सच्ची भक्ति क्या है..?
सच्ची भक्ति क्या है..?
एक बार की बात है, एक साधु महाराज कही पर प्रवचन दे रहे थे। उनसे किसी ने अचानक पूछ दिया कि सबसे बड़ी भक्ति कौन सी है..?
"साधु महाराज आज के सवादू(साधु) जैसे थे नही जो बोल दे कि हसीन नारी की कामुकता भरी भक्ति ही सबसे बड़ी भक्ति है।"
इधर साधु महाराज उस छोटे से प्रश्न के लिए बहुत परेशान हो गए क्योंकि उन्होंने वेदों,उपनिषदों, पुराणों ग्रंथो, सबका गहन अध्ययन किया हुआ था।
जब वो सोचते कि राष्ट्र भक्ति बड़ी है, तो देव भक्ति कम हो जाती, जब वो सोचते कि मातृ पितृ भक्ति बड़ी है, तो सामाजिक भक्ति कम हो जाती, जब वो सोचते कि राज्य भक्ति बड़ी है, तो पारिवारिक भक्ति कम हो जाती, ज्ञानी होने के वावजूद साधु महाराज बहुत ही इस सवाल को ले कर चिंतित रहने लगे।
उधेड़बुन में ऐसे ही कुछ दिन बीत गया। साधु महाराज ने निर्णय लिया कि इसका हल केवल उनके आराध्य भगवान शिव ही दे सकते हैं। क्योंकि वो ही एक ऐसे है जो सब कुछ बिना लोभ लालच के करते हैं। क्योंकि उनके पास न धन संपत्ति, न ही घर, नही कोई आराम का साधन है, वो अपने भक्तों को सम्पूर्ण दे कर ही खुश रहते हैं।
यही सोच कर साधु महाराज उनकी कड़ी तपस्या में जुट गए। दिन पर दिन बीतते गए। सप्ताह बीते, महीने बीते, साल बीते पर उनके दर्शन नही हो पा रहे थे।
इधर साधु महाराज भी दृढ़ निश्चय के साथ तपस्या कर रहे थे।
पांच साल के घनघोर तपस्या के
बाद एक दिन भगवान शिव उनको दर्शन दिए।
साधु महाराज से भगवन ने बोला वत्स मांग लोग क्या मांगना है।
साधु महाराज बड़ी विनम्रता से हाथ जोड़ कर उनसे अपने सारे प्रश्न पूछे जिसकी वजह से वो तपस्या कर रहे थे।
भवगान शिव ने उन्हें समझाया और ज्ञान दिया।
"वत्स जो भी भक्ति दिल से पूरी शिद्दत के साथ की जाए वो ही बड़ी है जैसे तुमने मेरी भक्ति की अपने प्रश्नों को पाने के लिए की। किन्तु आज कल सब लोग दिखावे के लिए भक्ति करते है"।
जैसे कि नेता चुना जाता है जनता की सेवा के लिए पर वो खुद ही अपनी सेवा कराने लगता है।
जैसे आज कल साधु लोग भक्ति छोड़ नारीत्व में लीन हो रहे,
जैसे कही कही पुलिस अपना सेवा छोड़ जनता को डरा के पैसे कमाते है,
जैसे बाबू लोग दफ्तर में घुस लेते है
जैसे माता पिता अपने बच्चों को उच्च शिक्षा तो दे रहे पर संस्कार नही दे रहे।
इन्ही कारणों से लोगो ये नही सोच पा रहे कि सच्ची भक्ति है क्या और कौन सी भक्ति श्रेष्ठ है..?
वत्स तुम अपनी जानकारी के लिए इतना जानो की जो काम तुम पूरे लगन मेहनत और परिश्रम से करते हो वो वो ही सर्वश्रेष्ठ भक्ति है क्यों कि सब भक्ति अपने अपने जगह पर श्रेष्ठ है।
इतना का शिव जी अंतर्ध्यान हो गए।
अब साधु महाराज के चेहरे पर अलग चमक थी क्योंकि उन्हें ये पता चल गया था कि सबसे बड़ी भक्ति कौन सी है।