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Mamta Singh Devaa

Inspirational Others

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Mamta Singh Devaa

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" गुरु की पारखी नज़र "

" गुरु की पारखी नज़र "

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सन 1985 में ममता काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बी एफ ए का ऐन्ट्रेंस ऐक्ज़ाम देने आई थी सारी प्रयोगात्मक परीक्षाएं देने के बाद बारी थी प्रथम साक्षात्कार की डीन का ऑफिस सारे ( नेशनल - इंटरनेशनल फेम के आर्टिस्ट ) प्रोफेसर्स , रीडर्स और लेक्चर्रस से भरा हुआ था ममता ठहरी नौसिखिया लेकिन आत्मविश्वास तब भी जबरदस्त था , लोग बड़ी - बड़ी पेंटिंग लेकर आये थे ममता अपनी बड़ी बहन की जॉगरफी की फाइल के पीछे कॉपी वर्क किया था उसी को लेकर उसने कमरे में प्रवेश किया सबको अभिवादन करते वक्त सबको एक नजर घुमा कर देख लिया था । उसे बैठने को बोला गया और उसका प्रथम साक्षात्कार शुरू हुआ सबके बीच से प्रश्न आते वो जवाब देती जाती अचानक से बलबीर सिंह कट्ट सर ( उनका नाम बाद में पता चला ) ने पूछा " आप क्या बना कर लाई हैं ? " उसने फाइल उनके आगे बढ़ा दी सर ने पलट कर देखा और बोले ठीक है लेकिन बहुत अच्छी नही आप यहाँ ऐडमिशन मिलने के बाद काम कर पायेंगी ? उसका जवाब हाज़िर था वो बोली " पहली बात ये की ये जो मैंने आपको दिखाया या दूसरे दिखा रहे हैं ये आप सबको कैसे पता की ये हम सबने ही बनाया है हो सकता हो की किसी दूसरे से बनवा कर लाये हों , हमारा काम कैसा है ये आपको जो हमने ऐक्ज़ाम दिया है उससे सही पता चलेगा और हम इतने ही बड़े कलाकार होते तो यहाँ क्यों आते ? मैं यहाँ सीखने आई हूँ अगर आप सिखायेंगे तो मैं निराश नहीं करूँगी मेरा इतना बोलना था की कट्ट सर खिलखिला कर हँस पड़े और बोला " बहुत हाजिर जवाब हो " खैर उसका एडमिशन हो गया बात आई - गई हो गई ।

बी एफ ए फर्स्ट इयर था और स्कल्पचर की क्लास थी सर ने कोम्पोजीशन दिया था सर ममता के पास आये और उसको सही गलत बताने लगे तभी अचानक से बोले " सिंह " ( सर ममता को सिंह बोलते थे ) तुमको पता है तुम्हारा एडमिशन किस बात पर हुआ है ? उसने सर को देखा और बोली...सर काम देख कर ये सुन कर सर बोले अच्छा काम करने वाले तो बहुत हैं फैकल्टी में लेकिन तुम्हारा एडमिशन तुम्हारी स्मार्टनेस और हाजिर जवाबी की वजह से हुआ है मैंने तुम्हारे साक्षात्कार के बाद वहीं सबसे कह दिया की अच्छे काम करने वाले तो आ ही रहे हैं लेकिन मुझे स्मार्ट और अच्छा बोलने वाले स्टूडेंट भी चाहिए। सर की पारखी नज़रों ने ममता को भांप लिया था उस दिन के बाद से कट्ट सर ममता के लिए खास हो गये और उसने अपने काम से भी उनको हमेशा गर्व ही महसूस कराया, एम एफ ए का ऐन्ट्रैंस ऐक्ज़ाम भी क्लीयर किया और " पॉटरी एंड सिरामिक " से मास्टर्स करने वाली भारत की प्रथम महिला बनी, उसकी इस उपलब्धि में उनका विशेष योगदान है वो जहाँ भी हैं उनको उसका हृदय से नमन है ।



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