फ़रिश्ता

फ़रिश्ता

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वानटेड वानटेड वानटेड ,,,,शहर के हर एक रास्ते पर पोस्टर लगे हुए थे, जिस किसी को भी ये अपराधी दिखाई दे तो शहर के किसी भी पुलिस चोकी में खबर करें। हुलिया,,,, पोस्टर पर स्केच बना हुआ था। नाम:::: जसवंत ।उम्र :::40 के करीब।

       काफी दिनो से इस शहर और आस पास के शहरो में तहलका मचा रखा था, आए दिन लुट-पाट ,चोरी अपहरण बलात्कार जैसी खबरे उसकी मिडीया व अखबारों में आती रहती थी। काफी दिनो से ये सब चल रहा था पर जसवंत पुलिस के हाथ नही आ रहा था । वो बहुत ही शातिर था जुर्म कर वो सबूत नही छोड़ता था, पुलिस जब तक घटना स्थल पर पहुँचती, वो अपना काम कर निकल चुका होता । पुलिस को चकमा देते देते और खुद का भंडार भरते भरते वो नही थका था।

     इस अपराधी की एक खास बात ये थी की ये कभीे बच्चे व बुढ़ो को नुकसान नही पहुँचाता था । बीच की उम्र वाले ही इसके शिकार होते थे । जसवंत को इस बात का कोई अफसोस नही होता था कि वो लोगो को शारीरिक कष्ट दे रहा है।

       एक बार एक स्कुल बस में किसी वजह से आग लग गई। बच्चो की बस जिस रास्ते से गुजर रही थी, उसी रास्ते से जसवंत एक जुर्म को अंजाम दे के आ रहा था, बस में आग लगी देख वो उनकी मदद करने लगा। बच्चो को बचाते बचाते वो खुद आग की चपेट में आ गया अधजली हालत में भी वो बच्चो को बस से बाहर निकाल रहा था। दमकल भी वक्त पर नही पहुँच पाई थी । सबको निकालते निकालते उसकी हालत खराब हो रही थी, पर वो अपनी परवाह किए बगैर लगा रहा। बच्चे तो सारे बचा लिए कुछ बच्चो को हल्की चोट पहुँची पर वो मोत के करीब आ गया। अब दमकल और एम्बुलैंस भी आ गई । पर देर हो चुकी थी । जसवंत के साथी भी इस काम में मदद कर रहे थे पर उन्हे कोई खास तकलीफ नही हुई। जसवंत को एम्बुलैंस में ले जाया गया । तत्काल में उसका इलाज शुरु हुआ । पर वो जिंदगी और मोत के बीच झुल रहा था।

आज तक उसने सिर्फ जुर्म ही किए थे , सभी के मन में ये सवाल उपज रहा था, क्युं इसने अपनी जान जोखिम में डाल कर बच्चो को बचाया । उसकी इस दरिया-दिली पर लोग अचम्भित थे। मिडीया में ब्रेकिंग-न्युज बन गई थी ये खबर । हर एक चैनल बस यही दिखा रहे थे क्या हुआ आखिर जो ऐसा हुआ । सबकी जान से खिलवाड़ करने वाला आज जान बचा गया मासूमो की। ना जाने कितने माता-पिताओ की दूआ हो गी इसके साथ ।

आज कोई नही दिल से चाह रहा था कि जसवंत पकड़ा जाए और उसे सजा हो ।

   जब थोड़ा खतरे से बाहर आया वो तो डाक्टर्स ने उससे बात करनी चाही , पूछा कैसे है आप ,,,, जवाब में उसने आँखों के इशारो में ‘ हाँ ‘ कहा,,,। एक डा० ने कहा,,,,, आप पर मुकदमा चल रहा है ।आप वानटेड की सूची में हो फिर भी भागने की बजाय ,आप ने वहाँ बच्चो की जान बचाई क्यों ।

    आश्चर्य में हूँ। लम्बे समय से आपका केस चर्चा में है। ये सुनते ही जसवंत की आँखे भीग गई ,,,, लड़खड़ाते शब्दो में कहा ,,,, मैं नहीं चाहता कि जैसे मैं तड़पा हूँ अपनी बच्ची की मौत पर ,,,वैसे कोई और माँ- बाप भी तड़पे । और फुट फुट कर रोने लगा डा० ने पुछा क्या हुआ था उसको ,,,, ?  

   एक दुर्घटना में वो चली गई 8 साल की थी। मैने अपने अपराधो की गिनती में एक भी अपराध ऐसा नही किया जिससे बच्चो बूढ़ो को तकलीफ हुई हो। कहते कहते उसकी सांसे उखड़ने लगी।  वो अपनी बात पुरी नही कर पाया था धड़कन तेज होने लगी डा० घबरा गए शायद बचना मुश्किल है। बगल में खड़े पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा,,,, मैं तुम्हारी सरकार से कह कर कुछ सजा कम करवाऊँगा । तुमने अच्छा काम किया है आज, पर जुर्म भी तो किया है । शायद तुम्हारी कोई मजबुरी रही होगी या कोई इंतकाम लेना होगा किसी से पर जसवंत खुश था अपनी सांसो से ,,,,, उसकी आत्मा बस ये ही कह रही थी बार बार ,,,,,,!


          वाह क्या हसीन मौत आई है


          गुनाहों की हुई विदाई है


          मर चुका था कब का जमीर


         आज तो लाश की विदाई है

             

         मेरे कर्मो का लेखा ज़ोखा


         बांच तो जरा मेरे पास आ के


        साँसो से की कीतनी कमाई है


         कितने दर्द लिखे है किस्मत में


         तू बता मेरी होनी कब रिहाई है


         ऐ मौत के फ़रिश्ते देख जरा


        आज मेरी रुह तेरी रुह में समाई है!

          

        आज मेरी रुह तेरी रुह में समाई है!


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