गहने ही तो थे
गहने ही तो थे
सुनीताजी के घर बड़े बेटे की शादी के रिशेप्शन में आई महिलाएँ दुल्हन के सुंदर और क्लात्मक गहनों को देखकर साथ लाए हुए दहेज़ का अंदाजा लगाकर थोड़ी ईर्ष्या भी कर रही थी।
सब महिलाओं के जाने के बाद अंकिता अपनी सास को उनके गहने लौटने लगी तो सुनीताजी ने कहा"ये गहने तो खानदान की पहचान होते हैं,तुम अभी नई दुल्हन हो अभी तुम पहनो फिर ज़ब छोटी बहू आए तो उसे पहना देंगे ताकि लोग समझें कि दोनों पक्ष धनवान है"
फिर धीरे से बोलीं,"वैसे ये गहने नकली हैँ"
इस बात पर दोनों हँस पड़ी।
