पारिवारिक परम्परा
पारिवारिक परम्परा
बात उन दिनों की है जब मैं पांच साल का छोटा बच्चा था। गणतंत्र दिवस आया तो सभी समय से पहले घर के काम निबटा कर गणतंत्र दिवस का समरोह देखने बैठ गए। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरे लिए सब नया था।
मैंने आश्चर्य होकर पापा से पूछा- आज कुछ खास है क्या? तब पापा ने बताया आज गणतंत्र दिवस है। आज राष्ट्रीय अवकाश है इसीलिये तुम्हारे स्कूल की छुट्टी है। और उसके समारोह को हम परिवार के साथ बैठ कर देखते हैं। यही हमारे इस उत्सव को मनाने का तरीका है। जैसे हमारे देश की परंपरा है राष्ट्रीय ध्वज लहराने की वैसे ही हमारी भी परंपरा है साथ बैठक गणतंत्र दिवस की परेड देखने की और ये परम्परा तब से है जब से दादा जी सेना में शामिल हुए। दादाजी ने हमें वीरों की कई कहानियां सुनायी
थी।
जिन्हें सुन के परिवार के सभी सदस्य प्रेरित हुए और तब से ही ये परंपरा शुरू हुई। इन सभी वीरों को सरकार से सम्मान प्राप्त होता है। ये सैनिक देश की रक्षा करते हैं और देश के लिए शहीद भी हो जाते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन ये लोग हमारे देश का गौरव दिखाते हैं। विभिन्न राज्यों की रैली निकली जाती है और देश का गौरव बढ़ाया जाता है।
हमें ये समारोह अवश्य देखना चाहिए क्योंकि ये देश के वीरों का शौर्य और पराक्रम को दर्शाता है। ये सैनिक दल देश का मान सम्मान बढ़ाते हैं। हमें इन पर गर्व करना चाहिए। तब से लेकर आज तक मैं भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बैठकर गणतंत्र दिवस के समारोह को देखता हूं और अपनी पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ा रहा हूं। मुझे अपने देश पर गर्व है।