गणेश हाथी
गणेश हाथी
आज गाँव में फिर हाथी को लेकर महावत आया था I मैं बचपन से हाथियों को बड़ी उत्सुकता से देखते आ रहा हूं I पर आज मैं अंतर मन से पहली बार देख रहा था ,बचपन में दूर से देखा करता डरा हुआ पर पिछे पिछे चलता गाँव के हर घर से लेकर गाँव से बाहर जाते तक उसके बाद हाथी की छवि गायब हो जाता I और आज सिर्फ अपने दरवाजे पर देखा पास से मेरे द्वारा धान दिए जाने के बाद दो मुट्ठीभर धान खाकर मुझे आशीर्वाद देते तक पर उस हाथी की छवि मेरे मन मस्तिष्क पर आज भी बस गयी है I
गांव में जब फ़सल पक जाती है तब महावत लोग जंगल के हाथियों को जो उनके द्वारा ट्रेंड किया हुआ होता है को गाँव गाँव घुमा कर हर दरवाजे पर खड़ा कर उपज धान या गेहूं मांगने निकलते हैं I गाँव में हाथियों को गणेश के रूप में मानते हैं जिस कारण लोग सूप जो बांस से बना एक किसानों का धान सफाई ,चावल आदि की सफाई में प्रयुक्त एक पात्र होता है मे धान अपने हैसियत के अनुसार देते हैं जिसमे से वे महावत दो मुट्ठी हाथी को खिला कर आशिर्वाद देने के लिए कहता है , हाथी के उपर बैठा महावत अंकुश को उसके सिर पर चुभो कर उससे आशिर्वाद दिलवाने का काम करता है I ,ये प्रक्रिया हर दरवाजे पर दोहराया जाता है I लोगों की आस्था हाथी को हाथी के रूप में नहीं देख,गणेश समझ कर आशीर्वाद पाने में होती है I
उस हाथी के दर्द को कौन समझे जिसे अपने साथियों से दूर कर एक मुठ्ठी अन्न के लिए शांत और जंगल प्रिय जीवन से दूर कर दिया जाता है I उस मानव के कंगाली को दूर करने के लिए जो एक बलशाली बुद्धि सम्पन्न है और पूरे प्रकृत्ति को भी उसके मुँह में एक साथ झोंक दें तो भी उसका पेट भरने वाला नहीं I
