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Rashmi Rawat

Drama Tragedy

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Rashmi Rawat

Drama Tragedy

गरीबों के लिए

गरीबों के लिए

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अमित जी आज बहुत प्रसन्न थे। बड़ी मेहनत के बाद बहन के लिए योग्य वर जो खोज पाए थे। रिंग सेरेमनी का आयोजन बहुत धूमधाम से किया जा रहा था। दूर पास के सभी नाते रिश्ते वाले, जान पहचान वाले सभी आमन्त्रित थे। और हों भी क्यों न ? सभी को अपनी चकाचौंध दिखाने का इससे अच्छा अवसर और नहीं हो सकता। "आज मेरे ठाठ देखकर सभी की आंखें खुली रह जाएंगी। मेरे दुर्दिन तो सभी ने देखे थे, आज देखें कैसे वारे न्यारे हैं।" सभी के मुंह से अपने ठाठ का गुणगान सोच सोच कर अमित जी बहुत उत्साहित हुए जाते थे। 

दावत बहुत शानदार थी। लोग वाह-वाह करते नहीं थकते थे।

"बहुत गरीबी देखी साहब ने किन्तु आज इनके जैसे ठाठ नहीं।हमारे सामने की बात है, कैसे - कैसे दिन गुजारे हैं, नौकरी के लिए रात दिन एक कर दिए थे मालिक ने।अब तो ऊपर वाले ने खूब बरकत दी है।" 

कहीं गुपचुप चर्चाओं के दौर चल रहे थे। तो कहीं हंसी ठहाकों का दौर चल रहा था। कहीं मन्द स्वर में चर्चा छिड़ी हुई थी कि कौन सी योजना के लिए कितना धन आया है? किसका कितना हिस्सा है?

मैंने अपने एक मित्र जो अमित जी के भी करीबी थे से अमित जी की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की के बारे में उत्सुकता प्रकट की तो लगभग फुसफुसाते हुए कहने लगे "सरकार गरीबों के लिए बहुत रुपया खर्च करती है। कोई न कोई योजना तो चलती ही रहती है आगे तो तुम खुद समझदार हो।" 

मैं सोचने पर मजबूर हूँ "योजना गरीबों के लिए!" और मेरे मन में अपनी ही लिखी एक पंक्ति गूंजने लगी "हिस्सा गरीब का खा गया, कल जो, खुद गरीब था।" 


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