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Rashmi Nair

Drama Inspirational

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Rashmi Nair

Drama Inspirational

घरकी बहू

घरकी बहू

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बस्तीवाले बदरी को शराबी पति की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराने लगे। वो अपने आसपास के लोगों और पास-पडौसियों को समझाती पर उसकी कोई नहीं सुनता। जबकि उसकी मौत देसी शराब पीकर नाव चलाते समय संतुलन बिगडकर नदी में गिरने से हुई।


डॉक्टर साहबने भी यही कहा। पर ये अनपढ गवाँर डॉक्टर साहब की बातें क्या जाने ? वो तो बदरी को ही दोषी मानते थे क्योंकि वो दूसरी बस्तीकी थी। इसलिए सब उसके खिलाफ हो गए। उसका घरसे निकलना मुश्कील हो गया था।


जहाँ कहीं भी वह नजर आती उसे कुल्टा-कलंकिनी कहकर पुकारते। वह बेचारी चुपचाप अपना काम निपटाकर अपनी छोटीसी झोपडी में आकर फुट-फुटकर रो पडती। उसे कई तरह से तंग किया जाने लगा। एक दिन तो हद ही कर दी थी। उसे बस्तीसे बाहर निकालने पर ही तुल गए।


उसके बचपन के साथी, मनकु की माँ, को इस बातकी डाकियेसे खबर मिली। उससे रहा नहीं गया क्योंकि बचपन में ही मन ही मन बदरीको अपनी बहू मान लिया था। मनकु के साथ उसे खेलते देख वह बहुत खुश होती। पर इससे पहले कि वो बदरीके माता-पितासे बात करती, उसकी शादी हो जाने की खबर मिली।


मनकु को पता चला तो उससे भी रहा नहीं गया। वो उसके गाँव जाने ही वाला था कि उसकी माँ ने उसे बडी मुश्कील से संभाला और रोक लिया। पर आज हालात बदल चुके थे।उसके माता-पिताभी नहीं रहे। वो अकेली पड गई जिसके कारण उसे यातना का शिकार होना पडा। वह तुरंत ही उसकी बस्ती में पहुँच गई। उसके साथ मनकु भी आरी लेकर चल पडा।


देखा, तो बदरी के आंगन में उसका सारा सामान बिखरा पडा। वह झोपडी में बिलख-बिलखकर रो रही थी। उसकी दिल दहला देनेवाली आवाज सुनकर भी किसी को उसपर तरस नहीं आ रहा था। दोनों ने उसे एक के बाद एक बुलाया पर बदले में अंदरसे सीर्फ रोने की आवाज आती रही।


मनकु की माँ ने अंदर जाकर बदरी को समझाया और खुद दरवाजे पर डंडा लेकर खडी हो गई मनकु से कहा, “मनु चल बदरी का हाथ थाम ले। मैं भी देखती हूँ कोई क्या करता है?”


"अच्छा मां,” कहकर वो अंदर गया। मनकु ने अपने गमछे से बदरी के पल्लुसे गांठ बांध ली। भगवान के पास रखे कुमकुम से मांग भरी। उसे अपनी ब्याहता बनाकर बाहर आया और गरजकर बोला, “है कोई माई का लाल, जो बदरी को बस्तीसे निकाल सके? अरे तुम क्या उसे बस्ती से निकालोगे? मैं खुद उसे ब्याहकर ले जाता हुँ। अब तो मैया ने भी हां कर दी है। सुना तुम लोगोने? चलो हटो रास्तेसे!”


फिर पीछे मुडकर बदरी से बोला, "चल बावरी, तू आजसे हमारे परिवार के साथ रहेगी, हमारे घर में हमारे घर की बहू बनकर। देखता हुँ कोई क्या कर लेता है ?”

    

उसके हाथ में आरी और माँ के हाथ में डंडा देखकर सब डर गए। उनको ऐसा लगता था कि बदरी को बचानेवाला कोई नहीं। जब मनकु और उसकी माँ को देखा तो सबकी आँखे फटी की फटी रह गई। सन्नाटा छा गया। पल में ही सब तितर-बितर हो गए।

और वो नई दुल्हन को लेकर अपने घर खुशी-खुशी आ गये। जहाँ मनकु की बहन आरती की थाली लिए उनका इंतजार कर रही थी।


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