घरौंदा
घरौंदा
आज विधि और विहान अपने लिए गए प्लॉट पर भूमि पूजन के लिए जा रहे थे, दोनों बहुत खुश थे,आखिर उनका घरौंदा बनने जा रहा था। विधि ने पण्डित जी से पूछकर आज का शुभ मुहूर्त निकाला था।
उनके वहाँ पहुंचने से पूर्व ठेकेदार भी मजदूरों के साथ वहाँ पहुँच चुका था। विधि पूजा की सामग्री निकालकर पूजा की तैयारी कर रही थी।
तभी ठेकेदार ने आकर कहा, भैया आप भूमि पूजन कर लो फिर हम सबसे पहले यह आम का पेड़ काट देंगे।
विधि ने हतप्रभ होकर कहा- क्यों ? किसी हरे-भरे पेड़ को कैसे काट सकते हैं हम।
ठेकेदार कान खुजलाते हुए बोला- मैडम वैसे भी वह पेड़ हमारे प्लॉट की सीमा में आता है। अगर उसे बचायेंगे तो बाउंड्री वॉल पीछे करनी होगी।
विधि ने विहान को कहा देखो उस पेड़ पर गौरैया अपना घोंसला बना रही है, हम इतने स्वार्थी नही बन सकते कि अपना घरौंदा बनाने के लिए उसका घोंसला उजाड़ दे। विहान ने भी मुस्कुराकर विधि की बात को सहमति दी। ठेकेदार से विहान ने कहा बाउंड्री वाल पीछे कर लो पर पेड़ मत काटना।
फिर दोनों ने भूमिपूजन किया।
ठेकेदार ने जाते-जाते सुखिया से परिचय करवाते हुए कहा- विहान सर ये सुखिया है, यह अब यहीं रहेगा। दिन में मजदूरी करेगा और रात को रखवाली।
विधि ने पलटकर देखा तो सुखिया की बीवी अपने दूधमुँहे बच्चे के लिए उसी आम के पेड़ पर झूला बाँध रही थी। एक तीन साल की बेटी मिट्टी में खेल रही थी।
विधि ने ठेकेदार से कहा- पहले एक छोटा सा टिन शेड बनवाइये ताकि सुखिया का परिवार उसमे रह सके। वैसे भी मानसून आने वाला है। फिर हमारे घर का काम शुरु कीजियेगा।
विहान मुस्कुराते हुए गाड़ी के शीशे में विधि के चेहरे की मुस्कान देख रहा था।