गिरेबान
गिरेबान
"मुझे तो समझ ही नहीं आता, सब कुछ ही तो है तुम्हारे पास। फिर जिंदगी से, इतनी शिकायत क्यों?"वंदना , रूचि को चाय का कप बढ़ाते हुए बोली।
"क्या सब है?ससुराल में सास ससुर की चलती है, और मायके में भैया भाभी की। अब बता मैं ही एडजैस्टमैंट करती रहूं। बस हर जगह सुनते ही रहो। "रूचि कुछ अजीबोगरीब अंदाज में बोली।
"क्या बात कर रही है रूचि? ये तो जबरदस्ती के कोढ उपजाने वाली बात है , अपनी जिंदगी में। तुम हो उनमें कि जो किसी की सुनोगी। मैं तुम्हें , तुम्हारा मायका, बचपन से जानती हूं। अंकल आन्टी ने तुम्हें पूरी आजादी दे रखी थी। भाई थोड़ा बहुत टोक देता था तुम्हें दोस्ती यारी में ज्यादा रहने के लिए, लेकिन वो तो, थोड़ा बहुत हर भाई करता है। क्योंकि वो केयर करता था तुम्हारी। भाभी के आने के बाद तो, उसने भी टोका टाकी बंद कर दी। रही बात ससुराल की मेरी, नजर से देखो तो ऐसी परफैक्ट ससुराल किसे मिलती है? तुम तो, शादी के दिन से ही बेटियों की तरह रही हो वहां। किसी चीज की रोकटोक नहीं सास ससुर की तरफ से, पति का फुल सपोर्ट। ऐसा नहीं होता तो, रह पाती 16 साल अकेले अपने पति के साथ अपने मन मुताबिक। अब जाकर तुम्हारे सास ससुर, तुम्हारे साथ रहने आये है, और तुम्हें दिक्कत शुरू हो गयी। "वंदना ने रुचि की जिंदगी के कुछ पहलू की तरफ इशारा करते हुए उसे सकारात्मक पहलुओं के दर्शन कराने की कोशिश की।
"तुम तो रहने ही दो तुम्हें तो कुछ भी खराब नहीं लगता कभी भी। खासकर मेरी जिंदगी में। हद है यार। "कहते हुए रूचि , वंदना की बात को भी नकारात्मक दृष्टिकोण देने लगी।
"सच में हद है यार, तुम्हें ना हर किसी को बुरा ठहराकर अपनी ही बातों को, ऊपर रखने की आदत हो गयी है तुम्हें । जब तुम मायके, में थी , तब तुम्हें अपने मम्मी , पापा , भाई का रवैया बुरा लगता था। कि वो तुम्हें बहुत कंजरवेटिव तरीके से रखते है, ये अलग बात है कि तुम्हारे रहन सहन में कभी वो दिखा नहीं हमें। फिर तुम्हारी भाभी आयी , तो, वो तुम्हें खटकने लगी, आन्टी के इस दुनिया से, चले जाने का दु:ख जरूर था तुम्हें, लेकिन तुमने उस में भी अपनी भाभी को बुरा साबित करने के लिए, सिम्पथी ढूंढ ही ली। जबकि उन्होंने तुम्हारे प्रति अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभायी। फिर शादी हुई तो तुम अपने ससुराल को लेकर बैठ गयी। कभी सास ससुर की मीन मेख निकालना, जबकि उनके साथ तुम रही भी नहीं। यहां तक कि तुमने तो अपने पति को भी नहीं छोड़ा , उसकी बुराई करती रही कि ममा बाॅय है, जिम्मेदार नहीं है। तुम्हें क्या लगता है कि मुझे नहीं पता कि तुमने तो मुझे, भी नहीं छोड़ा। मैं तुम्हें कभी कुछ सही सलाह दे दूं तो तुम तो मेरे लिए भी बोल देती हो पीठ पीछे । "वंदना ने रूचि के बचपन की दोस्ती के फर्ज के तौर पर आईना दिखाने की कोशिश कि।
"तुम तो मेरे ही पीछे पड़ गयी। कैसी बात कर रही हो? थोड़ी बहुत बुराई तो, हर कोई करता है। इसमें गलत क्या है?"रूचि ऊंची आवाज में वंदना से बोला।
"इसमें गलत सिर्फ ये है कि, कि सबको गलत साबित करके हम खुद को सही साबित नहीं कर सकते। क्योंकि जब हम किसी को बुरा साबित करते है , तो सामने वाला इंसान कम ही इतने बेवकूफ होते है कि अपनी नजर से दुनिया को ना तौलें। तुम्हें तकलीफ इस बात की नहीं है कि तुम्हारी नहीं चलती, बल्कि इस बात की है कि अब सब तुम्हें जान गये है, और कोई तुम्हारी इज्जत नहीं करता । शायद सिर्फ निभा रहे है तुम्हे। "कहते हुए वंदना रूचि को हिकारत भरी नजरों से देखती है।
"जब बात चली है , तो एक बात और तुम्हारी किस्मत अच्छी है कि तुम्हारे मायके से ससुराल, और ससुराल से मायके तक बातों का आदान-प्रदान नहीं होता। या ये कहो कि तुमने अपनी चालाकी से कभी दोनों घरों में वो तालमेल बनने नहीं दिया क्योंकि तुम बीच में घुसी रहती हो, अपनी आदतों की वजह और डर की वजह से। वर्ना जो थोड़ा-बहुत निभाह है ना तुम्हारा, वो भी ना रहे। कभी अपने गिरेबान में झांककर भी देख लिया करो, अब सास ससुरआ गये तुम्हारे साथ रहने तो वो बुरे हो गये। हद नहीं है किसी बात की। "कहते हुए वंदना ने मुंह बना लिया। रूचि कुछ देर हतप्रभ सी वंदना को देखती रही। "मैं चलती हूं। "अपना पर्स उठाकर बाहर की तरफ निकल गयी, वंदना ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं कि। उसके जाने के बाद वंदना एक गहरी सांस लेते हुए सोफे पर टेक लगाते हुए बैठी रही। उसे रूचि के साथ उसके रिश्ते के टूटने का ना तो अफसोस था, ना ही दु:ख।
दोस्तों,
हमारे आस-पास, या हमारे साथ भी कई लोग ऐसे होते है जो खुद को बेचारा साबित करके , अपने आस पास के सभी लोगों कि इमेज को, अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण बुरा बनाने की तरकीबों में लगे रहते है। उन्हें अपने इस दोगलेपन, और चालाकी के अलावा दुनिया भर के लोगों से परेशानी होती है। आप भी उनकी तरह बनें ये समस्या का हल नहीं है बल्कि उन लोगो से दूरी बनाये रखे यही एक हल है। यह बात अलग है कि ऐसे लोग वक्त की धूरी पर एक समय बाद अकेले रह जाते है, लेकिन तब तक कभी कभी ये किसी इंसान की इमेज को बहुत नुकसान पहुंचा चुके होते है , इसलिए उचित समय पर दूरी बना लेना ही अच्छा है। आपकी राय का इंतजार रहेगा।
