गुणवती
गुणवती
राजीव आज जब सात दिन बाद,कम्पनी के सेमिनार से अपने घर पहुँचा।तब उसे पता चला कि उसके पिताजी को तीन दिन पहले अचानक एक रात सीने में तेज दर्द उठा।और तभी से वो अस्पताल में भर्ती है।यह सुन उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।वो इस सोच में पड़ गया कि वो तो रोज सुबह शाम अपनी पत्नी गायत्री से फोन पर सभी के हालचाल पूछता था।पर भी उसने कभी पिताजी की तबियत का जिक्र क्यो नही किया।
और फिर उस अकेली ने पिताजी ओर दोनों छोटे बच्चों को संभाला कैसे। अपने अंतर के इसी द्वंद के साथ जब अस्पताल पहुँचा।तो देखा गायत्री उसके पिता के सिरहाने बैठ,किसी बच्चे की भांति अपने हाथ से उन्हें दलिया खिला रही थी।
यह दृश्य देख अचानक राजीव के कान में आज पिताजी के वही शब्द फिर गूंज उठे, "कि राजीव ज्यादा रूप रंग के चक्कर मे न पड़।ये बच्ची गुणि व संस्कारी है,जो अपने परिवार को खुशियों से भर देगी। "