चींची को सीख
चींची को सीख
एक बार एक प्यारी सी चिड़िया थी। उसका नाम चींची था। एक बार चिड़ियों के लिए एक बहुत बड़ा मेला लगा। चींची भी अपने माता-पिता के साथ मेले में गयी। चींची के माता-पिता उसे बार बार साथ रहने के लिए कहते। लेकिन चींची उन पर ध्यान नहीं देती थी।
तभी चींची इधर उधर घूम रही थी और वह अपने माता-पिता से बिछड़ गई। तब वह डर गयी और रोने लगी। अब वह सोच रही थी कि "मुझे अपनी करनी का फल मिला है। अगर मैं अपने माता-पिता की बात मान लेती तो मैं नहीं खोती।"
वो सब जगह माता-पिता को ढूंढने लगी। शाम को जब वह घोंसले में आई तो वे वहाँ भी नहीं थे। वह उदास हो गई।
तभी एक तोता आया और उसने पूछा "तुम उदास क्यों हो ? क्या तुम खो गई हो ?"
चींची ने रोते हुए उसे सारी बातें बताईं। तब तोते ने बताया कि "तुम्हारे माता-पिता उस पहाड़ी पर तुम्हें ढूंढ रहे हैं। चलो मैं तुम्हें वहां ले चलता हूँ।"
वह अपने माता-पिता से मिलकर बहुत खुश हुई। और अपनी गलती के लिए माफी मांगी। साथ ही वादा किया कि अब वह दुबारा से एसी गलती नहीं करेगी, और सभी खुशी खुशी रहने लगे।
