Vijaykant Verma

Inspirational

3  

Vijaykant Verma

Inspirational

हिफाज़त

हिफाज़त

6 mins
69


"छोड़ दो... छोड़ दो मुझे.. मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है ...? तू तो मेरे को अपना भाई मानता था, फिर आज अपनी बहन की इज़्ज़त से क्यों खेल रहा है..? "अहमद की बाहों से अपने को छुड़ाने की कोशिश करते हुए रीमा चिल्लाई..!

"हा.. हा.. हा.. हा..! लड़की की जवानी किस लिए होती है..? मालूम है तुझे..? सिर्फ इसलिए, कि वो पुरुषों की इच्छाओं को पूरी करें और इसमें कोई पाप नहीं है..! इसलिए चुपचाप मेरा कहा मान और मेरे जिस्म की प्यास बुझा दे..! क्योंकि अगर तूने मेरी बात नहीं मानी और ज्यादा चूं-चा की, तो तेरी जान भी ले लूंगा मैं..!"

"नहीं.." , रीमा की मां अहमद के आगे गिड़गिड़ाते हुए बोली- "मेरी बेटी को छोड़ दो..! उसकी इज़्ज़त से न खेल..! वो मासूम है..! अभी उसने दुनिया देखी ही कहां है..? 16 साल की मेरी बच्ची, जिसे तू अपनी बहन मानता है, तू कैसे उसके साथ इतना घिनौना काम कर सकता है..? इस्लाम में ऐसा कहीं नहीं लिखा है, कि अपनी बहन के साथ कोई इस तरह की हरकत करे..! धर्म के नाम पर इतना बड़ा पाप..? इतना बड़ा गुनाह..? नहीं मेरे बेटे नहीं..! मत कर इतना बड़ा पाप..!"

"अनपढ़ गंवार औरत, तू धर्म के बारे में क्या जानती है..? पढ़ना भी आता है तेरे को..? देख कितनी खूबसूरत और जवान बेटी है तेरी..! लेकिन तू चिंता न कर। पहली बार तो हर लड़की घबराती है, पर बाद में सब ठीक हो जाता है..! और सुन, अगर तेरी बेटी के पेट में बच्चा आ जायेगा, तो मैं इससे निकाह कर लूंगा..! क्यों, अब तो तू खुश है न..? क्योंकि अब तो तुझे अपनी बेटी की शादी के लिए कोई दौड़ भाग भी नहीं करनी होगी, क्योंकि मैं ही अब इसकी सारी जरूरतें पूरी करूँगा।" रीमा को अपने बदन से चिपकाते हुए अहमद ने कहा।

"ये हिंदू लड़की हैं और इसकी शादी मैं किसी हिंदू लड़के से ही करूँगी..!" रीमा की मां ने कठोर शब्दों में कहा।

"तो क्या हुआ..! हम इस हिन्दू लड़की का धर्म परिवर्तन कर इसे भी मुसलमान बना देंगे और फिर इससे निकाह कर लेंगे.!"

"नहीं..! मेरी बेटी 16 की, और तू 35 का..! तू ऐसा नहीं कर सकता..! तूने मेरे बेटे को भी आतंकवादी बना कर उसे मरवा डाला। सिर्फ उसकी जान ही नहीं ली, बल्कि उसे आत्मघाती बम बना कर बहुत से भारतीय सैनिकों की भी तूने जान ली..! और अब मेरी बेटी पर ये ज़ुल्म..? मुझे नहीं पता था, कि तेरी करनी इतनी गंदी होगी..! शायद मेरे बेटे के कारण जो भारतीय सैनिक शहीद हुए, आज उसी पाप का फल मुझे मिल रहा है..! तूने हमें बरगलाया..! भारत के वो फौजी, जिन्होंने तब हमारी मदद की, जब हमारा पूरा परिवार बाढ़ से घिरा हुआ था, उन महान सैनिकों के खिलाफ तूने हमें भड़काया..! हम अनपढ़ लोग क्या जाने, कि कुरान में क्या लिखा है..! सो तूने जैसा बताया, वही हमने माना..! लेकिन आज मेरी आत्मा कहती है, कि तूने जो भी आज तक हमसे कहा, सब गलत था..! तूने कुरान की जो बातें हमें बताई हैं, वो सब गलत है..! कोई धर्म किसी इंसान और इंसानियत का खून बहाने की इजाज़त नहीं दे सकता..! तू झूठा है, मक्कार है, पापी है..! मेरी बेटी को छोड़ दे, नहीं तो मैं तेरी जान ले लूंगी..!"

"हाहाहाहा, अगर तू मेरी जान ले लेगी, तो अल्लाह तुझे कभी नहीं माफ़ करेगा, क्योंकि अब मैं ही तेरी बेटी का शौहर हूं..!" अहमद ने रीमा के मासूम बदन से खेलते हुए कहा।

"पर मेरी बेटी तेरे निकाह को कभी कबूल नहीं करेगी..!"

