विषय में फेल,जीवन में नहीं
विषय में फेल,जीवन में नहीं
आज रजनी की गणित की परीक्षा थी। घर पर, ट्यूशन में, विद्यालय में सभी जगह खूब पढाया समझाया गया। पर क्या करें! रजनी के मस्तिष्क में गणित के अंकों के लिए स्थान ही नहीं था।
उसे कभी समझ ही नहीं आया कि बीजगणित में हम माना 'क' का मान '15' है तो 'ब' का मान ज्ञात करो। कैसे हल होगा? ये बात उसके दिमाग में न फंसती कि क्या, क्यों और कितना मानना है?
रेखा गणित के कोण तो उसने कुछ हद तक रट लिए थे। किंतु उसके आगे वहां भी उसे कुछ समझ ही नहीं आता। अंकगणित में तो जोड़, घटाना, गुणा, भाग और थोड़ी बहुत भिन्न के सवाल समझ आते थे, आगे तो आप सब समझ ही सकते हैं!
उसे किस्से कहानियों की किताबें, गृहविज्ञान, हिंदी, अंग्रेज़ी यही विषय पसंद थे। और क्या कहूँ, ये समझ लीजिए गणित और विज्ञान को छोड़कर बाकी अन्य विषयों में ठीक ठाक थी। तो आज परीक्षा के दिन वह बिल्कुल शान्त भाव से परीक्षा देने पहुंच गई। पेपर में समझ ही न आए क्या करे और क्या छोड़े? क्योंकि कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
हां रेखागणित के कोण से संबंधित प्रश्न देखकर कुछ जाना पहचाना लगा। और बडे़ मनोयोग से उसने समकोण बनाया, और बाकी सवाल चाहे जो हो कुछ में जोड़ दिया और कुछ में घटा दिया और हाँ कुछ गुणा भाग भी कर दिए। और बाकी समय उसके सिर में अत्यधिक दर्द रहा।
परीक्षाफल वही आया जिसकी उम्मीद थी। अन्य सभी विषयों में अंक अच्छे थे किंतु गणित में अनुत्तीर्ण।
वो तो भला हो नवीन परीक्षा प्रणाली का कि एक विषय में अनुत्तीर्ण होने पर भी वह प्रोन्नत हो गई।
उसे इस घटना से आघात अवश्य लगा। किंतु वह करती भी क्या? उसका और अंकों का छत्तीस का आंकड़ा जो था। खैर अब आठवीं के बाद उसका गणित से पीछा छुट गया।
फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर कक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया क्योंकि अब गणित जो नहीं था। आज वह एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी में बहुत सम्मानजनक पद पर आसीन है।
हम अपने बच्चों को हर विषय में सम्पूर्ण देखना चाहते हैं किन्तु यह भूल जाते हैं कि कोई बच्चा विषय में अनुत्तीर्ण हो सकता है जिंदगी में नहीं।
