे दोनों ही साथ चल रहे है न?"
"अरे मुर्ख अपना हुलिया सुधार के टैक्सी स्टैंड आ जाना, इस हालत में पकड़ा गया तो तू सीधा जेल जायेगा।" शीला जेवरों की पोटली उससे छीनते हुए गुस्से से बोली।
"नहीं दूँगा………" कहते हुए झम्मन लाल ने पोटली जोर से खींची और झोंक में मोटर साइकिल पर आ रहे एक पुलिस वाले से जा टकराया। टक्कर इतने जोर से हुई की वो पुलिस वाला नीचे गिर गया और गुस्से से आग बबूला होकर झम्मन लाल पर टूट पड़ा और घसीटते हुए थाने की और ले चला। झम्मन को पकड़ा जाते देख शीला और वो लड़का मोटर साइकिल पर बैठ कर भाग गए।
अगले दिन सदर थाने में दारोगा लक्कड़ सिंह के सामने घमंडी लाल एक सुनार को लिए बैठा था थोड़ी दूर इंश्योरेंस कम्पनी के दो लोग बैठे हुए थे। वो बुरी तरह कलप रहा था, "हुजूर मेरी दुकान से ५० लाख कैश और ५० लाख के जेवर चोरी हुए है और आप रपट लिखने को तैयार नहीं है। मै आपसे कुछ मांग थोड़े ही रहा हूँ आप तो बस रपट दर्ज कर लो हर्जाना तो इंश्योरेंस कम्पनी भरेगी।"
"तो सेठ तुमने ही पचास लाख के जेवर घमंडी लाल की दुकान पर पहुंचाए थे?" लक्कड़ सिंह ने सुनार से पूछा।
"जी हुजूर ये रहा बिल।" सुनार एक बिल लक्कड़ सिंह के सामने रखते हुए बोला।
"ठीक है, लाखन घमंडी लाल की रिपोर्ट दर्ज कर लो।" लक्कड़ सिंह ने थाने के दीवान की और इशारा करते हुए कहा।
रिपोर्ट दर्ज होते ही घमंडी लाल ने हाथ जोड़कर लक्कड़ सिंह को धन्यवाद दिया और फिर इंश्योरेंस कम्पनी वालो को देखते हुए बोला, "हुजूर अब थोड़ा करम आप भी कर दो।"
"इतनी जल्दी नहीं सेठ अभी तो पुलिस आपकी सेवा-पानी करेगी फिर फर्जी इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए झूठी दर्ज कराने के जुर्म में तुम दोनों जेल जाओगे।" लक्कड़ सिंह हंस कर बोला।
"ये क्या बात कर रहे सर?" घमंडी लाल कलप कर बोला।
"जो सच है वही बोल रहा हूँ, चोरी का बरामद माल नकली जेवर है, जिसकी जाँच मैं करा चुका, शीला नाम की वो आपकी फर्जी लड़की कल रेलवे स्टेशन पर पकड़ी गई जिसके पास आपका दिया पचास हजार रुपया बरामद हुआ है, लड़की का नाम झुमकी है वो तुम्हारे खिलाफ गवाही देने को तैयार है।" लक्कड़ सिंह ने मुस्करा कर कहा।
तभी दो पुलिस वाले घमंडी लाल और सुनार को घसीटते हुए हवालात की तरफ ले गए।
"उस चोर का क्या होगा?" इंश्योरेंस कम्पनी वाला एक आदमी बोला।
"जुर्म तो किया है उसने, लेकिन अगर वो झुमकी को जेवर दे देता तो घमंडी लाल का पर्दाफाश होना मुश्किल था, वो इस षड़यंत्र का शिकार हुआ है। अब जज के ऊपर है कितना लम्बा नपता है वो।" लक्कड़ सिंह कहते हुए उठ खड़ा हुआ।
एक साल बाद
पहले की ही तरह मोटा झम्मन लाल बड़ी मुश्किल से जेल के दरवाजा से निकला तो उसके पुराने साथी धीरा और बीरा आँखों में चमक आ गई। जैसे ही वो पास आया तो धीरा उसकी तोंद पर मुक्का मारते हुए बोला, "काट ली छह महीने की जेल, उतर गया आशिकी का भूत?"
"बकवास कम करो, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" झम्मन लाल चिढ़ कर बोला।
"बेटे जिस जूली ने तेरी खोपड़ी पर सैंडिल बजाई थी, उसकी फिल्म, 'चंपा के चक्कर में,' का प्रीमियर है, तीन वी वी आई पी पास है हमारे पास, चलेगा देखने?" बीरा बोला।
"तुम्हे कहाँ से मिले पास?"
"जूली का मैनेजर आया था पास देने और कह रहा था कि उस मोटे और तुम दोनों का बड़ा हाथ है मैडम को फिल्म में रोल मिलने में इसलिए तुम तीनों के लिए पास भेजे है, मैडम भी भी तुम लोगों से मिलेंगी प्रीमियर में।" धीरा ने समझाया।
"सच, फिर तो हम लोगों को भी कभी उसकी फिल्म में काम करने का मौका मिल सकता है।" झम्मन लाल तेज तर्रार जूली का चेहरा याद करते हुए बोला।
"हाँ फर्जी एक्टर, आओ अब चले मूवी देखने।"
"चलो, तुम लोग क्या कर रहे हो आजकल?"
"छक्कन दादा की घुड़साल में घोड़ों की देखभाल का काम करते है।" बीरा मुस्करा कर बोला।
"अबे जाने दो, मुझे पता है वहाँ क्या काम मिलता है, बेटे तुम घोड़ो और खच्चरों की लीद ढो रहे हो आजकल।"
"तो क्या हुआ काम तो काम है, एक जगह और खाली है तेरे अनुभव के आधार पर एक दम नौकरी मिल जाएगी।" बीरा हंस कर बोला।
"सही बात है बेटा, पहले दिलदार सिंह के तबेले में गोबर ढोया फिर चोरी वाले दिन भी कोयला ढोया और अब जेल में ईंट और गारा ढो कर आ रहा हूँ; अब छक्कन दादा की घुड़साल में लीद भी ढो लेंगे, लेकिन अभी तो जूली जी से मिलने चलते है।" झम्मन लाल खुश होते हुए बोला।
"तो अब जूली पर भी डोरे डालेगा?" बीरा ने हंसकर पूछा।
"अबे वी वी आई पी पास ऐसे ही थोड़े भेजे है……."
"मतलब?"
"मतलब- हम तो मुहब्बत करेगा दुनिया से नहीं डरेगा।" झम्मन लाल ने हंस कर कहा और तीनों 'चंपा के चक्कर में,' का प्रीमियर देखने के लिए चल पड़े।