"हाहाहाहा, तो ठीक है..! तू देखती जा..! अभी तेरी बेटी के साथ मैं क्या करता हूं..! यह कहते हुए उसने उसके सामने ही उसकी बेटी को निर्वस्त्र कर दिया..!

ये देखते ही बेटी की मां ने ज़ोर से आवाज़ लगाई- "अल्लाह मेरी मदद कर..! क्या तेरे कुरान में यही लिखा है, कि किसी हिन्दू की बेटी से ज़बरदस्ती करना..! उसके जिस्म से खेलना, और उसे मुसलमान बना कर ज़बरदस्ती उससे निकाह करना..? या अल्लाह, मेरी बेटी की मदद कर..! और बता दे इस जलिम को, कि ये बन्दा तेरे नाम को भी कलंकित करने वाला है, क्योंकि तू इतना निर्मम और कठोर कभी नहीं हो सकता..!"

"मेरी बेटी की मदद कर..", कश्मीर की वादियों में पहाड़ों से टकराती हुई ये आवाज़ जब एक भारतीय सैनिक के कानों में पड़ी, तो बिजली की फुर्ती से वो वहां पहुंच गया और पलक झपकते ही उस आतंकवादी के सीने को गोलियों से भून डाला..!

तब उस मां ने उस सैनिक बेटे से कहा-"बेटा आज तूने हम मां बेटी की जान बचाई..! आज से हम दोनों तेरे गुलाम है..! हम तेरी हर बात मानेंगे और अपने हर गुनाह की तुझसे माफी मांगते हैं..!"

जवाब में उस सैनिक ने कहा-"नहीं मां, आपने कोई गुनाह नहीं किया..! गुनाह तो इसने किया है, जिसकी सजा भी इसे मिल गई..! और गुलाम तो आप पहले थी मां, किंतु अब आप आज़ाद हैं। अभी तक सिर्फ कश्मीर ही आपका था, पर आज पूरा हिंदुस्तान आपका है..!"

"पर तुझे ये नहीं मालूम है बेटा, कि मेरा भी एक बेटा था, तेरे जैसा ही, पर इस जालिम ने उसे आतंकवादी बना दिया और एक दिन आत्मघाती बम बन कर कई सैनिकों की उसने जान ले ली, और खुद अपनी भी जान दे दी..! उफ..! कितना बड़ा पाप हो गया उससे..! और कितना बड़ा पाप मुझसे हो गया, जो मैं इन ज़ालिमों पर भरोसा कर अपने हिंदुस्तानियों भाइयों को ही अपना दुश्मन मान बैठी..!"

तब उस सैनिक ने कहा-"मां, आपके उस आतंकवादी बेटे ने जो भी गुनाह किया, अगर आप यहां के हर घर परिवार में उन्हें इन आतंकवादियों की सच्चाई से अवगत करा कर उन्हे पकड़ने में हमारी मदद करें, और वो सीधे सादे कश्मीरी भाई बहन, जिन्होंने इनके बहकावे में आकर आतंकवाद की राह अपना लिया है, उनका समर्पण करा दें, तो आपके सारे गुनाह माफ़ हो जाएंगे, और आपके बेटे के भी..! क्योंकि किसी निरपराध की जान लेने की सबसे बड़ी सजा है किसी की जान बचाना.! और ये एक ऐसी सजा है जिससे उसके सारे गुनाह अवश्य माफ़ हो जाते हैं..!"

"तुमने सही कहा बेटा..! मुझे सौगंध है अपनी और अपनी इस हिन्दू बेटी की, कि हम जितने लोगों को भी जानते हैं, और जो इन जालिमों के बहकावे में आकर आतंकवादी बने हैं, उन सभी को हम सही रास्ते पर लाने का वचन देते हैं..!"

"अपनी इस हिन्दू बेटी की, इसका क्या मतलब हुआ ..?"

"बेटा, हम मुस्लिम हैं, पर कई साल पहले हमारे पड़ोस में एक हिन्दू परिवार रहता था, जिन्हें आतंकियों ने मार डाला था। उनकी बेटी रीमा उस समय मेरे घर में ही थी। मैंने उसे छुपा लिया, और उसे मरने नहीं दिया। और तब से रीमा मेरे साथ है, और मेरी बेटी जैसी ही है..!"

तब उस सैनिक ने कहा-"आप ने एक हिन्दू बेटी की जान बचाई। आपको हमारा सलाम है मां। और आज से आपकी बेटी हमारी भी बहन है। हम आपकी हिफाज़त और आपकी मदद को हमेशा तत्पर रहेंगे। जय हिंद..!"

और तब उस मां और उसकी बेटी ने भी उस फौजी के सुर में सुर मिला कर कहा- "जय हिंद..! जय भारत..!!"



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational