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Kanchan Shukla

Inspirational

4  

Kanchan Shukla

Inspirational

गुलाबी ख़त

गुलाबी ख़त

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पता नहीं वह सपना था भ्रम ! सलोनी अपने हाथ में पकड़े हुए उस गुलाबी ख़त को बार-बार पढ़ रही थी। उसने अपनी आंखों को अपनी हथेलियों से मला फिर पढ़ने लगी पर ख़त के शब्दों में कोई बदलाव नहीं आया।

सलोनी ख़त लेकर अपने कमरे में भाग गई उसे भाग कर जाते हुए देखकर सलोनी की मां ने पूछा, "सलोनी कौन है दरवाजे पर?"

कोई जवाब न पाकर सलोनी की मां बड़बड़ाने लगी "यह लड़की भी न एक जगह ठहर ही नहीं सकती" कहते हुए सलोनी की मां अपने काम में लग गई।

सलोनी वहां थी ही नहीं वह तो उस गुलाबी ख़त को लेकर अपने कमरे में जा चुकी थी। सलोनी बिस्तर पर लेट गई और फिर से वही गुलाबी ख़त खोल कर पढ़ने लगी।

सलोनी जी,

नमस्कार,

अभी यही संबोधन दे सकता हूं मैं आपको अपना फैसला फोन पर भी बता सकता था पर मैं आपसे अपने पहले प्यार का इज़हार ख़त लिखकर करना चाहता था।

मुझे आपकी सादगी भा गई है आपकी आंखें बहुत ही खूबसूरत हैं आपकी मासूमियत से मुझे प्यार हो गया है। हां मैं आपको पसंद करने लगा हूं या यूं कहूं प्यार करने लगा हूं मैं आपको पसंद हूं कि नहीं मैं यह जानना चाहता हूं। वह भी फोन के जरिए नहीं ख़त के माध्यम से मैं आपके ख़त का इंतजार करूंगा जल्दी ही जवाब देना मैं बेसब्री से आपके जबाव का इंतजार कर रहा हूं।

तुम्हारे जवाब के इंतजार में

तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा,

कमल

सलोनी ख़त को बार-बार पढ़ रही थी उसे पढ़कर सलोनी के चेहरे पर शर्म की लाली फैल गई। उसने अपनी ही नज़रें बचाकर उस ख़त को चूम लिया।

सलोनी ख़त पढ़ते-पढ़ते अतीत की गहराइयों में उतरती चली गई।

सलोनी की रंगत सांवली थी अपने सांवले रंग के कारण उसे बचपन से ही अपमान का तंज़ झेलना पड़ा था।

उसके माता-पिता उसे बहुत प्यार करते थे पर ग़रीब होने के कारण वह उसके लिए कुछ ज्यादा नहीं कर सकते थे। सलोनी को पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ा होना था पर उसकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई क्योंकि उसकी मां को कैंसर हो गया और उसके इलाज में बहुत पैसा लग रहा था। सलोनी के पिता एक स्कूल में चपरासी थे उनकी इतनी आमदनी नहीं थी कि वह अपनी पत्नी के इलाज के साथ अपनी बेटी की पढ़ाई भी जारी रख सकें।

इलाज़ से सलोनी की मां तो ठीक हो गई पर वह कितने दिनों तक जिंदा रहेंगी किसी को नहीं पता था। सलोनी की मां अपने जिंदा रहते अपनी बेटी के हाथ पीले करना चाहती थी। पर सलोनी की सांवली रंगत उसके विवाह में बाधक बनी हुई थी, जो भी लड़का उसे देखने आता नापसंद करके चला जाता।

कुछ लोगों ने कहा अगर आप लोग दहेज दें तो हम आपकी बेटी को अपनी बहू बना सकते हैं, एक लड़के ने कहा अगर आपकी बेटी नौकरी कर रही होती तो मैं शादी के विषय में सोच सकता था।

लड़के वालों से ऐसी बातें सुनकर सलोनी अंदर ही अंदर टूटने लगी उसका सांवला रंग उसके गुणों को दबा दे रहा था। सलोनी की आंखें बहुत ही सुन्दर थी उसमें वह सभी गुण विद्यमान थे जो एक बहू, पत्नी और मां में होने चाहिए थे।

परंतु उसका रंग और उसकी गरीबी ने उसके गुणों पर आवरण डाल दे रहा था।

तभी उसकी मौसी का बताया हुआ रिश्ता आया लड़का सरकारी नौकरी में था देखने में भी ठीक ठाक था। जब वह लड़का और उसकी मां सलोनी को देखने आए तो सलोनी ने उनके सामने आने से इंकार कर दिया। लेकिन सलोनी की मां ने जब उसे अपनी कसम दी तो वह उन लोगों के सामने आ गई। वह लड़का कमल ही था कमल और उसकी मां ने बहुत प्यार और अपनेपन से बात की और जाते हुए कहा था कि वह अपना फैसला फोन पर बता देंगे।

उनकी बात सुनकर सलोनी के चेहरे पर व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट फ़ैल गई क्योंकि वह जानती थी कि वह लोग घर जाकर शादी से इंकार कर देंगे। इससे पहले लोगों ने उनके मुंह पर ही इंकार किया था कमल के घर वालों में थोड़ी शराफ़त बाक़ी होगी इसलिए वह सामने से नहीं पीछे से इंकार करने की बात कर रहे थे। यही सोचकर सलोनी के चेहरे पर जहरीली मुस्कुराहट फ़ैल गई थी, पर आज कमल का ख़त पाकर सलोनी यह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह उसका सपना है, भ्रम है या उसके जीवन की सबसे खूबसूरत सच्चाई सलोनी यही सोच रही थी।

ख़त पढ़कर सलोनी के चेहरे पर आत्मविश्वास की मुस्कान फ़ैल गई उसने कागज़ और पेन लिया और कमल से अपने प्यार का इज़हार करने के लिए ख़त लिखना शुरू किया।


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