एक स्त्री के रंग हजार
एक स्त्री के रंग हजार
आज आरव अपनी माँ, पत्नी और बहन के साथ बैठा था। उसने कहा-"एक स्त्री को समझना इस संसार में वेद-पुराण पढ़ने जैसा है।
एक स्त्री चाहे तो क्या नहीं कर सकती। प्रकृति का वह कौनसा रंग है जो इससे अछूता है। एक स्त्री अपने जीवन में हजारों किरदार निभाती है। मर्द हमेशा मर्द ही रहते हैं पर एक स्त्री एक ही जीवन में कई जीवन जी जाती है।
प्यार के रंगों को अगर मिलाया जाए तो एक ही रंग बनेगा और वह रंग होगा स्त्रीर रूपी रंग। स्त्री माँ है,बहन है,पत्नी है,बेटी है। सम्पूर्ण सृष्टि का आधार स्त्री है, पुरुष तो मात्र एक अहंकार है।