एक होली ऐसा भी
एक होली ऐसा भी


घर से बाहर रहते हुए इस होली में तकरीबन 11 साल हो गए हैं और ये पहली दफा है, जब मेरे सो के उठने से पहले आप का फोन नही आया। नहीं तो हर बार होली पर आप का फ़ोन आता था और साथ मे अपनापन और बहुत सारा आशीर्वाद लाता था। मुझे मालूम है कि अबकी होली ये सब नहीं होगा पर जाने क्यों मन मानने को तैयार ही नही है कि ऐसा नहीं होगा। मुझे ये भी याद है कि आप अब इस दुनिया मे नही हो पर फिर भी ये दिल मानने को तैयार नहीं है। जाने क्यों हर बार जब भी किसी का फ़ोन आता है मुझे लगता है कि आप का ही फ़ोन है और मन प्रफुल्लित हो जाता है और अंततः परिणाम कुछ अलग ही होता है।
मन विचलित हो जाता है आँखे भर आती हैं और यादों का एक कारवाँ सामने से गुजरने लगता है।
ये
होली जो कि रंगों और खुशियों का त्योहार है इसमें से आप के बिना सब रंग गायब लगते हैं और खुशियों की तो बात ही नही है।
हमे भी मालूम है कि आप के बगैर जीने की आदत डालनी पड़ेगी और इसे अच्छे से समझ भी रहा हूँ पर दिल है कि ये मानने को तैयार ही नहीं है अब से कभी भी आप का फोन नहीं आएगा और आप की वो मधुर आशीर्वाद वाली आवाज हम कभी नहीं सुन पाएंगे।
खैर जो भी है सच्चाई यही है कि अब आप का साथ नही है बस यादें हैं और आप के दिखाए हुए मार्ग हैं जिसपर अक्षरशः चलने की कोशिश कर रहा हूँ।
जब भी कभी ऐसा मौका आता है तो यहीं सोचता हूँ कि आप होतीं तो क्या कहती और जो भी ख्याल आता है उसे आप का दिखाया मार्ग समझ कर स्वीकार कर लेता हूँ।