गलती day-25
गलती day-25
"बायोमेट्रिक अटेंडेन्स की रिपोर्ट ज़रा मेरे कक्ष चैम्बर में भेजना। ", राघव ने अपनी निजी सेक्रेटरी को फ़ोन करके कहा।
राघव का मूड बहुत ही खराब था। कंपनी के सेल्स फिगर लगातार गिरते ही जा रहे थे। आज वाईस प्रेसिडेंट (सेल्स एंड मार्केटिंग ) ने सुबह -सुबह राघव को झाड़ दिया था। राघव मैनेजर (मार्केटिंग एंड सेल्स ) था और उसके पास 8 लोगों की टीम थी ;जिन्हें वह लीड कर रहा था। मैनेजर कम लीडर, राघव पर अपनी परफॉरमेंस सुधारने का बहुत ही दबाव था।
वाईस प्रेसिडेंट (सेल्स एंड मार्केटिंग ) ने उसे अप्रत्यक्ष रूप से कह भी दिया था कि उसकी खराब परफॉरमेंस का असर आने वाले प्रमोशन पर भी पड़ेगा। राघव को अपनी सारी मेहनत पर पानी फिरता हुआ नज़र आ रहा था। अपने दिन के 18 घंटे राघव कंपनी को दे रहा था। विज्ञापन, विभिन्न ऑफर आदि का असर सेल पर नहीं पड़ रहा था।
उसने कितनी बार ही दबे हुए शब्दों में वाईस प्रेसिडेंट (सेल्स एंड मार्केटिंग ) को समझाने की कोशिश की कि, "सर, केवल मार्केटिंग और ऑफर से सेल नहीं बढ़ेगी ;हमें अपने उत्पाद की गुणवत्ता पर भी थोड़ा काम करना चाहिए। "
"अगर उत्पाद की गुणवत्ता पर ही निवेश करना होता तो तुम्हारी -मेरी क्या जरूरत है ?तुम्हारी ऐसी नकारात्मक बातों का सेल्स पर बुरा असर पड़ता है। अगर तुमने अपना रवैया नहीं बदला तो हमें जल्द ही कुछ सोचना पड़ेगा। ",वाईस प्रेसिडेंट ने कहा।
"सर, मेरा मतलबा वह नहीं था। उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाना भी मार्केटिंग का एक तरीका ही है। अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद को माउथ पब्लिसिटी का फायदा होता है और ग्राहक भी खुश होता है। रिकर्सिव सेल्स भी होती है। ",राघव ने एक बार फिर समझाने की कोशिश की।
"तुम अपनी मार्केटिंग स्किल्स अपने पास रखो। तुमसे बढ़िया कॉलेज से मैंने मार्केटिंग मैनजमेंट की डिग्री ली है। मार्केटिंग का सबसे बड़ा उसूल है, "जो दिखता है, वही बिकता है। " ग्राहक को अपने उत्पाद के बारे में लगातार बताते रहो। ग्राहक उत्पाद को भूल न जाए ;अपना फोकस इसी पर रखो।ग्राहक तो उत्पाद खरीदकर ही खुश हो जाता है। ",वाईस प्रेसिडेंट ने कहा।
"जी सर। ",बॉस इज ऑलवेज राइट, यह सोचकर राघव ने चर्चा समाप्त करने के लिए कहा।
"अपने काम पर फोकस करो। ",वाईस प्रेसिडेंट ने कहकर चर्चा को विराम दे दिया था।
अपने बॉस से झाड़ खा चुके राघव को भी अपनी भड़ास कहीं निकालनी ही थी। सामान्यतया बॉस से मिली स्वयं की प्रशंसा हम अपने तक ही सीमित रखते हैं ;लेकिन बॉस से मिली डाँट का असर हमारे हर अधीनस्थ तक होता है। इसीलिए राघव ने अपने टीम के हर सदस्य की बायोमेट्रिक अटेंडेंस मँगवा ली थी। सभी लोग समय पर थे ;लेकिन अंशुल 30 मिनट्स देर से आया था। अंशुल क्लाइंट सपोर्ट में था और अच्छा काम करता था।
लेकिन आज अंशुल देर से आया था। राघव ऐसी अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं कर सकता था। उसने तुरंत अंशुल को अपने चैम्बर में बुलाया और कहा, "अंशुल,समय पर ऑफिस आया करो। श्रीवास्तव सुबह से फ़ोन किये जा रहा है ;अभी तक उसकी सप्लाई रिप्लेस क्यों नहीं की ? तुम्हारी इसी लापरवाही के कारण हमारी सेल लगातार गिरती जा रही है। "
