“गलतियाँ और अपराध” (संस्मरण)
“गलतियाँ और अपराध” (संस्मरण)
मैं इसी ग्रह का प्राणी हूँ ! मैं कोई महान आत्मा नहीं हूँ ! कोई दिव्य ज्ञानी नहीं हूँ ! पर इतनी तो समझ हैं कि गलती और अपराध अलग अलग श्रेणी में आते हैं ! गलतियाँ क्षम्य होती हैं और अपराध दण्डनीय होता है! गलतियाँ सबसे होती हैं ! बचपन से लेकर वृद्धा अवस्था तक मनुष्य कुछ ना कुछ गलती करता ही है ! इन गलतिओं को इंगित करने वाले हमसे श्रेष्ठ लोग समाज में होते हैं और समय -समय पर अपनी हिदायत देकर गलती करने वालों का मार्ग दर्शन करते हैं !इस तरह हम अपनी गलतियों को सुधारते हैं और समाज में सकारात्मक छवि बनाते हैं !
बात यह स्पष्ट है कि हमारे समाज में हठधर्मी ,अशिष्ट और नकारात्मक छवि की कमी कभी ना रही ! वे हरेक दौर में पाए जाते थे और हैं ! समाज की संरचना इनके बिना अधूरी मानी जाती है ! इन्हें यदि अपराधी के श्रेणी रखा जाय तो कोई अनुचित नहीं होगा ! बस एक बात तो हमें माननी पड़ेगी कि इनके दर्शन पहले बहुत कम होते थे पर आज इस डिजिटल युग में अधिकाशतः इनके दर्शन पग -पग पर होने लगते हैं !..... दो साल पहले की बात है ! सेवानिवृत लव कुमार मिश्र अभियंता मेरे फेसबूक मित्र बने ! बैंगलुरु में रहते थे ! वे मित्रता से आकर्षित होकर मेरे घर पधारे ! सेवा किया ! सारा शहर घुमया ! बाद में पता लगा वे मेरी रचना चुरा कर अपना नाम देकर लेखक के रूप में प्रस्तुत कर रहे थे ! इसे हम अपराध कहते हैं जिसे शायद ही मैं क्षमा कर पाऊँ !
व्यक्तिगत प्रहार ,अपशब्द बोलना और किसीके दिलों को दुखाना मौखिक तौर पर कालांतर में शायद लोग भूल भी जाएं पर इस डिजिटल दौर में आप लिखकर प्रहार ,अपशब्द बोलना और किसी का दिल दुखाना पूर्णतः अपराध माना जाएगा और वे दण्ड के प्रतिभागी माने जाएंगे ! इन सब विकल्पों का चयन और प्रयोगों से शायद ही कोई मित्र आपके साथ रह सकेंगे ! सकारात्मक ,शिष्टता ,मृदुलता और आपसी ताल -मेल पर ही डिजिटल मित्रता टिकी रहती है !...... वर्षों तक डॉ सिंह जी के फेसबूक सहकर्मी रहे ! उनकी विद्वता के चर्चे सारे राज्य तक फैले हुए थे ! मैंने उन्हें महानायक मानने लगा !
समय बीतता गया ! पर उनका एक शब्द एक दिन मेरे कमेन्ट बॉक्स को झकझोर कर रख दिया ! होली के हुड़दंग के नृत्य को उन्होंने " नटुआ नाच " कह दिया ! साधारण व्यक्ति कोई कह दे तो नज़रअंदाज़ कर सकते थे पर ये तो मेरे आराध्य महानायक हैं ! मेरे तर्क के बाद उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की ,पर आपके मुँह से अपशब्द निकले और वो भी लिखित ? महानायक ,विद्वान ,लेखक ,कवि ,चिकित्सक और श्रेष्टतम व्यक्ति के एक नकारात्मक शब्द हृदय को छलनी कर गया ! मैंने इसे अपराध की श्रेणी रखा और दंड स्वरूप अपने लिस्ट से अनफ्रेंड कर दिया !डिजिटल मित्रता में यदि मन उचट गया तो लाख कोशिश के बावजूद भी पुनः उन्हें मित्र के सूची में लाना असाध्य है ! रूठने मनाने का अब युग नहीं रहा ! विश्व के कोने -कोने में डिजिटल मित्रता बाहें फैलाए खड़ी है ! समान विचारधारा और पारदर्शिता को ही डिजिटल मित्रता में स्थान है !फेसबूक रंगमंच के हम ही वकील हैं और हम ही न्यायधीश हैं ! छोटी -मोटी गलतिओं को नज़र अंदाज़ करना चाहिए ! परंतु गलती जब अपराध का स्वरूप अख्तियार कर ले तो हमें वकील बनके इसकी तहकीकात करें और फेसबूक दंड संगहिता के तहद उचित और संतोषप्रद दंड देना चाहिए !=======================
डॉ लक्ष्मण झा " परिमल "
