गब्बर का गुस्सा
गब्बर का गुस्सा
महीना खत्म होने को है सभी गांव वाले परेशान हैं अब तो बच्चों के भूखे मरने की नौबत आ रही है गब्बर सिंह का आतंक बढ़ता ही जा रहा है उसके आदमी हर महीने आकर बहुत सारा अनाज ले जाते हैं।
ठाकुर की हालत देखकर किसी के अंदर भी हिम्मत नहीं है कि गब्बर का विरोध कर सकें गांव वाले उसके सामने सर उठाने की बिल्कुल हिम्मत नहीं करते हैं। जय वीरू ने आज सबको एक साथ बुलाया है।
"आप लोग में से किसी के दिमाग में कोई आईडिया है तो बोलिए......" जय ने अपनी रोबदार आवाज में कहा।
"मैं कुछ कहना चाहता हूँ......." एक बुजुर्ग बोले तो बाकी लोग जोर से हँस पड़े।
"शांत हो जाओ तुम सब........" वीरू ने सब को डांटा।
"चाचा तुम बोलो।" वीरू अपने चिर परिचित अंदाज में बोला।
बुजुर्ग ने बोलना शुरू किया कि बहुत पहले कभी एक कहानी सुनी थी कि एक राजा ने बारातियों के सामने शर्त रखी कि तुम्हें जितने बकरे हम खाने को कहेंगे उतने बकरों का मांस खाना पड़ेगा अगर नहीं खाया तो दंड मिलेगा। बकरों की संख्या इतनी अधिक थी के सभी डर गए उनको लगा अब तो दंड भुगतना ही पड़ेगा।
तभी उनमें से ही किसी ने कहा ठीक है हम सारे बकरों का मांस खा जाएंगे लेकिन हमारे तरीके से बनाना पड़ेगा पहले एक बकरा काटो उसको बनाकर हमारे सामने पेश करो उसके बाद दूसरा फिर तीसरा और यह तरीका अपनाने के कारण ही वह सारे बकरे खा गए थे। शर्त में राजा को हार हुई थी।
ऐसे ही गब्बर के तीन या चार लोग ही आते हैं गांव में अनाज लेने हम सब डर जाते हैं अगर हम सब एक साथ मिलकर उनका सामना करें और उन को बंदी बना लें उनके घोड़े खाली भेज दे तो गब्बर को लगेगा कि वह लोग मर गए हैं शायद उसकी ताकत कुछ कम हो जाए।
जय को तरीका पसंद आ गया उसने बोला वो वैसा ही करेंगे।
कुछ दिनों के बाद गब्बर के चार-पांच आदमी आए आज गांव वाले अंदर दुबकने की बजाय बाहर निकले और एक साथ उनका सामना किया जय वीरू ने भी उनका साथ दिया और उन लोगों ने पांचों के पांचों को बंदी बना लिया खाली घोड़े गब्बर के पास भेज दिए।
गब्बर को खाली घोड़े देख कर बहुत झटका लगा।
"खाली घोड़े आदमी कहाँ गए……" गब्बर गुर्राया।
"क्या मारे गए होंगे……." साम्भा ने शंका जताई।
"नहीं इतनी हिम्मत कोई नही कर सकता........" गब्बर दहाड़ा और घोड़े पर सवार होने लगा।
साम्भा बोला "हम सब चलते है........."
"जो डर गया, वो मर गया मैं इन टुच्चे गाँव वाले से नहीं डरता, मेरे पीछे कोई न आये मैं अकेला ही काफी हूँ……" बोल गब्बर घोड़ा दौड़ाता निकल गया।
जय-वीरू को अंदाजा था गब्बर के आदमी आएंगे लेकिन गब्बर आएगा इस का अंदाजा नहीं था।
उसको अचानक देख सकपका गए लेकिन वह टिक नहीं पाया जय और वीरू के सामने तो पकड़ा गया।
सब जोर से बोले, "बोलो कितना इनाम रखी है सरकार तुम पर......"