Kameshwari Karri

Inspirational Others

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ग़लतफ़हमी का शिकार

ग़लतफ़हमी का शिकार

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प्राची का बस स्टाप आ गया था और बस में ही उसकी आँख लग गई थी । सालों से इसी बस स्टाप पर उतरती थी इसीलिये कंडक्टर ने उसे ज़ोर से हिमायत नगर कहकर आवाज़ लगाकर उठाया था । प्राची कंडक्टर को धन्यवाद कहते हुए उतरती है और अपने घर की तरफ़ जाते हुए सोच रही थी कि मालूम नहीं घर की क्या हालत होगी । पहले सासु माँ बहुत मदद कर देतीं थी पर जब से विमला जी पड़ोस में आई सासु माँ के तेवर भी बदल गए हैं पर क्या करूँ वैसे भी तीन साल के रेयान की वे ही देखभाल करती हैं प्राची बहुत सोचती है कि बस इसी साल रेयान घर पर रहेगा अगले साल दोनों एक ही बार स्कूल जाकर एक साथ वापस आएँगे । अभी तो रिया भी स्कूल से आकर दादी के साथ ही रहती है । सासु माँ पहले तो रिया के आते ही उसके कपड़े बदलकर उसे कुछ खिला देतीं थीं और दोनों बच्चों के साथ खेलती भी थीं । आजकल विमला सुबह से यहीं पड़ी रहती हैं ।उनकी बहू नौकरी नहीं करती है इसलिए पूरे घर को वही सँभालती है और विमला जी मेरी सास से उसकी बुराई करती रहती है और क्या क्या कहतीं हैं मालूम नहीं पर मेरी सासु माँ तो बदल गई हैं ।दुख होता है कि क्या कहूँ वे तो बड़ी हैं तब भी सुबह का सारा काम कर देती हूँ ।रेयान को नहलाने का काम रिया को तैयार करके स्कूल आटो में बैठाकर तब ऑफिस जाती हूँ । सरकारी नौकरी है इसलिए छोड़ने का मन नहीं करता है । कमल कॉलेज में फ़िज़िक्स के प्रोफ़ेसर हैं कॉलेज के बाद एम सेट के लिए ट्रेनिंग भी देते हैं ।इसलिए उन्हें आते आते रात के नौ बज जाते हैं । यह सोचते सोचते जैसे ही उसने घर में कदम रखा था तो देखा रिया ने स्कूल यूनिफ़ॉर्म नहीं उतारा है और रेयान के साथ मिट्टी में खेल रही है जैसे ही प्राची घर में घुसती है विमला अपने घर की तरफ़ चली जाती है ।रोज़ का यही सिलसिला था । प्राची फ़्रेश होकर बच्चों को भी नहलाकर दूध गरम करती है और उन्हें दूध देकर चाय बनाकर सासु माँ को देकर खुद भी पीती है । रिया से उसका होमवर्क कराते हुए ही रात का डिनर भी बना देती है । सात बजते ही दोनों को खिला कर खेलने के लिए कहते हुए दूसरे दिन सुबह के लिए तैयारी करती है । पहले इन सब में सासु माँ मदद करतीं थीं पर आजकल नहीं करतीं हैं । 

दूसरे दिन सुबह सासु माँ ने कमल से कहा कि उन्हें मामा जी के यहाँ जाकर दस पंद्रह दिन रहना है क्योंकि उनसे मिले बहुत दिन हो गए हैं। कमल ने कहा माँ पर बच्चे कहाँ रहेंगे ।मैं तो छुट्टी भी नहीं ले सकता हूँ ।प्राची को बुलाया प्राची माँ मामा जी के यहाँ जाना चाहती हैं तुम दस पंद्रह दिन छुट्टी ले सकती हो । प्राची ने कहा नहीं कमल मुझे छुट्टी तो नहीं मिलेगी पर कोई बात नहीं है पिछली गली में मेरी कजन मीना है न उसके घर में रेयान को छोड़ दूँगी और रिया के ऑटो वाले से कह दूँगी शाम को वहाँ उसे छोड़ दे । मैं ऑफिस से आते समय दोनों को ले आऊँगी । उन्हें जाने दीजिए थोड़ा उनके लिए भी चेंज रहेगा । बस बात हो गई इसलिए सासु माँ ने अपने भाई के घर के लिए टिकट बुक करा लीं । कमल को प्राची इसीलिए अच्छी लगती है क्योंकि वह पेनिक नहीं होती है बात को मिनटों में सुलझा देती है । 

