मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार
एक छोटी सी चिड़िया से मुझे प्यार हो गया था..वो गौरेया हर दिन सुबह-सुबह मेरी बालकनी में आती..मैं भी उसके आने का इंतजार करता..बालकनी में उसके लिए दाना और पानी रखता..बाद में तो मुझे उसकी आदत हो गई..
अगर वो नहीं आती तो मैं बेचैन हो जाता..उसके आने भर से मुझे खुशी हो जाती..कुछ दिन बाद तो उसके आने भर से ही मुझे वक्त का अंदाजा भी होने लगा था...धीरे-धीरे ये प्यार हद से ज्यादा बढ़ गया..अब उसका भी आना जाना ज्यादा हो चुका था...अब तो वो मेरे परिवार की सदस्य सी लगने लगी थी..लेकिन एक दिन इस प्रेम कहानी का अंत हो गया..प्यार इतना बढ़ गया कि दुनिया की नजर लग गई..हर प्रेम कहानी में कोई ना कोई विलेन होता है..
मेरी और गौरेया की प्रेम कहानी में भी एक खलनायक आया..वो बाज था..हर दिन की तरह मेरा छोटा सा प्यार मेरी बालकनी में आया..मुझे अच्छे से याद है.. उस दिन गुनगुनी सी धूप खिली थी.. मैं उसके लिए कुछ लेने किचेन में आया ही था कि बाज आया और उसे ले गया..मैं सिवा छटपटाने के कुछ नहीं कर सका..
अपने पहले प्यार के इस तरह जाने का ग़म मुझे खाए जा रहा था..मैं उस वक्त को कोसने लगा..जब मैंने उसे अकेले छोडा था..कुछ दिन तो मैं डिप्रेशन में रहा..उसकी याद में मैंने खाना पीना छोड़ दिया..फिर एक दिन अचानक वो चिड़िया मेरी बालकनी में आयी..लेकिन इस बार वो अकेली नहीं थी.. उसके साथ वो बाज भी था...शायद वो चिड़िया मुझे ये कहने आई थी.. अब मैं खुश हूं..तुम भी खुश रहो और मुझे भूल जाओ..