समझदार भिखारी
समझदार भिखारी
सड़क के किनारे मंदिर के बाहर एक पेड़ था। उसी पेड़ के नीचे एक भिखारी बैठा करता था। मंदिर आने- जाने वाले उसे कुछ न कुछ दे दिया करते थे। वो भिखारी प्रतिदिन वहीं बैठा करता था। एक दिन एक बालक सड़क से गुजर रहा था तभी एक मोटरसाइकिल ने उसकी साइकिल को पीछे से टक्कर मार दी। वह बालक गिर गया और उसके घुटने से खून निकलने लग गया। आने - जाने वाले उसको देखते रहे पर मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। बाइक सवार भी फरार हो गया। भिखारी ने ऑटो रुकवाना चाहा पर कोई नहीं रुका। भिखारी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उ
से एक उपाय सूझा।
उसने अपने पास पड़े एक कपड़े को फाड़ा और उसके घुटने में बाँध दिया। उसने एक रस्सी लेकर अपने को उस लड़के के साथ बाँध दिया और उसे साइकिल में ही अस्पताल पहुंचाया। उसका इलाज करवाकर पट्टी लगा दी गई और उसके माता- पिता को अस्पताल बुला दिया गया। अपने माता-पिता को बालक ने सारी कहानी बताई कि कैसे अपनी सूझ- बूझ और समझदारी से भिखारी ने उसकी जान बचाई है। उन सभी ने भिखारी को धन्यवाद दिया। उसकी समझ की तारीफ की और उसे कुछ पैसे भी दिए। इस तरह भिखारी ने अपनी समझ से उस बालक की जान बचाई।