STORYMIRROR

Ashish Dalal

Inspirational

4  

Ashish Dalal

Inspirational

ग़रीब

ग़रीब

3 mins
851

पूरा घर मेहमानों से भरा हुआ था। परिवार की इस पीढ़ी की आखिरी संतान मेरे छोटे चाचा की छोटी लड़की कृष्णा की शादी थी। शाम को ही बारात आने वाली थी इसी से चहल पहल और ज्यादा बढ़ चुकी थी। गाँव में सादगी से अपने सीमित बजट में रहते हुए चाचा ने सारी तैयारियाँ कर रखी थी।

तभी मैंने देखा घर का पुरुष वर्ग नंगे पैर घर से कहीं बाहर जा रहा था। मैं उनके साथ जुड़ने को वहां आंगन में रखे हुए एक बड़े से पत्थर पर बैठकर अपने पैरों में पहन रखे जूते और मोजे उतारने लगा।

‘रमेश, हम लोग गाँव के बाहर स्थित मंदिर में देव को आमन्त्रण देने जा रहे है। यह हमारे परिवार की परम्परा है। लड़की की शादी में बारात आने के पहले देव को बुलाया जाता है। तू तो यहां रहता नहीं इसलिए शायद यह सब अब याद न हो तुझे।’ तभी ताऊजी ने घर में से निकलते हुए मुझे देख कहा।

‘जी, मैं आ रहा हूं ताऊजी।’ अपने पैरों के जूते निकालते हुए मैंने कहा।

‘तू नहीं आएगा तो चलेगा। वैसे भी कल रात हल्की सी बारिश होने से बाहर कीचड़ हो गया है। तेरे पाँव गन्दे हो जाएंगे।’ मेरी बात सुनकर ताऊजी ने कहा और मेरे उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना वे वहां से चले गए।

तभी मेरे चचेरे भाई की पत्नी बाहर आंगन में कुछ लेने आई। मुझे देखकर वह ठिठक गई और फिर हड़बड़ाते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गई।

‘अरे देवर जी ! आप यहां इस खुले पत्थर पर काहे बैठ गए ? आपके कपड़े गन्दे हो जाएंगे। आप वहां उस कुर्सी पर जाकर इत्मिनान से बैठिए।’ भाभी की बात का मैं कुछ जवाब नहीं दे पाया और इतनी देर में घर के सारे पुरुष काफी आगे निकल गए। मन मसोसकर मैं टेन्ट के नीचे लगी कुर्सियों में से एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया। तभी मेरी नजर वहीं मुझसे कुछ दूर बैठे मेरे दोनों बच्चों पर पड़ी।

‘अरें ! तुम दोनों यहां बैठकर इस मोबाइल के साथ अकेले क्या गेम खेल रहे हो ? घर में तुम्हारे चाचा, ताऊ और बुआ के सारे बच्चें इक्कठा हुए है। उनके साथ जाकर खेलो।’ मैंने उन्हें अकेले मोबाइल में खोए हुए देख कर कहा।

‘ओह नो डैड। दे ऑल आर डर्टी एण्ड पुअर। कह रहे थे हमें उनके संग अगर खेलना हो तो हमें हमारे जूते और मोजे निकालने होंगे। यू नो, बाहर कितना गन्दा है। शूज निकाल दिए तो पैर गन्दे हो जाएंगे।’ अपनी बड़ी बेटी का जवाब सुन मेरे ज़हन में दस साल पहले इस गाँव को छोड़कर अमेरिका जाते हुए कहे गए मेरे वाक्य अनायास ही तैर गए।  

‘मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चें गरीबी की झलक भी देखे। यहां इण्डिया में रहा तो मेरी सारी जिन्दगी पापा की तरह गरीबी से लड़ते हुए ही गुज़र जाएगी।’ 

आज मन चाहा रूपया बटोर कर वापस अपनी धरती पर पैर रखने के बाद अब तक अपने ही लोगों द्वारा किया जा रहा औपचारिकतापूर्ण व्यवहार देखकर मुझे महसूस होने लगा रिश्तों और अपनेपन को पीछे छोड़ मैं और मेरा परिवार आज पहले से और ज्यादा ग़रीब हो चुका था ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational