गंगा [27जून]
गंगा [27जून]
मेरी प्रिय संगिनी,
आज बातें करते हैं पाप और पुण्य की, हम में से कई लोग सोचते हैं कि, जन्म जन्मांतर तक पाप करने के बाद, अगर हम गंगा में एक डुबकी लगा लेंगे, तो हमारे सारे पाप धुल जाएंगे, और हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी, परंतु उनकी अवधारणा बहुत गलत है, पाप की सजा मिलती जरूर है, चाहे हम जितना भी गंगा स्नान कर लें।
अगर हमारा मन निर्मल नहीं, तो गंगा स्नान का कोई फायदा नहीं, इसीलिए कहा भी जाता है कि, मन चंगा तो कठौती में गंगा, गंगाजल को इतना पवित्र क्यों माना गया है, वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि, गंगा के पानी में बैक्टीरिया को मारने का अद्भुत गुण है, इसमें "बैक्टीरियोफेज" नामक वायरस पाया जाता है।
जो कि बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है, इसीलिए सालों साल गंगाजल घर में रखने पर भी, इसमें कीड़े नहीं लगते हैं, तथा इसके हिमालय से आने के कारण कई तरह की खनिज और जड़ी बूटियों का असर भी इस जल में होता है, इसीलिए इसमें औषधीय गुण भी है।
आज का "जीवन संदेश"
गंगा की तरह हमारा मन भी निर्मल और निश्छल होना चाहिए, तभी हम उनकी तरह पवित्र हो पाएंगे।
आज के लिए बस इतना ही, मिलती हूँ कल फिर से, मेरी "प्यारी संगिनी"।