"सर, मेरी मम्मी की तबियत खराब है और वह हॉस्पिटल में एडमिट है ;बस इसलिए थोड़ा सा लेट हो गया। ",अंशुल ने रूँधे गले से कहा।
"बहाने बनाना तो कोई तुमसे सीखे। जाओ अपना काम करो। ",राघव ने डाँटते हुए कहा।
"सर, यह सच है। ",इतना सा कहकर अंशुल निकल गया था।
अंशुल चला गया था और राघव अपने काम में व्यस्त हो गया। कुछ घंटों बाद जब राघव का मूड थोड़ा सा ठीक हुआ ;तब राघव ने पिछले एक महीने का बायोमेट्रिक अटेंडेंस रिपोर्ट मँगवाया और देखा कि, "अंशुल पिछले 4 -5 दिन से देर से आ रहा है।"
राघव ने अपनी निजी सेक्रेटरी को बुलाकर पूछा, "अंशुल की मम्मी कौनसे हॉस्पिटल में है ?एक बार सारी डिटेल्स तो मालूम करो। "
"सर क्या हुआ ?अंशुल जब से आपके चैम्बर से बाहर निकला है ;बड़ा ही दुःखी है। उसकी मम्मी भी कुछ दिनों से हॉस्पिटल में एडमिट है। बेचारा काम के कारण छुट्टी भी नहीं ले रहा था। घर में वह और उसकी छोटी बहिन ही हैं। ",निजी सेक्रेटरी ने कहा।
पहले से ही सुबह की घटना को लेकर शर्मिंदा राघव ने सेक्रेटरी से कहा कि, "तुम हॉस्पिटल की और दूसरी डिटेल्स लेकर आओ। एक बात का ध्यान रखना कि अंशुल को पता नहीं चले कि मैंने तुमसे सारी डिटेल्स माँगी है। अब तुम जाओ। "
"जी सर। ",निजी सेक्रेटरी ऐसा कहकर चली गयी थी।
"मैंने बिना बात ही अंशुल को इतना डाँट दिया। वह पहले ही इतने मानसिक तनाव में है। एक बार भी उसकी मम्मी के स्वास्थ्य के बारे में नहीं पूछा। मुझे अपने अधीनस्थ से ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। अंशुल एक जिम्मेदार और गंभीर कर्मचारी है। ",राघव सुबह की घटना के बारे में सोच रहा था।
मुझे अपनी सुबह की गल्ती सुधारने के लिए कुछ करना होगा। राघव ने कुछ सोचते हुए अपनी पत्नी को फ़ोन लगाया और कहा कि, " रश्मि, आज शाम को तैयार रहना;कहीं जाना है। मैं थोड़ा जल्दी आ जाऊँगा। "
राघव ने जल्दी -जल्दी अपने काम निपटाने शुरू किये और लंच टाइम में भी काम से अवकाश नहीं लिया ताकि शाम को जल्दी निकल सके।
राघव ने अपने प्रतिदिन के समय से कुछ 30 मिनट पहले ही दफ्तर छोड़ दिया। राघव अपने चैम्बर से निकल रहा था ;तब उसकी नज़र अपनी डेस्क पर काम करते हुए अंशुल पर पड़ी ;अंशुल बड़ी तल्लीनता से अपना काम कर रहा था।
राघव ने घर पहुँचकर अपन पत्नी रश्मि को साथ में लिया और निकल गया।
अंशुल भी अपना काम समाप्त करके ऑफिस से सीधे ही हॉस्पिटल भागा। जब अंशुल हॉस्पिटल पहुँचा तो देखा कि उसकी बहिन आशिमा बाहर फ़ोन पर बात कर रही है। अंशुल पर नज़र पड़ते ही आशिमा ने फ़ोन रख दिया और अंशुल की तरफ बड़ी उत्साहित होकर भागी।
उसके कुछ बोलने से पहले ही अंशुल ने कहा ,"आशिमा, मम्मी को अकेला छोड़कर यहाँ क्या कर रही है ?"और अपनी मम्मी के कमरे की तरफ पैर बढ़ा दिए।
मम्मी के कमरे में राघव और उसकी पत्नी रश्मि को देखकर अंशुल एक हर्षमिश्रित आश्चर्य से भर उठा।
"भैया, यही तो कह रही थी कि मम्मी अकेले नहीं है। ",आशिमा ने कहा।
"अंशुल, सुबह तुम्हें कुछ ज्यादा ही बोल दिया था। ",राघव ने कहा।
"कोई बात नहीं बेटा ;बड़ा भाई तो छोटे को डाँट ही सकता है। ",अंशुल की मम्मी ने कहा।
"कोई बात नहीं सर। ",अंशुल के पास अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए शब्दों का दुर्भिक्ष सा पड़ गया था। लेकिन अंशुल के अनकहे शब्दों ने राघव की गलती सुधार दी थी।
