हाँ वह तो जीती है
हाँ वह तो जीती है




हाँ वह तो जीती है सबके लिये, कितना हौसला है उसमें यह चीख चीख शानू कह रहा था, शानू यानि आज का नौजवान या युवा पीढ़ी,
शानू यानि उसकी गुरू उसकी रहनुमा, शानू को कुछ लोगो ने घेरकर बुरा भला कहाँ था तभी इतफाक से शानू आगया शानू हर समय कदम से कदम मिला कर चलता है।
अपने गुरू समान यशी को ही सब कुछ मानता है पर यशी को आरोपो को सुनकर रोते देखा जो सब के आंसू पोछने वाली भला कैसे रो सकती है पर यशी आज बहुत रोई बिना बात के किसी को बदनाम किया जाये तो बुरा तो लगता ही है।
वही हुआ पर सवाल यह उठता हैं कि यशी रूकेगी कभी नहीं जो सबके लिये जीना शुरू कर देता है वह रूकता है भला नहीं कभी नहीं रूकता अपनी मौत तक अनवरत चलता ही रहता है हाँ यशी ही है आधुनिक भारत की नारी जो हर तूफान का डटकर मुकाबला करती है हाँ वह सबके जीती है। यही है 21वीं सदीं की नारी।