sanjay godiyal

Abstract

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sanjay godiyal

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एनकाउंटर करो मगर प्यार से

एनकाउंटर करो मगर प्यार से

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ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और चारों तरफ सन्नाटा।खामोशी को चीरती हुई बुलेट की आवाज और सनसनाती हुई हवा।महावीर ढोंडियाल अपनी गर्लफ्रेंड अवंतिका के साथ नागिन सी रेंगती हुई सड़क पर मोटरसाइकिल दौड़ा रहा था।बाइक पर पीछे बैठी अवंतिका महावीर के गले में बांहें डालकर चीढ़ के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की तरह महावीर को सपने दिखा रही थी।महावीर भी उसने अपने हाथों की जीवन रेखा मान चुका था।पहाड़ों पर परवाज भरती ये प्रेम कहानी जर्रे-जर्रे तक सुर्खियों में थी।अखरोट के छिलके से चढ़े रंग की तरह ये लव स्टोरी भी पहाड़ों पर हर किसी की जुबान पर थी..पौड़ी से लेकर कोटद्वार..रामनगर से बैजरों और श्रीनगर से जोशीमठ तक प्यार के पींघों के ही चर्चे थे।लोग समझ नहीं पा रहे थे कि जिस महावीर के नाम से पहाड़ों की हवा थम जाती है।पानी अपना रास्ता बदल लेता है।उस खूंखार शख्स को पतली और नासमझ दिखने वाली लड़की ने सम्मोहित कैसे कर लिया।लेकिन अवंतिका तो अपने नाम के विपरीत बेहद शातिर थी..उसके दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा था।जिससे पूरी वादियां थर्राने वाली थी।प्यार के जितने चर्चे अभी हो रहे थे उससे कहीं अधिक ये लव स्टोरी सुर्खियां बटोरने वाली थी। जिंदगी के सपने बुनते-बुनते अचानक बुलेट को झटका लगा।दोनों ख्वाब से बाहर आए तो वो मांडाखाल पहुंच चुके थे।मांडाखाल के मौड़ बेहद खौफनाक हैं।वहां गाड़ी चलाना आसान नहीं होता।लेकिन महावीर को तो आदत थी।उसकी बुलेट मांडाखाल के बैंड पर चक्कर काटते हुए ऊपर चढ़ रही थी।तभी एकाएक पुलिस की गाड़ियों की सायरन सुनाई दिए।महावीर चारों तरफ से घिर चुका था।एनकाउंटर पक्का था।महावीर को अपनी जिंदगी पर कम और अवंतिका पूरा भरोसा था।उसने अवंतिका को बुलेट से नीचे उतारा और मोटरसाइकिल को कंधे पर उठाकर पहाड़ों में पैदल ही जंगल की तरफ भाग गया।अवंतिका भी साये की तरह उसके साथ थी।उसको लगा वो पुलिस से बच गया।लेकिन वो गलत था।मौत तो उसके सामने साक्षात खड़ी थी।अब अवंतिका ने अपनी कमर से पिस्टल निकाली और महावीर के सीने में तीन गोलियां दाग दी।

सालों से पहाड़ों पर खौफ का कारोबार कर रहा महावीर खत्म हो चुका था।वादियों से गुंडाराज मिट चुका था।लेकिन पुलिस के लिए महावीर का अंत करना इतना आसान नहीं था।हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण जैसी सैकड़ों वारदात को अंजाम दे चुका महावीर की पुलिस को काफी वक्त से तलाश थी।वो बहुत शातिर था।लाख कोशिश के बावजूद पुलिस के हाथ उसके गिरेबान तक पहुंच नहीं पा रहे थे।फिर एसटीएफ ने गैंगस्टर महावीर का केस इंस्पेक्टर अवंतिका को सौंपा।अंवतिका पहले भी ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दे चुकी थी।यहां भी महज तीन महीने में ही उसने पूरे मिशन को पूरा कर दिया।पहाड़ों से खौफ भले ही खत्म हो चुका था, लेकिन गैंगस्टर और खाकी की प्रेम कहानी आज भी अमर है।



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