गर्म पकौड़ें
गर्म पकौड़ें
"शरद इज नो मोर..."
"क्या? कैसे? कब हुआ? ही वाज परफेक्टली ऑलराइट इन अवर कॉलेज डेज..."
उसके मुहँ से बेसाख़्ता सारे सवाल एक के बाद निकल गये।
"नही,संगीता, वह कॉलेज के दिन थे जब तुम्हारी उसके साथ फ्रेंडशिप थी।तब वह किसी हीरो से कम नही लगता था।"
"हाँ... हाँ... वह किसी हीरो की तरह ही रहता था। यु नो ही वाज वेरी ब्राइट स्टूडेंट..."
" यस, यु आर करेक्ट..चलो, मैं चलता हूँ..मुझे कुछ काम है.." और वह चला गया...
उसके लिए यह बस एक न्यूज थी...
लेकिन मेरे लिए ?
मेरी यादों के झरोखों को खुलनेवाला कोई तूफान.... वे सारी यादें किसी ठंडी हवा की तरह बेलगाम अंदर घुस आयी जिन्हें मैं भूल चुकी थी...
लेकिन वे यादें कहाँ मेरा पीछा छोडने वाली थी?
मुझे याद आये मेरे कॉलेज के वे सारे पुराने सुनहरे दिन....
मेरी शरद के साथ बहुत जमती थी। हम साथ मे पढ़ते थे...
साथ साथ रहते थे...
साथ साथ घूमते भी थे...
एक जबरदस्त बॉन्डिंग थी हमारे बीच....
कॉलेज ख़त्म होते होते हमारी शादी की बात भी होने लगी....
हम दोनों चाहते थे कि हमारी शादी हो लेकिन दोनों के परिवार इस शादी के लिए राजी नही थे।
फिर क्या? घर वालों के दबाव में हम दोनों ने परिवार की मर्जी से शादी कर ली।और अपनी अपनी नयी सी जिंदगी में मशगूल हो गये....
कभी मैंने मन ही मन शरद से बात करनी चाही लेकिन मालूम हुआ कि वह शराब पीने लगा है। फिर एक मैरिड औरत अपने प्रेमी से बात करे?
अ बिग नो....
समाज क्या कहेगा वाली लाइन से 'पॉसिबल नही'.....
ऐसा नही की उसका कभी मुझे ख़याल ही नही आया। जब कभी उसका ख़याल आता तब न जाने मन के किसी कोने से आवाज़ आती, "यह ठीक नही होगा...."
पता नही वह आवाज़ कहाँ से आती थी?
सारी वह कसमें और वादें मैं भूल चुकी थी जिनको हम दोनो ने न जाने कितनी बार दोहराया था....
कभी लगता था कि मैं वह सारी बातें भूल चुकी हुँ लेकिन आज शरद की एक्सपायर होने की न्यूज़ ने उस बात को जैसे पल भर में ही खारिज़ कर दिया....
शाम को पति घर आये।आते ही उन्होंने चाय के साथ गरम गरम पकौड़ों की फरमाइश की।एक अच्छी बीवी की तरह मैं अपने काम मे जुट गयी...
फटाफट चाय का पानी रखकर गरम पकौड़ें बनाने जुट गयी।थोड़ी देर में प्लेट में गरम गरम पकौड़ें और ट्रे में चाय लेकर मैंने सेंटर टेबल पर रख दिया।
पति महोदय ने झट से एक पकौड़ा मुहँ में डाला और कहने लगे,"वाह..वाह.भई.. मज़ा आ गया। तुम्हारे हाथों में तो जादू है....
कभी जिसके साथ जिंदगी बिताने का वादा किया था, आज वह दुनिया से चला गया। यहाँ मेरे मन की कैफ़ियत से किसी को कोई लेना देना भी नही था....
मुझे पति का साथ देना था। मैंने ठंडे मन से पकौडे खाये....
पति महोदय चटखारे लेकर गरम गरम पकौड़ों के साथ अपनी मनपसंद चाय का लुत्फ़ ले रहे थे.....