एनकाउंटर ....

एनकाउंटर ....

4 mins
228


एनकाउंटर ....

फ्लाइट रीशेड्यूल हुई थी। बैगेज कलेक्ट करते हुए रात्रि के 1.35 हो गए थे, तभी अनिल से शुभि की बात हुई थी। उसने चिंता जताई थी तो शुभि ने कहा था - नहीं नहीं, इतनी रात में आप नहीं आओ, मेरी लोकेशन तो शेयर है ही, मैं कैब की पिक व्हाट्सएप करती हूँ। बस अभी 40 मिनट में तो पहुँच ही जाऊँगी।

कैब का ड्राइवर पहचाना हुआ था। दो-तीन बार पहले भी इस कैब की सवारी वह कर चुकी थी। ड्राइवर भी पहचान गया था, उसने मुस्कुराया था। देख प्रत्युत्तर में शुभि ने भी होले से मुस्कुरा दिया था। कैब चल पड़ी थी। पिछला पूरा दिन हेक्टिक रहा था। रात भी बहुत हो चुकी थी। ड्राइवर से भी आश्वस्तता थी। इन सब परिस्थितियों में, कैब के चलने के कुछ ही मिनट में उसकी आँख लग गई थी।

शुभि की नींद तब खुली थी, जब उसे अपने शरीर पर किसी के हाथों का स्पर्श अनुभव हुआ था। इससे शुभि, एकबारगी तो सहमी, फिर सम्हली और फिर समझी। उसने तुरंत खतरे को भाँप लिया था। आँख खोलने में शीघ्रता नहीं की थी। पहले समझ लिया था कि

कैब रुकी हुई है, यहाँ ट्रैफिक का शोर नहीं है। कैब हाईवे से अलग किसी वीराने में ले आई गई है, ऐसा प्रतीत हो रहा था। हरकत जो कर रहा है, वह ड्राइवर ही है। कैब में दूसरा और कोई नहीं है। इतना समझने के बाद बिना डरे, दिमागी सक्रियता से कुछ तय किया था, फिर आँख खोली थी। 

तब ड्राइवर ने उसे जाग जाते हुए देखा था। यह देख, होले से शुभि मुस्कुराई थी। ड्राइवर को शुभि की प्रतिक्रिया अनुकूल लगी थी। शुभि ने धीरे से उसके हाथ, अपने शरीर से हटाये थे। उससे थोड़ी दूर खिसक गई थी। फिर हँसते हुए कहा था मेरी बात तो सुनो!

शुभि, ड्राइवर को भ्रम देने में सफल हुई थी। ड्राइवर को लगा था, मंतव्य पूरे करने के लिए जबरदस्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वासनायुक्त मुद्रा में उसने हँसते हुए कहा था - हाँ सुनाइये। तब, शुभि ने कहा था - भैया आप यह जानलो कि मैं 1 आर्मी ऑफिसर की पत्नी हूँ। 

ड्राइवर थोड़ा डरा था और उससे थोड़ा दूर खिसका था। शुभि ने कहना जारी रखा था- मेरी लोकेशन, मेरे हस्बैंड से शेयर है और इस कैब का पिक्चर, मैंने पहले ही उन्हें व्हाट्सएप कर रखा है। उन्हें अब तक मालूम हो चुका होगा कि कैब मार्ग से हट कर खड़ी है, चल नहीं रही है। 

(इधर यह सब चल रहा था, उधर शुभि की प्रतीक्षा में अनिल को झपकी लगी हुई थी। )

अब यहाँ, ड्राइवर भौंचक्का डरा हुआ, शुभि को सुन रहा था। शुभि कह रही थी- भैया, आप जल्दी कैब चलाइये और हाईवे पर मेरे घर के रास्ते पर लौटिए। नहीं तो, भगवान न करे, मेरे हस्बैंड पुलिस लिए यहाँ पहुँच जायें और आप एनकाउंटर में मार दिए जाओ। 

यह सुन ड्राइवर आतंकित हुआ, यह सुनते ही ड्राइवर पर चढ़ा वासना का ख़ुमार उतर गया था। वह तुरंत गेट खोल सामने ड्राइविंग सीट की तरफ बढ़ा था। इधर शुभि भी, उतर सामने की, उसके साथ वाली सीट पर आ गई थी। 

शुभि अब ड्राइवर की कॉउंसलिंग करना चाहती थी ताकि वो इस गंदी फितरत से हमेशा के लिए तौबा कर ले।

अब, ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर ली थी और हाईवे की तरफ बढ़ा दी थी। इस सबसे शुभि को चैन आया था। 

जिस नीयत से, शुभि सामने आ गई थी, उसी अनुसार, उसने पुनः आगे बात करनी आरंभ की - भैया, समझ लो, आज आप एक लगभग निश्चित एनकाउंटर में मारे जाने से ही बचे हो। सोचो, अगर मारे जाते तो क्या होता?

ड्राइवर के चेहरे पर इस कल्पना मात्र से, अति भयाक्रांत हो जाना  परिलक्षित था। वह, एकाएक कुछ कह नहीं सका था। फिर कुछ मिनट सोचता रहा था, शुभि अब निर्भया थी। ड्राइवर ने कोशिश कर अपने डर को नियंत्रित किया था।

कैब चलाते हुए ही एक हाथ से, शुभि के चरण स्पर्श करते हुए बोला था -

माफ़ करना बहन, मुझसे बहुत बड़ा अपराध हुआ है। मैं आदमी उतना बुरा नहीं हूँ। आपको सोता हुआ देख, मेरे मन पर एक वहशी मर्द हावी हो गया था। 

(फिर दयनीय स्वर में याचक भाव लिए ड्राइवर बोला था) 

बहन, मेरी रिपोर्ट न करना। सर (शुभि के पति के लिए संबोधित), को यह सब नहीं कहना। (रुआँसा हो आगे वह बोला था)


"मैं अगर आज मारा जाता तो मेरी पत्नी विधवा हो जाती। मेरा दो वर्षीय बेटा अनाथ हो जाता। मेरी छोटी बहन की शादी के लाले पड़ जाते। भगवान न करे मैं मर जाऊँ, नहीं तो हो सकता, पत्नी-बहन की इज्जत पर मुझ सा कोई वहशी, इस तरह गंदा हाथ डाल दे। माफ़ करना बहन, किस कारण में मारा गया, इसे जान कर कलंक एवं अति ग्लानि बोध से, सदमे में मेरी माँ ही कदाचित चल बसती


ड्राइवर, अपराध बोध से तथा घबराहट में और भी बहुत कुछ कहता रहा था । बार बार माफ़ी माँगता रहा था।

आज निडर रह अपनी सूझ बूझ से शुभि ने, न सिर्फ स्वयं को बचा लिया था अपितु, एक घिनौना अपराध होने से रोक लिया था, जिसकी दुःखद परिणिति उसकी नृशंसता से हत्या तक हो सकती थी।

शुभि को अब इस बात का भी संतोष हो रहा था कि, कामाँधता में भटक रहे देश के ही एक भाई को रेपिस्ट होने से उसने रोक लिया था।


"शुभि ने अपराधी का नहीं, अपराध का एनकाउंटर कर दिया था।"

घर के सामने कैब रुक गई थी, उतरते हुए वह सोच रही थी कि ड्राइवर का अपराध छोटा रह गया है, क्या इसकी सजा वह दिलवाये या इसे माफ़ करे? ...  

-



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama