ग़लत गठबंधन

ग़लत गठबंधन

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चंद पलों की बेनाम ख़ुशियाँ एक ही पल में ज़िन्दगी भर के अहसास पुख्ता कर जाती है। मगर नामों वाले ग़म पूरी जिन्दगी को मिजरेबल बना देते हैं कुछ इस तरह कि उसे बयान करना भी हो जाता है बहुत ही मुश्किल। अब जरा सोचिए - जिसे बयान करना इतना मुश्किल है तो सहन करना भी मुश्किल तो होगा ही बल्कि नामुमकिन ही होगा, लेकिन जो हो सहन तो करना ही पड़ता है न चाहते हुए भी। खासकर तब, जब गलत गठबंधन हो जाते हैं जिन्दगी के, फिर न तो वो सही मायने में जुड़ पाते हैं और ना ही टूटते हैं, गले की हड्डी बने रहते हैं और जब-तब चुभते रहते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था समीर के साथ, लेकिन क्यों ? उसकी तो लव-मैरिज थी, वो और रीमा एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे, रीमा ने तो पेरेंट्स के विरोध के बावजूद समीर से शादी की थी फिर क्या हुआ कि सात-आठ महीने में ही रिलेशन इतने बिगड़ गये जो आये दिन तू-तू , मैं-मैं होती रहती थी, ऐसे में ही तीन साल बीत गये एक साल भर का बच्चा भी था। पति-पत्नी दोनों सर्विस करते थे इसलिए किसी भी हालत में आर्थिक समस्या तो थी नहीं, फिर भी यह सब ? समीर बहुत ही सुलझा हुआ शख्स था, काफी हद तक एडजस्टमेंट भी करता था ताकि घर में शांति बनी रहे मगर ताली एक हाथ से तो नहीं बजती। रीमा पता नहीं क्यों इतनी असंतुष्ट थी, हर वक्त उसे समीर से शिकायत ही रहती, बात-बेबात समीर से लड़ना, उसकी इंसल्ट करना मानो उसका शगल था, उसकी दिनचर्या का हिस्सा था फिर भी समीर सब सहता, शालीनता से पेश आता। रीमा के लिए उसकी सहनशक्ति और शालीनता दिखावा व ढोंग के अलावा कुछ नहीं था, वैसे हर तरह से समीर ने कोशिश की रिश्ते को निभाने की लेकिन आखिरकार वो हार गया।

राहुल और वो दोनों बचपन के दोस्त थे घर में आना-जाना भी था रीमा तो उसके सामने, उसके क्या बल्कि किसी के सामने भी समीर को नीचा दिखाने से नहीं चूकती। राहुल उससे पूछने की कोशिश करता लेकिन समीर टाल जाता, बेचारा कहता भी क्या। अब राहूल ने भी ठान लिया था कि जानकर ही रहेगा। पता नहीं क्या सोचकर राहुल ने रीमा पर नजर रखनी शुरू की। परिणाम जो सामने आया वो तो भौंचक्का रह गया, समीर जब ये सब जानेगा तो उस पर क्या गुजरेगी। शांतनु से उसका चक्कर चल रहा था जो समीर और राहुल का कोमन फ्रेंड था, उसके साथ ? शांतनु भी ऐसा कैसे कर सकता है हम तीनों बचपन से साथ पले-बढ़े और ऐसा ? यही सोच सोचकर हैरान था राहुल, उसने पहले शांतनु से बात करना ठीक समझा, साथ ही रीमा से भी। पहले दोनों से अलग-अलग बात की। कुछ खास रिस्पोंस नहीं मिला तो दोनों से साथ में की। सुनकर तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई - रीमा और शांतनु दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे वो समीर और रीमा की शादी से बहुत पहले। शांतनु ने अभी तक शादी नहीं की थी, रीमा के इंतजार में था। रीमा ने समीर से बदला लेने के लिए उससे शादी की, प्यार का नाटक किया, बदला भी कितनी छोटी बात पर, लेकिन ईगो जो हर्ट हुआ था आज से तीन साल पहले समीर ने रीमा से रिश्ते के लिए मना कर दिया था जब रीमा का रिश्ता उसके लिए आया था लेकिन समीर अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर अपने पाँव पर खड़ा होना चाहता था, उसके बाद शादी। यह बात रीमा को लग गई उसे अपनी खूबसूरती का अपमान लगा। जाने कितने लड़के तैयार बैठे थे उससे शादी करने को और यह मरती थी समीर पर और शांतनु उस पर। रीमा ने शांतनु की कमज़ोरी का फायदा उठाया, उससे गठबंधन कर लिया कि वो उसका साथ देगा तो वह शत-प्रतिशत उसकी। शांतनु की दीवानगी की हद तो देखिए, सारी नैतिकताओं को ही ताक पर रख दिया। राज़ी हो गया एक बार भी नहीं सोचा कि खुद तो धोखा खा ही रहा है ऊपर से अपने बचपन के साथी को भी धोखा देने को तैयार हो गया। रीमा ने समीर से मेलजोल बढ़ाने शुरू किए फिर प्यार का नाटक, समीर को रीमा अच्छी लगने लगी, उसे तो यह भी पता नहीं था कि इसका रिश्ता तीन साल पहले आ चुका था। रीमा उसे अपने प्यार की अक्सर दुहाई देती, एक तो बला की खूबसूरत ऊपर से प्यार की पहल, सीधा-सादा समीर चारों खाने चित। दिल से चाहने लगा था पर दूसरी तरफ दोस्ती और प्यार में फरेब, रीमा के प्लान को कामयाबी मिली बंध गया गठबंधन।

