Samrat Singh

Romance Inspirational Thriller

4.5  

Samrat Singh

Romance Inspirational Thriller

एक सुखद मुलाकात

एक सुखद मुलाकात

11 mins
531


               (1)

नेहा और मनोज दोनों एक ही कॉलेज के एक ही कक्षा में पढ़ते थे। दोनों में बहुत सारी समानताएं थी जैसे दोनों को बाहर घूमना पसंद था, दोनों को विज्ञान में हो रहे प्रयोग के बारे में जानना पसंद था, दोनों की कल्पना शक्ति भी लगभग मिलती जुलती थी, दोनों के दोनों एक दूसरे की बातों, एहसासों और जज्बातों को समझ जाते थे। जिससे दोनों में पहले तो दोस्ती हुई और फिर प्यार...!!

  ऐसे ही एक दिन मनोज ने योजना बनाया की कहीं पहाड़ पर घूमने चलते हैं पर नेहा ने उसे पहाड़ पर जाने से मना कर दिया। फिर मनोज ने पूछा कि तुम ही बताओ कहाँ चला जाए पता नहीं क्यों नेहा ने अनायास ही बोल दिया कि अमेज़न के जंगल में, इश्क़ में डूबा हुआ मनोज चाह कर भी मना नहीं कर सका। कुछ ही दिन पहले दोनों ने एक मशहूर वैज्ञानिक का एक प्रयोग पत्र (रिसर्च पेपर) पढ़ा था जिसमें अमेज़न के जंगलों में किसी ऐसे अनजान जीव के होने की पुष्टि की गई थी जिसका वास्ता धरती से नहीं था।

               (2)

दोनों ने अपना वीजा, और पासपोर्ट तैयार कराया फिर अपने जाने की तैयारी में जुट गए समान और कपड़े के अलावा दोनों के पास कैमरा था जिसको दोनों ने रख लिया अपनी यादों को संजो कर रखने और जीवंत तथा यादगार बनाने के लिए। आखिर कुछ दिन इंतज़ार के बाद वो दिन आ गया जब वे दोनों अमेज़न जाने वाले थे और उस प्रयोग पत्र की बातें याद कर कर के उत्तेजित हो रहे थे। पूरे सफर में नेहा और मनोज बस उस अनजान जीव के बारे में बातें कर रहे थे। सफर काफी लंबा था इस लिए बातें भी बहुत हुई। दोनों की रुचि विज्ञान में थी ही इस लिए दोनों को इस विषय में और जानने की इच्छा हुई और यात्रा के दौरान ही दोनों ने बहुत रिसर्च किया उनको मालूम हुआ कि दुनिया के अलग अलग कोने में ऐसे बहुत ही किस्से कहानियां हैं यहाँ तक कि सैकड़ों फिल्में बन गई है इन कहानियों पर, पर किसी ने अभी तक इसकी शत प्रतिशत पुष्टि नहीं कि है। और जितना उनको जानकारी मिली उतनी ही उनकी उत्तेजना बढ़ती गई और उस अनजान जीव से लगाव भी। बहुत सारी बातें और काम से थकान के कारण नेहा मनोज के कंधे पर सर रख के सो गई। मनोज भी उसकी बालों को सहलाता हुआ नींद के आगोश में चला गया।

               (3)

जब नींद खुली तो देखा कि नेहा अभी भी सो रही है और शोर गुल की आवाज आ रही है शायद जहाज उतरने वाला था तभी आवाज आई कि यात्रियों से अनुरोध है कि अपने सीट की पेटी बांध लें जहाज उतने वाला है। खैर जहाज उतरा दोनों ने अपने पहले से बुक किये हुए होटल के लिए निकल गए। होटल पहुँच कर दोनों अपने अपने विचार में खो गए और रात कैसे हुई दोनों को मालूम ही नहीं चला। दोनों बहुत खुश थे कि अगले दिन दोनों को उस जगह का दीदार होगा जिसके लिए वो हजारों मिल की यात्रा कर के पहुँचे थे पर उनको ये मालूम नहीं था कि ये सफर उनके जीवन का दिशा और दशा दोनों बदल देगा।

उत्तेजना से दोनों को थकान के बाद भी काफी देर तक नींद नहीं आयी। बस दोनों अगले दिन क्या करेंगे कैसे करेंगे यहीं सोचते सोचते सो गए ख्वाब में भी दोनों को बस अमेज़न ही दिखाई दे रहा था वो भी अपनी परिकल्पना के जैसे मतलब जैसे वो सोचते थे बिल्कुल वैसे। एक तथ्य ये भी है कि सपने हमको वैसे ही आते है जैसी हम कल्पना कर सकते है अगर हम कल्पना नहीं कर सकते तो हमको सपने नहीं आएंगे।

              (4)

रात को देर से सोने के बाद भी नेहा और मनोज दोनों जल्दी उठ गए। उठ कर दोनों तैयार हुए और एहसास हुआ कि आज का मौसम कुछ ज्यादा ही सुहावना है सूर्य आज अलग ही चमक रहा है, हवा में आज अलग ही खुशबू है, पंछी आज ज्यादा ही कलरव कर रहे हैं, होटल के बगीचे में जो चमेली और गुलाब हैं वो अपनी खुशबू से वातावरण को मदहोश कर रहे हैं अचानक मनोज की नजर नेहा पर गई पता नहीं क्यों पर जिसको वो पिछले काफी दिनों से जनता था वो नेहा कुछ बदली बदली सी मनोज को लगी।

   आज नेहा कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी मनोज उसको रोज देखता था पर आज उसकी आँखें बस नेहा को देखे ही जा रही थी। खुले हुए कमर तक लंबे बाल जो किसी काले मेघों को भी लज्जित कर दे ।

नेहा की बलखाती कमर जो नागिन को शर्मिंदा करती हो, गोल गोल बड़ी बड़ी काली झील सी आँखें जिसमें आज कुछ ज्यादा ही गहराई दिख रही है। चाँद सा गोरा बदन जिसपर गुलाबी रंग का कपड़ा एक अलग ही रोमांच पैदा कर रहा था इसी सब खयालों में खोए हुए मनोज को कुछ ही पल हुए थे कि उधर से नेहा की आवाज आयी मनोज चलो देर हो रही है गाड़ी कभी से बाहर खड़ी इंतज़ार कर रही है।

मनोज को लगा जैसे वो नींद से जागा और अपना बैग उठा कर चलने के लिए तैयार हो गया। गाड़ी का जो चालक था वही उनका गाइड भी था अतः मनोज और नेहा उत्साह के मारे जंगल के बारे में उससे पूछे जा रहे थे और वो धीरे धीरे कर के बताते जा रहा था।

             (5)

पूछते और बातें करते हुए दोनों जंगल में पहुँचे

ड्राइवर ने गाड़ी पार्किंग में लगाई और उन दोनों को समझते हुए बोला कि ये रहा आप दोनों का महान जंगल आप जिधर मर्जी हो घूम सकते हो पर मेरे बिना इजाजत के किसी समान को हाथ मत लगाना, दोनों ने सहमति में सर हिला दिया। सुबह सुबह का समय जंगल में शीतल बयार चल रही थी पेड़ इतने घने थे कि सूरज की किरणें धरती तक नहीं पहुँच पा रही थी लगभग 70 लाख किलोमीटर में फैला ये वर्षा वन अपनी अलग ही अनोखी और अलौकिक खूबियों के लिए जगत प्रसिद्ध है जो भी जाता है कुछ न कुछ अलग ले कर के ही आता है हमारे नायक और नायिका खाली हाथ कैसे आ सकते थे। खूबसूरत पशु पक्षी पेड़ और जंगल झाड़ी को अपने कैमरे में कैद करते हुए दोनों को काफी वक्त बीत गया। इनका ड्राइवर बोला कि सर अभी लंच करते हैं पर इनको जंगल की खूबसूरती और जिज्ञासा से भूख प्यास नहीं लगी थी सो इन्होंने ड्राइवर को बोल दिया कि आप जा के खा आओ हमको भूख नहीं लगी है ड्राइवर ने समझाया कि सर ये मुमकिन नहीं मैं आप लोगों को अकेले छोड़ कर नहीं जा सकता पर ये लोग मानने को तैयार नहीं थे ड्राइवर को भूख लगी थी तो वो फिर से एक बार हिदायत दे कर चला गया कि कुछ भी वस्तु या कोई भी चीज मत छूना क्योंकि सब के सब रहस्यमय वस्तु या चीज है किसी से कुछ भी हो सकता है ।

              (6)

ड्राइवर के जाने के कुछ समय बाद इन दोनों को एक अजीब सा चमकता हुआ पत्थर दिखा जिसमें अलग रंग और अलग ही चमक आ रही थी। उत्सुकता बस दोनों उसके पास गए उसकी तस्वीर खिंची और ड्राइवर के मना कर के जाने के बावजूद उस पत्थर की सुंदरता ने उनको उसे हाथ में उठाने से नहीं रोक पाए।

          हाथ में उठाते ही अचानक से मौसम में बदलाव आने लगा जंगल के वातावरण में परिवर्तन होने लगा साथ में उस पत्थर में भी बदलाव आने लगा। अचानक से उनको ख्याल आया कि जैसे प्रभु राम के स्पर्श मात्र से पत्थर की बनी अहिल्या औरत बन गई थी ठीक वैसे ही मनोज के स्पर्श से वो पत्थर एक अजीबोगरीब जानवर का रूप ले लिया। नेहा इस सब का वीडियो बना रही थी और साथ में दोनों को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये हो क्या रहा है। वो जानवर मनोज के हाथों से घबराहट से छूट कर नीचे गिर गया। दोनों को के हाथ पैर कांप रहे थे। मानो ऐसा हो गया था कि काटो तो खून नहीं दोनों के शरीर में। कुछ भी दोनों में से कोई सोच पाता तबतक वो जीव थोड़ी दूरी पर जा कर रुक गया और उसमें परिवर्तन होने लगा। उसका आकार बढ़ने लगा तथा उसके रूप रंग में परिवर्तन होने लगा।

               (7)

करीब 4 फुट की ऊँचाई होने के बाद उसका विकास रुक गया। उसका शरीर किसी भी जानी पहचानी हुई वस्तु या जानवर से नहीं मिलता था, उसका रंग भी अजीब सा ही था जिसको दोनों में से कोई भी नहीं पहचान पा रहा था 2 पैर और 2 हाथ सामान्य ही थे बस बनावट का अंतर था, उसका चेहरा किसी अजीब सी सकल के किसी जानवर जैसा था जिसमें इंसान की छवि की हल्की सी झलक दिख रही थी। कुल मिला कर ना तो वो इंसान था और ना ही जानवर वो भी बना था पत्थर को छूने से। वो जानवर धीरे से मनोज के पास आया और उसका पैर पकड़ लिया जिससे मनोज और घबड़ा गया। वो चिल्लाना चाह रहा था पर डर के मारे उसकी आवाज नहीं आ रही थी साथ में वो डर के मारे भाग भी नहीं पा रहा था उधर नेहा जो वीडियो बना रही थी उसका तो और बुरा हाल था और यही सोच रही थी कि ये मुसीबत कहाँ से आ गई और आगे अब क्या होगा।

        चंद लम्हा ही पैर पकड़ने के बाद वो जानवर मनोज से दूर हो गया और मनोज की भाषा में ही बोला कि उसका नाम थिरेर है वो धरती से बहुत दूर से यहाँ आया हुआ था और उससे डरने की जरूरत नहीं है उसे भी नेहा की तरह अपना दोस्त ही समझे और वो वादा करता है कि वो कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा।

               (8)

थिरेर के ऐसा कहने पर दोनों को जान में जान आयी और दोनों थोड़ा सा सहज हुए फिर मनोज ने पूछा कि तुम मेरी भाषा कैसे बोल पा रहे हो तब थिरेर ने बताया कि उसने जो पैर पकड़ा था उससे उसको भाषा और मनोज के बारे में सब कुछ जानकारी मिली। फिर तीनों वहीं बैठ गए इधर नेहा का वीडियो रिकॉर्डिंग चल रहा था और मनोज तथा थिरेर की बाते भी चल रही थी।

मनोज- तुम कहाँ से आए हो..?

थिरेर- मैं अस्तविल ग्रह से आया हूँ।

मनोज- ये कहाँ है..?

थिरेर- ये डोलिड तारामंडल का एक ग्रह है।

मनोज- अपने ग्रह के बारे में बताओ..?

थिरेर- नहीं मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकता।

मनोज- ठीक है कोई बात नहीं ये बताओ कि तुम यहाँ कितने समय से हो...?

थिरेर- मैं यहाँ के समय के अनुसार 2000 साल से यही पर हूँ।

मनोज- अच्छा तुम पत्थर क्यों बने थे..?

थिरेर- मैं अपनी सुरक्षा के लिए ताकि मैं यहाँ पर रह सकूँ किसी को बिना जाने।

मनोज- तुम यहाँ क्यों आए थे..?

थिरेर- तुम्हारी धरती को जानने के लिए।

मनोज- तुम धरती को इतने दिनों से अभी तक जान नहीं पाए..?

थिरेर- जान गया था जिनके साथ आया था वो हमें यही छोड़ कर गलती से चले गए और मैं पत्थर बन गया जिससे उनको संदेश भी नहीं भेज पाया। आज जब तुमने मुझे मेरे रूप में लाया है तो उनको संदेश चला गया होगा कि मैं कहाँ हूँ और कैसा हूँ।

मनोज- क्या वो लोग तुम्हें लेने आएंगे..?

थिरेर- हाँ शायद...!!! क्योंकि हमारे यहाँ छल कपट और द्वेष नहीं है सब के सब प्यार से ही रहते हैं और एक दूसरे का ख्याल रखते हैं।

मनोज अभी और कुछ पूछ ही पाता कि अचानक से एक अजीब सा पंछी जैसा कुछ नीचे उतरता हुआ दिखाई दिया। थिरेर बोला लो इतनी देर में आ गए मेरे लोग अब मुझे जाना होगा तुम दोनों से मिल कर मुझे अच्छा लगा और धन्यवाद मुझे मेरे घर तक भेजने के लिए ये बोल कर थिरेर नेहा के पास गया और उसका भी शुक्रिया अदा किया और बोला कि नेहा तुम लोगों का मैं बहुत शुक्रगुजार हूं पर जाते जाते मैं तुम्हारा ये कैमरा ले के जाऊंगा ताकि किसी को मेरे यहाँ होने के बारे में कोई जानकारी नहीं रहे तुम दोनों बहुत अच्छे हो और इसी तरीके से प्यार से रहना। साथ में एक वादा करो कि जो कुछ भी तुमको बताया है उसे किसी को मत बताना। नेहा ने खुशी खुशी अपना कैमरा थिरेर को दे दिया। उसे भी एहसास हुआ कि मानव सभ्यता तथा अस्तित्व की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। फिर से दोनों का शुक्रिया अदा कर के वो अपने विमान में चला गया।

              (9)

एक हल्की सी कम्पन हुई और थोड़ा सा रौशनी हुआ उसके बाद अचानक से वो विमान दोनों की आंखों से ओझल हो गया। दोनों यही सोच रहे थे कि कितनी गति होगी जिससे पृथ्वी से करोड़ो मिल दूर से विमान इतनी जल्दी आ गया और उसे ले कर चला गया खैर..!! उसके विमान के जाने के बाद दोनों को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि जो देखा है वो सच था या सपना..!! पर दोनों अब काफी खुश थे। जो उन्होंने अमेज़न के बारे में शोध पत्र में पढ़ा था वो सच था। मतलब उनको एलियन का दर्शन हुए और उससे बात चीत भी हुई वो भी सहजता से बिना किसी रोक टोक के..!!

पर मनोज थोड़ा सा ये सोच कर उदास हो गया कि वो थिरेर के बारे में और कुछ नहीं जान पाया। नेहा ने उसे समझाया कि हमारी किस्मत में इतना ही लिखा था तो कैसे ज्यादा बात कर लेते और ये सोच कर तुम प्रसन्न हो कि हम लोगों को एक अच्छा एलियन दिख भी गया और हमने उससे बात भी की फिर मनोज को भी इसका एहसास हुआ और एक हल्की सी मुस्कराहट उसके होंठों पर आ गई। शुक्रिया बोलते हुए उसने नेहा को गले लगा लिया और दोनों खुशी से झूम उठे।

              (10)

दोनों अभी गले मिले ही थे कि ड्राइवर खाना खा कर वापस आ गया और उन्हें और दूसरे जगह पर ले जाने के लिए बोलने लगा। वे दोनों खुशी खुशी तैयार हो गए क्योंकि वो जिस सोध पत्र को पढ़ कर आए थे वो सच हो गया था और उनको एलियन का दर्शन हो गया था। नेहा और मनोज के अलावा किसी को कुछ भी मालूम नहीं था कि अभी कुछ देर पहले यहाँ क्या हुआ है। अपने तय समय मे घूम कर वे लोग अपने कॉलेज वापस आ गए वो भी बिना कैमरा के पर याद में ऐसा स्मरण साथ लाए थे जो किसी किसी किस्मत वाले को ही मिलता है। 

     कॉलेज आ कर दोनों अपने दिनचर्या में लीन हो गए और किसी को थिरेर के बारे में नहीं बताया इन लोगों ने भी इंसानियत को जिंदा रखा अपने किये हुए वादे को निभाया, की वो किसी से कुछ भी जिक्र नहीं करेंगे। इस तरह नेहा और मनोज ने तथा थिरेर ने अपने अपने जगह पर अपनी अपनी सभ्यता और संस्कृतिक को जिंदा रखा।

    कोई भी सभ्यता और संस्कृति उसके अच्छे विचार वाले लोगों से ही जीवित रहती है। और ये भी सत्यापित हो गया कि एलियन होते हैं और अच्छे भी होते हैं।

   

इति

 


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