विजया अपने भाई के घर पहुँच जाती है । असल में विमला ने ही उसे उकसाया था कि अपने भाई के घर चली जा तब तेरी बहू को तेरे बारे में पता चलेगा । तेरे न रहने पर उसे आटे दाल का भाव मालूम हो जाएगा । नौकरी करते हुए घर का काम करना कितना मुश्किल होता है । यह बहुएँ हमें गुलाम बना देतीं हैं और सोचती हैं कि हम उनके लिए कुछ भी कर देंगे क्योंकि उन्होंने हमें वारिस दिए हैं । उन्हें नहीं मालूम कि ऐसे नहीं चलता है । हमने भी वारिस दिया है पर मजाल है कि सास के सामने मुँह खोलें । मेरी सास तो मुझे उँगलियों पर नचातीं थीं । अब मेरी पारी है ।मैं क्यों चुप रहूँ ।इसलिए मैं तो अपनी बहू को हवा भी नहीं देती हूँ ।सारा काम और बच्चों को सँभालने का काम उसे अकेले ही करना पड़ता है ।मैं तो उसकी तरफ़ आँख उठाकर भी नहीं देखती हूँ ।हाँ मुझे समय पर कुछ नहीं मिला तो उसकी हालत ख़राब कर दूँगी ।यह उसे मालूम है इसलिए डरते हुए मेरा सारा काम कर देती है । तेरी बहू तो नौकरी भी करती है ।उसे तो बाहर की हवा भी लगती है ।इसलिए तुझे और संभलकर रहना चाहिए ।समझी न चल भाई के घर जाकर मजा कर यहाँ के बारे में तेरे आने के बाद मैं तुझे सब बताऊँगी समझ गई न । विजया हँसते हुए उसकी हर बात सुनती है और भाई के घर के लिए रवाना हो जाती है ।बच्चे भी बॉय कहते हैं और कहते हैं दादी जल्दी आ जाइए हमारा मन नहीं लगेगा आपके बिना । 

विजया ख़ुशी ख़ुशी भाई के घर पहुँच जाती है । विजया ने देखा भाभी कमजोर दिख रही है ।चेहरे पर मुस्कान थी पर ऐसे लग रहा था जैसे बेजान है । दो दिन बहुत अच्छा लगा क्योंकि बहुत सारी बातें थीं जिन्हें हम करने लगे थे । तीसरे दिन विजया दोपहर में सो रही थी कि बाहर से आवाज़ें सुनाई दे रही थी । भाई की बहू संचिता भाभी पर चिल्ला रही थी कि स्कूल से आने के बाद बच्चों के कपड़े क्यों नहीं बदले । भाभी कह रही थी कि संचिता !!रोज तो बदलती हूँ न बेटा आज रसोई का काम ज़्यादा होने से नहीं कर पाई वैसे भी उसे आए हुए दस मिनट ही हुए हैं न । संचिता तो सुनने को तैयार नहीं थी ।वह पढ़ी लिखी थी और बहुत पैसे वालों के घर से आई थी ।इसलिए उसे घमंड था और वह सब पर हुक्म चलाती थी । दिनभर फ़ोन पर बातें करना या किटी पार्टी में घूमना यही उसका काम था । 

विजया सोचने लगी कि प्राची तो सरकारी नौकरी करती है और बच्चों को देखना , खाना बनाने से लेकर सारे काम वह अकेले ही करती है पहले तो मैं कुछ मदद कर देती थी आजकल मुझे शिकायत ही रहती है कि मुझे बहुत काम करना पड़ता है । विजया को लगा कि मैंने अपने हीरे जैसी बहू की कद्र नहीं की है ।वह भी उस विमला की बातों में आ गई थी । इसीलिये कहते हैं कि सुनी हुई बातों का असर बहुत जल्दी होता है ।अब उन्हें घर जाने की जल्दी होने लगी । दूसरे दिन ही उन्होंने भाई से कहा कि भाई मेरा टिकट करा दे मैं घर जाती हूँ बच्चों की बहुत याद आ रही है । भाई भी बहन को अपनी मजबूरी नहीं दिखाना चाहता था क्योंकि उन्हें मालूम है कि बहू को उनके मायके वालों के सिवा किसी और का घर आना पसंद नहीं है ।इसलिए दो दिन में ही घर में कांड कर देती है ताकि आने वाले भाग जाए ।इसलिए उन्हें मालूम है कि कल का काँड बहन को भगाने के लिए था । भाई था इसलिए कहा कि दो दिन और रुक जाती तो ….. विजया ने देखा बहू ख़ुशी ख़ुशी कह रही थी ।क्या पापा जी आप भी जब उन्हें नहीं रहना है तो आप ज़बरदस्ती क्यों कर रहे हैं । बुआ जी मैं आपका टिकट करा देती हूँ आज के लिए ही ।आप बेफिक्र रहिए ।कहते हुए ही उसने फ़ोन पर किसी से कहा दस मिनट में टिकट बुक हो गया । विजया ने भाई भाभी से दो दिन आकर रहने के लिए कहा । उनके कुछ कहने के पहले ही बहू संचिता ने कहा वे लोग आ गए तो कैसे चलेगा बुआ जी घर का काम बच्चों का काम कौन करेगा । 

