है प्रार्थना यही
है प्रार्थना यही
जिंदगी की विषम परिस्थितियों से गुजरने के बाद सितंबर 2018 से इस मंच पर मैंने हिंदी और मराठी दोनों ही भाषाओं में साहित्यिक लेखन जैसे ही शुरू किया, मंच पर मिली सखियों द्वारा उत्साहवर्धन करते ही आत्मविश्वास में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई, फलस्वरूप मैं स्वास्थ्य लाभ के साथ लिख रही हूं, साथ ही बच्चे और पति भी बेहद खुश ।
"अपने हमसफर से अपेक्षाएं" लेख के माध्यम से कहा "आप अपने हमसफर से तभी अपेक्षाएं कर सकतीं हैं, जब आप भी उनकी अपेक्षाओं को पूर्ण करें" पति पढ़कर बोले "इतना सम्मान मत दो मुझे, हर जन्म तुम्ही रहोगी मेरी हमसफर" है प्रार्थना यही।