हैलो.....मुन्नू के पापा.!!
हैलो.....मुन्नू के पापा.!!
होली की कितनी सारी तैयारियां बची है और मेरे मिस्टर को ऑफिस से छुट्टी ही नहीं मिलती । जब देखो बस काम काम । ये नही की कभी पत्नी के कामों में उसकी मदद कर दे । मैं बेचारी दो दिनों से लगी पड़ी हूं । ऐसा लगता है जैसे ये त्यौहार सिर्फ औरतों के लिए ही बनी हो । दिनभर रसोई में तरह तरह के पकवान बनाते रहो बस यही होता है हम औरतों के लिए त्यौहार और मर्दों के लिए फूल डे का आराम सिर्फ एक ही काम तो रहता है इनका बैठे बैठे ऑडर देना.......।।
सुबह से पांच बार साहेब को कॉल कर चुकी हूं पर हर बार बिजी , पता नही किससे इतनी बातें करते है....? मैने सुबह ही कहा था पतिदेव से आते समय समान लेकर आना पर अभी तक इनका कोई आता पता नही है और ना ही फोन रिसीव कर रहे है.......रसोई में कविता दही बड़े का तैयारी करते करते बड़बरा रही थी ।
तभी लैंडलाइन फोन की घंटी बजती है । कविता आवाज सुनकर ऐसे ही फोन की तरफ भागती है और झट से फोन उठाते ही कहती है " हां हैलो " कब से मैं आपको फोन लगा रही थी फोन बीजी आ रहा था । मैंने सुबह ही बोला था ना आपको की आने से पहले फोन करना और राशन पानी लेकर आना पर नही आपको तो बस अपने मन की करनी है । सात बजने को आएं हैं और न आप आएं न सामान । अब कब मैं बनाऊंगी और होलिका दहन में चढ़ाऊंगी......??
पर कोई नहीं अब आप जल्दी से समान लिखो " एक किलो आलू , एक किलो गोभी अच्छी वाली , एक किलो मटर , आधा किलो पनीर , एक किलो टमाटर , एक किलो मैदा , एक किलो चीनी और एक पैकेट अबीर गुलाल......अच्छा लिख लिया न सारा सामान अब जल्दी से लेकर आइए.......!!
दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं सुनकर कविता कहती है....."अरे मुन्नू के पापा आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हैं ?? सांप सूंघ गया क्या समान का लिस्ट देखकर या आवाज बंध गई.......सुन रहे हैं न मुन्नू के पापा......।। "
" जी सुन रहा हूं मैडम जी " पर आपने तो अपने घर का एड्रेस ही नही बताया तो मैं कैसे आपका समान डिलीवर करूं......?? दूसरी तरफ फोन पर किसी आदमी ने कविता को कहा ।
"हैं आप मुन्नू के पापा नही हो....? फिर आप कौन हो जी..... ? जो इतनी देर से मेरी बक बक सुन रहे थे.....??"
" वो मैडम जी आपने बोलने का मौका ही नहीं दिया तो मैं कैसे बोलता......" ??
"क्या मतलब बोलने का मौका नही दिया.......?? आपको फिर भी बोलना चाहिए था....?? ऐसे कैसे आप किसी की बातें सुन सकते है......??"
" मैडम जी मैं कहां सुन रहा था वो तो आप मुझे जबरदस्ती सुना रही थी तो मैं सुन रहा था......" !! ऐसे एक बात बोलूं मैडम जी आपकी आवाज बहुत प्यारी है । आपकी डांट में भी प्यार हैं......!! भाईसाहब तो बड़े किस्मत वाले हैं.....!!"
"ठीक है ठीक है गलती हो गई.....".कविता थोड़ा करक आवाज से कहती है । फिर उससे पूछती हैं "आपने बताया नही आपने किस लिए फोन किया था और कौन है आप.....??"
"जी मैं लोन डिपार्टमेंट से बात कर रहा था सुमित.....। क्या आपको लोन की रिक्वायरमेंट थी......?? "
जी नहीं कहकर कविता फोन रख देती है और खुद की बेवकूफी पर मुस्कुराने लगती है । थोड़ी देर में कविता का पति मनोहर समान लेकर घर आता है और जब कविता उसे फोन वाली बात सुनाती है तो दोनों हंस हंस कर लोटपोट हो जाते है ।
