हाँ मैंने खुद से प्यार किया है

हाँ मैंने खुद से प्यार किया है

2 mins
520


अच्छा लगता है जब मैं कुछ सफ़ेद तार अपने बालों से झांकते देखती हूँ, मेरे बढ़ते अनुभव के निशान हैं ये और उस से भी ज्यादा अच्छा लगता है जब मैं नहीं भागती, ना ही परेशान होती इन निशानों को छुपाने के लिए। क्यों छुपाऊं, क्यों फिर से बच्चा बन जाऊँ? बच्चा कहीं गुम हुआ हो तो लाऊं, वो तो मेरे अंदर है। जब मैं अपने बच्चों के संग तोतला बोलती हूं, दिख जाता है वो बच्चा। जब उनके साथ मटक मटक कर नाचती हूं तो खुश होता दिखता है वो बच्चा। और जब अपने बच्चों की गिट्टियाँ एक के बाद एक लूडो में काट कर उन्हें चिढाती हूं तो बन जाती हूं उनसे भी बड़ी बच्चा। फिर बताओ क्यों छुपाऊं इस सफेदी को, कुछ निशान तो रहने दूँ इस बढ़ती उम्र के।

अच्छा लगता है जब दिखती हैं एक दो झुर्रियाँ। टेढ़े मेढे मुंह कर के बड़ी कोशिश करती हूं उन्हें भगाने की लेकिन मन नहीं करता मेरा उन्हें मेकअप की परतों में छुपाने का। नहीं कोशिश करती अल्हड़ सा दिखने की। अल्हड़ता तो मेरे अंदर है। जब मैं अपने हमदम के साथ फ्लर्ट करती हूं तो दिख जाती है वो अल्हड़ लड़की। कहीं गई थोड़ी है वो जो उसे मेकअप करके बुलाऊं, यहीं रहती है वो बस मौका ढूंढती पति को सताने का।


 मैं मैं ही दिखूं तो अच्छा लगता है। अच्छा लगता है जब इन तारों और झुर्रियों के साथ भी, मेरे हमदम आँखों में ही कह जाते हैं कि अच्छी लग रही हो। बहुत अच्छा लगता है कि अपने बच्चों को खुद को जैसे हो वैसे ही स्वीकार करो कि विरासत सौंपते हुए।

अच्छा लगता है जब भाग दौड़ वाली दुनिया में मैं पांच मिनट में तैयार हो जाती हूं। वो लाल रंग की लिपस्टिक भी बस अपने लिए ही लगाती हूं। अच्छा लगता है कि मैंने खुद को अच्छे से स्वीकार किया है। हाँ मैंने खुद से प्यार किया है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational