vijay laxmi Bhatt Sharma

Drama

5.0  

vijay laxmi Bhatt Sharma

Drama

एकता

एकता

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दोनो में बड़ा प्रेम था पर आज कुछ अलग ही माहौल हो रखा था। अलग अलग घूम रहीं थीं दोनो और कुछ खुसर फुसर भी चारों तरफ हो रही थी अपने अपने हिसाब से दोनो के खेमे बन गए थे पर क्यूं कुछ समझ नहीं आ रहा था। खैर जो भी हो दोनो दुःखी थीं लेकिन एक दूसरे की शक्ल भी नहीं देखना चाहती थीं। वक्त गुजरता रहा मन की कड़वाहट तो कम नहीं हुई परन्तु दोनों अपने अपने काम मै व्यस्त हो गईं थीं। यदा कदा सामना होता तो ऐसे मिलती जैसे अजनबी हों। दोनों किस गलतफहमी का शिकार थीं पता नहीं। जी हां गलतफहमी ही कहेंगे अगर कोई बात होती तो दोनों ही उसकी तह तक जातिं और किसी निष्कर्ष पर पहुंचती।

ये दोनो तो एक दूसरे की खून की प्यासी हो गईं हैं और जैसे जो कहता उसी पर यकीन कर रहीं हैं। दुश्मनों के वारे न्यारे हो गए हैं अब दोनो को अपने अपने तरीके से भड़का रहे हैं समझा क्या रहे हैं भड़का रहे हैं और नतीजा ये की दूरियां बढ़ती ही जा रही हैं। खूब नोक झोंक होने लगी अब तो तकरार इतनी बड़ गई की अब दोनो के गुट बन गए। एक बहुत सुंदर छवि धूमिल हो गई।

प्रगति की राह पर जहां दोनो का नाम एक साथ लिया जाता था और उनके डिजाइन पसंद किए जाते थे अब वो भी कम हो गया क्यूंकि जिसको पूछो वो दूसरे के पास भेज दे। कस्टमर टूटने लगे बुटीक बन्द होने के कारगर पर आ गया पर दोनो को दुश्मनों ने इतना जकड़ रखा था की दोनो ट्स से मस नहीं हों रहीं थीं। इन सबमें ये हुआ की दूसरे खेमे के लोग जो दोनो को भड़का रहे थे उन्होंने है अपना बुटीक खोल दिया था और इस सबके चलते उन्होंने ही कस्टमर तोड़ने के लिहाज से दोनो सहेलियों में गलतफहमी पैदा कर दी थी जब उनकी किसी समझदार कस्टमर ने दोनो को बिठा कर बातों ही बातों में सारी कहानी बताई तो दोनों को एक एक कर सरी बातें याद आने लगीं।

पश्चाताप के आंसू बहने लगे। उन भद्र महिला ने दोनो की आंखें खोल दी थीं उम्र का तजुर्बा भी था सो उन्होंने एक सलाह भी दे डाली देखो बेटी जब दोनो अलग हुईं तो बुटीक बन्द होने को हो गया परन्तु जब एक साथ थीं मिलजुलकर एक दूसरे की सलाह से काम कर रहीं थीं तो सब खूब मजे में था इसलिए ही कहते हैं एक और एक ग्यारह होते हैं अब देखो दुबारा सब पहले जैसा ही हो जाएगा आपके कस्टमर आपको ही प्यार करते हैं आपके काम की इज्जत करते हैं। बस आपके व्यवहार से परेशान हो कर थोड़ा वक्त यहां वहां चले गए। दोनों को अपनी भूल का एहसास हो गया और बिना विचारे दूसरों की बातों का यकीन ना करने का प्रण कर दोनो गले लग गईं। अंत भला तो सब भला।


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