विजया ने कुछ नहीं कहा और स्टेशन के लिए निकल गई । मन ही मन सोचने लगी कि मैं अपनी बहू के साथ कितना ग़लत कर रही थी ।वे प्रायश्चित करना चाहती थी ।उन्हें लग रहा था कि अभी तक हैदराबाद क्यों नहीं आया । इसी उधेड़बुन में वह कब सो गई पता ही नहीं चला । सुबह स्टेशन में गाड़ी के रुकते ही अपना बैग लेकर ऑटो में घर की तरफ़ बढ़ गई । विजया ने डोर बेल बजाया । बहू उठ गई थी ।उसका खाना बन रहा था ।जैसे ही प्राची ने दरवाज़ा खोला विजया ने उसे गले लगा लिया ।प्राची ने कहा माँ आप फ़ोन कर देते तो कमल स्टेशन आ जाते थे न ।अरे नहीं प्राची मेरे लिए शहर नया है क्या रुक मैं फ़्रेश होकर आती हूँ ।जब तक विजया फ़्रेश होकर पहुँची प्राची ने चाय बनाई और दोनों के लिए लाई ।दोनों ने चाय पिया । विजया ने कहा प्राची तुझे देर हो रही है तू जा फ़िक्र मत कर मैं बाक़ी काम सँभाल लूँगी । प्राची आश्चर्य से विजया को देखने लगी । शाम को जब प्राची घर पहुँची तो उसे लगा यह मेरा ही घर है न एकदम साफ़ सुथरा …बच्चे भी नहा धोकर तैयार थे ।रिया होमवर्क कर रही थी । उसके आते ही विजया ने दोनों के लिए चाय बनाया ।प्राची ने कहा मैं बना देती थी विजया ने उसे बात करने नहीं दिया और कहा प्राची मैं भटक गई थी बेटा मुझे माफ़ कर दे । मैं ख़ुद भी नौकरी करती थी ।मुझे सारी तकलीफ़ें मालूम थी फिर भी मैं दूसरों की बातों में आ गई थी । प्राची को बहुत अच्छा लगा कि उसके घर की ख़ुशियाँ फिर से वापस आ गई हैं । प्राची ने भी विजया के लाख मना करने पर भी एक हेल्पर को रखा जो रेयान को सँभालती थी और घर में खाना बनाने में भी मदद कर देती थी ।जिससे विजया को आराम मिलने लगा । विजया के आते ही विमला पहुँच गई पर विजया ने उन्हें समझाया कि बहू हमारी दुश्मन नहीं है कि हम उससे बदला लें ।वह हमारे बुढ़ापे का सहारा है ।आज आप उनके लिए करेंगी तो कल वह हमारे लिए करेगी । अगर आप सिर्फ़ बातें करेंगी तो आप हमारे घर आइए पर बहू की चुग़ली करनी है तो सॉरी मैं आपका साथ नहीं दूँगी । 

दोस्तों सुनी सुनाई बातें अच्छी लगती हैं पर थोड़े समय के लिए ही ।उन पर ध्यान देकर अपनी हँसती खेलती ज़िंदगी को बरबाद न करें । विमला जैसी तो बहुत मिलेंगी पर विजया जैसे सोच कर देखें । 

दोस्तों परिवार की ख़ुशियाँ ढूँढने पर बाज़ार में नहीं मिलती हैं । हमें खुद उन्हें अपने व्यवहार के द्वारा अपने घर लाना है । छोटी छोटी ग़लतियों को नज़रअंदाज़ करते हुए कुछ ऐसे समाधान निकालने की कोशिश करें कि घर के बड़ों को भी तकलीफ़ न हो और आपका काम भी आसानी से हो जाए । 


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