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Prahlad mandal

Inspirational

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Prahlad mandal

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हौसले की गद्दी

हौसले की गद्दी

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वैसे तो हर जगह कुर्सी का होड़ लगी रहती है , फिर भी ठान कर बैठे हो कि मुझे ये ही बनना है या फिर मुझे ये ही करना है तो आपका मेहनत ही आपका परिणाम बताएगा।

इसी बातों को ठाने एक लड़की अमीषा , वैसे तो मैं उनका नाम नही जानता था और ना ही उससे कोई पहचान भी था पहले ,यही कही आठ- दस दिन पहले की ही बात है मैं अपने शहर गोड्डा , जो झारखंड के संथाल परगना में स्थित एक छोटा सा जिला है।


 मैं एक इंटरनेट कैफे में था वहां पर कोई फाॅम भरना था इसलिए गया हुआ था ।ये इंटरनेट का जमाना कभी तो इसका हर काम अच्छा लगता है और अगर सर्वर चला गया तो मन एकदम सा दिकदिक सा लगने लगता है ,सीधी तौर पर कहे चिड़चिड़ापन जैसा।

वैसे ही उस दिन सर्वर जाने से दिकदिक ही लग रहा था।

कुछ देर से सुंदर , सुशील , स्थिर दिमाग की और कम ही बोलती है उसके चेहरे के हाव-भाव से पता चल रहा था ।

वो और उनकी सहेली दोनों बहुत देर से खड़ी थी। ,शायद उसे हम पहली बार ही गोड्डा में देख रहे थे ।वैसे तों मैं गांव से हूं लेकिन बाजार नजदीक रहने के कारण जैसे घर से निकलकर कुछ सामान घटने पर दूकान जाते हैं कुछ ऐसे ही गोड्डा तो आना जाना लगा ही रहता है फिर भी कभी देखें नहीं थे। 

मेरा तो सर्वर नहीं होने के कारण,मेरा तो काम नहीं हुआ इंटरनेट कैफे वाले भैया ने कहा "तबतक बैठिए , उनलोगो का देखते हैं आपका तो काम अभी नहीं बना!!"बगल में बिना हाथ कुर्सी लगी थी , जो शादी में भोज खाने वक्त लगाते हैं वही कुर्सी में जाकर हम बैठ गए।


इंटरनेट कैफे वाले भैया कुछ पूछने ही वाले थे उनसे कि तबतक उनकी सहेली ने ही पूछ दिया,

" भैया इंडियन आर्मी वाला फाॅर्म भरा रहा है क्या लड़कियां के लिए " प्रश्न की भावना से पूछा!


इंटरनेट केफै वाले भैया ने अपने सिस्टम में इंडियन आर्मी का बेबसाइट खोलते हुए कहा-

"हां भरा तो रहा है बस पांच ही सीट हैं " थोड़ी देर सांस को रोकते हुए "अरे ये तो लगभग दो ढाई हजार फार्म भरा भी गया इसमें , अब भर कर कोई फायदा भी है क्या ? हमें नहीं लगता कोई फायदा भी होगा इसमें अब आपका फार्म भरके।"" 

इतना तो बोलने के बाद फिर उसने एक बात और जोड़ दिया उसमें :- "अच्छा फार्म दोनों को भरना है या किसी एक को "


जिसने पूछा था फार्म भराने के बारे में उसने अमीषा की ओर इशारा करते हुए कहा :- " इसे ही भरना है " 


फिर से कैफे वाले भैया ने कहा :- " तब तो कोई फायदा नहीं होगा , हमें तो नहीं लगता कि तुम आर्मी की तैयारी भी करती होगी " 


और क्यों ना कहें कोई भी इतनी सुन्दर लड़की , देखने से लग ही नहीं रहा था कि कभी किसी काम में पसीना भी बहाई होगी , या आर्मी का दौड़ ही करती होगी ।


और हमें भी यही लग रहा था कि इससे तो ये हों ही नहीं पाएगा । इतनी देर तो अमीषा चुप ही थे इतना देर तक तो हमने उनके लगा खसखसाने तक की आवाज़ भी नहीं सुनी थी , फिर उसने एक ही बात बोली :- 

"हौसले और मेहनत को ही कुर्सी मिलती है , भीड़ तो सिर्फ तमाशा दिखाने और देखने के लिए लगता है"ये सब बातें मुस्कुराते हुए कहे जा रही थी।


उनकी ये "हौसले को कुर्सी वाले " बातें बहुत पसंद आई।और हमने बोला -" हां आप बिल्कुल सही कह रहे हैं"


इनके बातों से स्पष्ट झलक रहा था कि ये इंडियन आर्मी बनने के लिए मेहनत वो कर रही है ‌और ठान भी रखी है कि इंडियन आर्मी ही बनना है ।नहीं तो इतने सुन्दर लड़की ,अच्छे परिवार में शादी कर खुशी खुशी से अपनी जरुरत को पूरी कर अपनी जिंदगी बिता सकती है । फिर भी ये डिफ्रेंस लाइन में रहकर देश प्रेम करना चाहती है।


इंटरनेट केफै वाले भैया भी इनके बातों से सहमत हो गए और बोले आज तो आपका ये फार्म भरूगा और आपके हौसले, मेहनत और आपके ये सपने पूरे होने के लिए प्रार्थना भी करूंगा।


बात बातों में उनसे पहचान हुई और उसने अपना नाम अमीषा बताया और उन्होंने बताया कि वो दसवीं कक्षा से आर्मी बनने के लिए दौड़ धूप कर रही है , और उन्हें ना कभी अपने सुंदरता को लेकर घमंड हुआ, धूप में कभी अपने चेहरे को कम ही छुपाया करती है। और अंतिम बात ये भी कहा कि "हौसले को कुर्सी मिलती है"


उनके इन हौसले और मेहनत को सुनकर तो मुझे बस एक सपना सा लग रहा था कि कोई हकीकत में भी ऐसा मेहनत करता होगा। यहां हर कुछ संभव है बस हौसले और मेहनत बरकरार रखने चाहिए ।



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