गरुड़ का महत्व
गरुड़ का महत्व
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एक बार विष्णु भगवान के वाहन गरुड़ और लक्ष्मी माता के वाहन उल्लू का झगड़ा हो गया।दोनो में से किसकी महत्वता अधिक है।इसी बात को लेकर दोनो बीच कहासुनी हो गई। उल्लू ने कहा सब व्यक्ति को धन की जरूरत होती है इसलिए माता लक्ष्मी का वाहन ही श्रेष्ठ है।तो गरुड़ ने कहा धन के साथ उनको सही तरीके से इस्तेमाल करने की भी जरूरत होती है।झगड़ा सुलझाने के लिए उनहोने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के ही दो भक्तों की परीक्षा लेने की सूझी।एक माता लक्ष्मीजी का भक्त था तो दूसरा विष्णु जी का भक्त था।दोनो ही भक्त अपनी इष्ट की पूजा में कोई कमी नहीं छोड़ते थे।परीक्षा लेने के लिए गरुड़ ने दोनों भक्तों के घर के बाहर नोटों से भरा थैला रख दिया।दोनो ही भक्त जब घर के बाहर निकले और दोनो ने नोटों से भरा थैला देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा।दोनो ने एक ही बात कहीं आखिर लक्ष्मीजी आ ही गई।अब गरुड़ और उल्लू इस बात का इंतजार करने लगे कि वो इन पैसों का क्या और कैसे उपयोग करते हैं।जो लक्ष्मी जी का भक्त थ
ा उसके सारे पैसे अपने घर और अपनी साज - सज्जा में खर्च कर दिए।लेकिन जो विष्णुजी का भक्त था उसने वो पैसे व्यापार में लगाए जिस से उसे मुनाफा हुआ और वो काफी धनी हो गया।
अब सवाल ये है कि इस कहानी से कैसे पता चला कि किसका अधिक महत्व है।फर्क ये था कि लक्ष्मीजी का भक्त पूजा करते समय सिर्फ लक्ष्मीजी को बुलाता था तो लक्ष्मीजी आती थी अपने वाहन उल्लू पे सवार होके तो वह व्यक्ति धन तो पाता था लेकिन उल्लू की तरह सब व्यय कर देता था।वही विष्णु जी का भक्त विष्णु जी से रोज प्रार्थना करता कि लक्ष्मीजी को अपने साथ लेकर आना। विष्णु जी हमेशा गरुड़ में सवार होकर लक्ष्मीजी को साथ लेकर उसके घर जाते थे।जिसके कारण वो व्यक्ति धन को सोच समझ के खर्च करता था।
इस तरह उल्लू और गरुड़ का झगड़ा समाप्त हुआ। उल्लू को समझ आया कि कैसे लक्ष्मीजी और विष्णु जी गरुड़ की सवारी साथ करें तो मानव जाति का भला हो सकता है।गरुड़ स्वयं को विष्णु जी का वाहन मान के धन्य समझता है और इस तरह गरुड़ का महत्व उल्लू से कहीं अधिक है।