गुनाह का अंत
गुनाह का अंत
इधर मैं कई दिनों से देख रही थी कि मिनी कुछ उदास , गुमसुम और खोई खोई सी रहती है। मिनी मेरी सोलह वर्षीया बिटिया है जो बारहवीं कक्षा में पढ़ती है।मैंने कई बार उससे उदासी का कारण जानने का प्रयास किया , परन्तु हर बार “पढ़ाई का टेंशन है मम्मा” कह कर वह टाल जाती ।आज मिनी जब स्कूल से आई तो उसका रुआँसा चेहरा देख कर मैं घबरा गई, इससे पहले कि मैं कुछ पूछ पाती , मिनी ने अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा अंदर से बंदकर लिया।” अरे क्या हो गया मिनी ? कुछ बतायेगी भी ? दरवाज़ा खोल “ मैंने बाहर से गुहार लगाई।”आप जाइये मम्मा...मुझे थोड़ी देर अकेला छोड़ दीजिये “ मिनी ने अंदर से जवाब दिया ।ओह...मिनी रो रही है....ऐसा क्या हो गया? सोचते सोचते मैं किचेन में गई और मिनी के मनपसंद चीज़ सैंडविच बनाने में जुट गई। थोड़ी देर बाद सैंडविच और जूस लेकर मिनी के पास गई और बोली “ अब तो दरवाज़ा खोल मिनी....देख मैंने चीज़ सैंडविच बनाए हैं तेरे लिये.....खाकर बता तो कैसे बने हैं ?” मिनी ने दरवाज़ा खोल दियाऔर जाकर अंदर कमरे में बैठ गई। रोते रोते उसकीआँखें सूज गईं थी , मैंने प्यार से उसे सहलाया और सैंडविच खाने का आग्रह किया। मेरा वात्सल्य पाकर मिनी ने अपने मन का ग़ुबार निकाल दिया। उसने जो बताया वह सुन कर मैं हैरान रह गई।” मम्मा जो मेरे फ़िज़िक्स सर हैं न, वे मुझे ग़लत तरह से छूते हैं....कभी मुझे कंधों से अपनी ओर खींचते हैं कभी मेरे गालों पर हाथ फिराते हैं....आज उन्होंने लैब में प्रैक्टिकल फ़ाइल पहुँचाने को कहा था।जब मैं अपनी दो सहेलियों के साथ फ़ाइल देने गई तो उन्होंने मेरी सहेलियों को लैब के बाहर ही रुकने को कहा और केवल मुझे अंदर बुलाया....फिर उन्होंने ज़बरदस्ती मुझे किस किया “ कहते कहते मिनी बिलख बिलख कर रोने लगी । “तुम बिलकुल परेशान मत हो बेटा...मैं कल ही चलकर प्रिंसिपल मैडम से तुम्हारे फ़िज़िक्स सर की शिकायत करती हूँ” मैंने मिनी को ढाँढस बँधाया ।” नहीं...नहीं मम्मा ऐसा मत करना वरना सर मुझे प्रैक्टिकल्स में फ़ेल कर देंगे” डरी हुई मिनी ने आशंका व्यक्त की।” लेकिन बेटा किसी के डर से अन्याय सहना कहाँ की समझदारी है...कुछ नहीं होगा , तुम निश्चिन्त होकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो “ मैंने मिनी को आश्वस्त किया।
अगले दिन मैं पूरी तैयारी के साथ स्कूल में फ़िज़िक्स लैब पहुँची , जहाँ फ़िज़िक्स सर अकेले ही बैठे मिल गये।” आइये मैडम , लगता है मिनी ने आपसे मेरी शिकायत की है....वो क्या है न कि आपकी मिनी सुन्दर गुलाब की कली है...और मुझे कलियों को मसलने में बड़ा आनन्द आता है...वैसे अगर आपने कहीं भी मेरी शिकायत की तो मैं मिनी को फ़ेल करा दूँगा ....आप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं “ फ़िज़िक्स सर बड़ी ही बेशर्मी और धूर्तता से बोले।मैंने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और सीधे प्रिंसिपल महोदया के कमरे में जा पहुँची और बोली “ महोदया आप स्वयं एक महिला हैं....आप समझ सकती हैं...क्या आप अपने विद्यालय में चल रहे इस कदाचार पर रोक नहीं लगाएँगी ?” मैंने अपने पर्स से मोबाइल निकाल कर वह रिकॉर्डिंग उन्हें सुना दी , जिसमें फ़िज़िक्स सर अपने गुणों का बखान कर रहे थे।रिकॉर्डिंग सुन कर प्रिंसिपल महोदया भी हैरान रह गईं और उन्होंने फ़िज़िक्स सर के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।
अगले दिन मिनी स्कूल से ख़ुशी से उछलते हुए घर आयी “ जानती हैं मम्मा फ़िज़िक्स सर की स्कूल से छुट्टी हो गई , कहीं आपने ही तो उनकी शिकायत नहीं की “ जवाब में मैं हल्के से मुस्कुरा पड़ी ।” यू आर ग्रेट मम्मा....किसी की मम्मा आप जितनी अच्छी नहीं “ कहते हुए मिनी मेरे गले सेझूल गयी।
किशोरावस्था से गुज़र रही बेटियों के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएँ होती हैं। आवश्यकता होती है सजग रहने की बेटियों के मन की बात समझने की और उन्हें यह अहसास दिलाने की कि आप प्रत्येक पल उनके साथ हैं ।