एक महीना बड़े मज़े में गुजरा बाद में छोटी-मोटी खटपट होने लगी सात-आठ महीने होते-होते तो जिन्दगी नरक बन गई और पिछले इन तीन सालों में तो हालात बद से बदतर होते गए। अब शांतनु को शादी की जल्दी थी घरवालों के प्रेशर के कारण और ऊपर से रीमा चाहती थी कि समीर खुद उसे तलाक़ दे ताकि उसे मनचाहा हरजाना मिले, समीर सब झेल रहा था। लेकिन शांतनु को ये सब जानकारी नहीं थी। यह जानकर राहुल समीर के लिए परेशान हो गया, वैसे परेशान तो शांतनु भी था मगर रीमा के ऐसे खतरनाक इरादों से नावाकिफ था, वो भूल गया कि वो अपना उल्लू सीधा कर रही है। राहुल वस्तुस्थिति से समीर को अवगत कराना चाहता था लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। आखिरकार एक दिन उसने हिम्मत जुटा ही ली और समीर से इस सिलसिले में बात करनी चाही, वो रोज समीर से मिलता मगर हिम्मत थी कि लड़खड़ा रही थी। ऐसी ऊहापोह में उसने पूरे दो महीने गुजार दिये लेकिन अब तक बता नहीं पाया। आखिर एक दिन हिम्मत करके उसने समीर को सब बता दिया सुनकर समीर ने कोई रिएक्ट नहीं दिया तो राहुल हैरान रह गया, कुछ देर तो सकते में रहा, काफी देर बाद बोला - "तुम्हें पता है समीर, रीमा," आगे वो कुछ भी बोल ही नहीं पाया, वो कुछ कहे उससे पहले समीर बोला - "हां...सब जानता हूं लेकिन जाना भी तो शादी के पांच महीने बाद, फिर भी निभाने की कोशिश करता रहा हूं। हालांकि अच्छी तरह से जानता-समझता हूं कि कुछ नहीं होने वाला, जानते-समझते हुए भी अपने रिश्ते को मौका देना चाहता था, सो इस चाहत को अब भी पूरा करने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन अब वो कोशिश भी नाकाम होती जा रही है, ग़लत गठबंधन का अंजाम तो यही होना ही था। फिर रीमा ने तो जानबूझकर ग़लत गठबंधन जोड़ा था तो उसे अनचाहे अंजाम के लिए तैयार रहना ही होगा । वो तलाक़ चाहती है जो मैं नहीं देने वाला । जानबूझकर ग़लत गठबंधन जोड़ने का खामियाजा क्या होता है आखिर उसे भी तो पता चले और शांतनु को भी। फिर तुम तो इन दोनों के बारे में सबकुछ जानते ही हो, वो जानते-बूझते उसके प्यार के चक्कर में घनचक्कर बन गया, वो उसको अपने इशारे पर नचाती रही सिर्फ मुझसे बदला लेने के लिए, और उसने भी बिल्कुल ही नहीं सोचा - जो लड़की छोटी सी बात का बदला लेने के लिए शादी जैसे पवित्र बंधन का ग़लत इस्तेमाल कर सकती है, खुद को दाँव पर लगा सकती है, इश्क जैसे रूहानी जज्बे का इस्तेमाल कर सकती है, तुम्हारी भावनाओं को भुनाकर तुम्हारा फायदा उठा सकती है वो भला किसी की हो सकती है ? उसके लिए शांतनु ने अपने बचपन के दोस्त को भी धोखा दे दिया ? ऐसे रिश्ते का यही अंजाम ही तो होना था हर हाल में जो हुआ है। रीमा ने जानबूझ कर रिश्ता जोड़ा तो मैंने अनजाने में। घातक तो हम दोनों के लिए है, कहते हैं ना ‘’आटे के साथ तो घुन भी पिसता है।" शायद, ऊंहूं यकीन वो घुन तुम ही हो शांतनु, समीर जैसे खुद ही से बोला हो।" और फिर ठठाकर हँस पड़ा, राहुल हक्का-बक्का सा देखता रह गया।

                                                                                 


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