हियरिंग ऐड
हियरिंग ऐड
वो लड़का ज़ोर ज़ोर से बोले जा रहा था। खुद से ही। कभी गुस्से से, कभी खीज कर। मुहँ दीवार की तरफ था। ऐसा लग रहा था दीवार पर गुस्सा जाहिर कर रहा है। कभी कभी बीच में पलट कर हमारी तरफ भी देख लेता। शर्मिंदा हो कर आवाज़ थोड़ी धीरे करता फिर कुछ सेकण्ड्स में वही तेज़ी। रिसेप्शनिस्ट गुस्से से लड़के की तरफ देखती पर लड़के को जैसे परवाह ही नहीं थी। बेचारा !उसका भी क्या कसूर था !छह फुट का जवान ,खूबसूरत लड़का और इस उम्र में ये बीमारी। शायद पागलपन के दौरे पड़ते थे। मेरा मन दुखी हो गया। लड़के के लिए मन में दया उपज आयी। लेकिन ये खांसी जुकाम के डॉक्टर के पास क्या करने आया है। इसे तो दिमाग के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। मैंने मन ही मन सोचा।
इतने में रिसेप्शनिस्ट ने हाथ से इशारा किया और लड़का चुपचाप भीतर चला गया।
मैंने उदासी भरे स्वर में पति से कहा," देखो जी, इसके माँ बाप की किस्मत ! लंबा ऊंचा खूबसूरत बच्चा, ऊंचा सुनता है शायद। कान में मशीन भी लगा रखी है। दिमाग में भी फ़र्क़ है। पागलो की तरह दीवारों से बाते कर रहा था। "
पति ने घूर कर मुझे देखा और फुसफुसाते हुए बोले," दिमाग मे उसके नहीं, तुम्हारे फ़र्क़ है ! भला चंगा है वो। फ़ोन पर बात कर रहा था। और कान में हियरिंग ऐड नहीं थी। इसे ब्लू टूथ कहते है" समझी श्री मति जी"?
"पता है !पता है मुझे ! डॉक्टर के पास आया है इस लिए मुझे लगा ! मुझे क्या पता नहीं कि ब्लू टूथ क्या होता है?" लगभग खिसियाते हुए नाराज़गी से मैंने कहा।