एक सफर के साथी बने हमसफ़र
एक सफर के साथी बने हमसफ़र
दिल्ली शहर में राहुल एक अच्छे धनी परिवार से संबंध रखता था , शीना साधारण परिवार से थी लेकिन खूबसूरती देखते बनती थी , भरा-पूरा बदन , गोरा चिट्टा रंग , तीखे नैन-नक्श , जो देखे तो पलक झपकना भूल जाए ।दिल्ली से अम्बाला किसी काम से जा रहा था और करनाल आकर गाड़ी खराब हो गई , खराबी ज्यादा थी इसलिए समय भी ठीक होने में बहुत लगना था , अम्बाला समय पर पहुंचना भी जरूरी था , तो सोचा बस से चला जाए । शीना भी बस से अम्बाला जा रही थी , इत्तेफाक से राहुल को शीना के बगल वाली सीट मिली ।राहुल भी ऊंचे कद-काठी का चौड़ा सीना , गेहुंआ रंग , जंचता था , उस पर पैसे का घमण्ड तो छु भी नही गया ।
शीना कनखियों से उसे तके जा रही थी , किसी बहाने से बात करना चाहती थी , तो बैग से खाने के लिए कुछ निकाला ,औपचारिकता निभाते हुए खाने को पूछा , तो राहुल ने भी थोड़ा सा ले लिया , इसी बहाने दोनों की बातचीत हुई ।इतना लम्बा रास्ता , बातें करते - करते दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई , फोन नं आदान-प्रदान हुए , ना जाने कब ये दोस्ती प्यार में बदल गई , अक्सर मिला करते थे ।
बढ़ जाए त्रिश्नगी जब हद से तो जां पर बन आती है
छलकते है लबों के जाम तो प्यास और बढ़ जाती है
इसी तरह जोश-ए-जवानी ने वो काम किया , एक तुफ़ान आया और सबकुछ बहा कर ले गया ।
"राहुल बहुत ग़लत हुआ , शादी से पहले ये ठीक नहीं ।"
"शीना मैं जानता हूं हमसे गलती हो गई , लेकिन हमारा प्यार सच्चा है , हमें किस बात का डर ।"
"मैं आज ही अपने मम्मी-पापा को तुम्हारे घर भेजता हूं हमारी शादी की बात करने के लिए ।"
"लेकिन एक सप्ताह बाद तो तुम अमेरिका जा रहे हो ।"
"तुम टेंशन मत लो जाने से पहले हमारी शादी हो जाएगी , हम बिल्कुल सिंपल सी शादी करेंगे और जब मैं वापिस आ जाऊंगा फिर हम एक फंक्शन कर लेंगे ।"
राहुल के मम्मी-पापा शीना के घर जाकर बात करते हैं ,जब शादी की तारीख निकलवाने के लिए पंडित के पास गए तो पंडित ने बताया कि 6 महीने तक शादी का मुहूर्त नहीं । दोनों मन मार कर रह जाते हैं । राहुल एक सप्ताह बाद अमेरिका चला गया अपनी काम के सिलसिले में , इधर शीना भी अपनी नौकरी में व्यस्त है । दो महीने बाद शीना को पता चलता है कि वे मां बनने वाली है । राहुल के मम्मी-पापा को बताया जाता है तो वो मानने से इंकार कर देते हैं कि राहुल ही इस बच्चे का पिता है , और वो रिश्ते से भी इन्कार कर देते हैं ।
शीना अपने प्यार को मारना नहीं चाहती इसलिए वो दिल्ली छोड़कर मुम्बई चली जाती है और एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म देती है ।उधर राहुल को उसके मम्मी-पापा बताते हैं कि शीना इंतजार नहीं कर सकी और शादी कर ली ।शीना की ज़िंदगी ख़राब ना हो इसलिए राहुल उससे कभी बात नहीं करता शीना भी राहुल की शादी की बात सच मान कर राहुल को फोन नहीं करती । लेकिन दोनों को विश्वास है कि एक दिन वो ज़रूर मिलेंगे और जानना चाहेंगे कि क्यों किया ऐसा ।
शीना बेटी का नाम राशी , अर्थात दोनों का नाम जोड़ कर ( राहुल +शीना ) रखती है , वह अपनी बेटी में राहुल की झलक देख कर जी रही है कि अचानक शीना बीमार हो जाती है , पता चलता है कि शीना को ब्लड कैंसर है , दस साल की बेटी , कोई रास्ता नहीं तो दिल्ली वापिस मां- पापा के पास आ जाती है ।
राहुल इंडिया वापिस नहीं आना चाहता था , लेकिन उसके पापा बहुत बीमार हो गए ,और वो मिलने आ रहा है और रास्ते में क्या देखता है कि शाम का समय एक 15 साल की खूबसूरत लड़की जिसे दो लड़कों ने घेरा है और वो डंक कर उनका मुकाबला कर रही है ।राहुल ये देख कर प्रभावित होता है ।
"बहुत बढ़िया बेटा , ऐसे लोगों कि यही हश्र होना चाहिए , हम तो आप की बहादुरी के कायल हो गए बेटा , क्या हम आप के मम्मी-पापा से मिल सकते हैं , आप को घर भी छोड़ देंगे ।"
राहुल राशी को घर छोड़ने जाता है तो शीना को देख अवाक रह जाता है , और वहीं पर ही शीना के माता-पिता से पता चलता है कि राशी राहुल की ही बेटी है और शीना के कैंसर का भी पता चलता है ।
"शीना मैं तुम्हारा गुनाहगार हूं , मुझे लगा सचमुच तुमने शादी कर ली , और तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई बवाल ना हो , इसलिए ना तो तुम्हारे फोन का जवाब दिया , और ना ही मैंने फोन किया । लेकिन अब नहीं , चलो अपने घर ।"
राहुल शीना की मांग भरता है और घर ले आता है । और माता- पिता को समझाता है कि शीना और राशी ही उसकी ज़िंदगी हैं । राहुल के माता-पिता समझ जाते हैं और उन्हें भी अपनी गलती का एहसास होता है । राहुल के पापा अब ठीक हो गए हैं , और सब मिलजुल कर अच्छे से रह रहे हैं की अचानक शीना की तबीयत बिगड़ जाती है , और डाक्टर बता देते हैं कि शीना का आखिरी समय आ गया है , लगभग एक सप्ताह के पश्चात शीना राहुल की गोद में अंतिम सांसें लेते हुए विदा हो जाती है , लेकिन उसके चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कुराहट होती है । कि उसने राहुल की अमानत उसे सोंप दी , और साथ ही साथ उसके इंतजार का भी अंत हुआ , आज वो अपने प्यार की बाहों में आखिरी सांस ले रही है । लेकिन उसे तसल्ली है कि उसका हमसफ़र , जीवन के सफर में भी उसके साथ है ।