एक सहारा
एक सहारा
मीरा खाना बना कर ड्राइंग रूम में आयी तो सोचा थोड़ी देर टी. वी देखती हूँ तब तक बच्चे आ जायेंगे फिर सब साथ में खाना खायेंगे। अभी वो रिमोट ढूंढ़ ही रही थी कि डोर बैल बजी। उसने दरवाज़ा खोला तो सामने उसकी मैड सीमा अपने तीन बच्चों को लेकर खड़ी थी।
बच्चे मीरा को देख कर शरमा गए और एक के पीछे एक छुपने की कोशिश करने लगे। मीरा ने उन्हें अंदर बुलाया और बैठने को कहा फिर उसने सीमा की तरफ़ प्रश्नभरी निगाह से देखते हुए पूछा "आज अभी से बर्तन करने क्यूँ आ गयी, अभी तक तो बच्चे भी स्कूल से नहीं आये।"
सीमा कुछ कहती उससे पहले ही मीरा की निगाह सीमा की हाथ में बंधी उसकी किसी पुरानी साड़ी से फाड़ी गई पट्टी पर पड़ी उसमें से खून आ रहा था। मीरा ने घबराते हुए सीमा से कहा "अरे सीमा, ये क्या हुआ तेरे हाथ में, खून क्यूँ बह रहा है"? सीमा ने हल्का सा रुआँसी आवाज़ में कहा "कुछ नहीं भाभी, प्रीती भाभी के घर में सफ़ाई करते समय मेज़ का कोना लग गया"...तभी सीमा की करीब पांच साल की बेटी उसके पीछे से निकल कर आयी और मीरा से बोली "आंटी मम्मी झूठ बोल रही है, पापा ने मम्मी को मारा था। मम्मी की चूड़ी टूट गयी और इसके हाथ से खून आने लगा।"
मीरा ने सीमा की पट्टी दुबारा से की, उसे हल्दी वाला दूध पीने को दिया उसके बाद उसने सीमा को और उसके बच्चों को खाना दिया कि..."पहले कुछ खा ले फ़िर ठीक से बताना, क्या हुआ"| वह सब खाना खा कर हटे ही थे कि मीरा के भी बच्चे आ गये और उसके पति पंकज भी आज हॉफ डे लेकर घर आ गये। मीरा ने सबके साथ मिल कर खाना खाया और बच्चों को सोने के लिए कह दिया| मीरा ने सीमा से भी उसके बच्चों को सर्वेन्ट्स रूम में सुलाने को कह दिया फिर मीरा ने सीमा से पूछा कि किस वजह से उसके पति ने उसे मारा। सीमा ने कहा "दीदी पहली लड़की के समय पर ही मेरे आदमी का मुंह लटक गया था पर दूसरा बच्चा लड़का होने से वो थोड़ा खुश था। वो शुरू से ही दो बेटे चाहता था...इसलिए एक और बच्चा करने के पीछे पड़ गया पर किस्मत के आगे तो कोई कुछ नहीं कर सकता। किस्मत में एक और लड़की लिखी थी तो लड़का कहाँ से होता...तब से लेकर आज तक उसने मेरा जीना मरोज़ पीकर आने लगा।
काम-काज सब छोड़ दिया तो पीने के पैसे कहाँ से आयेंगे इसलिए मुझसे पैसे मांगता है...जब भी कभी मैं पैसे देने से मना करती हूँ तो मुझे बुरी तरह मारता पीटता है। बच्चे भी बहुत डरे हुए रहने लगे है। मेरी लड़कियां तो उसे एक आँख नहीं सुहाती...कहता है "इन दोनों को मार दूंगा"| मुझे तो अब काम पर आने में भी डर लगने लगा है, कहीं पीछे से वो मेरी लड़कियों को ना मार दे। मैं बहुत प्यार करती हूँ, अपने बच्चों को...उन्हीं का भविष्य बनाने के लिए तो दिन-रात इतनी मेहनत करती हूँ"| कहते- कहते सीमा सुबकने लगी। मीरा ने उसे पानी देते हुए कहा "चुप हो जा सीमा...रोने से किसी बात का हल नहीं निकलता, तू मुझे ठीक से बता सोच-समझ कर...तू अब अपने आदमी के साथ रहना चाहती है कि नहीं।
सीमा ने रोते हुए कहा "आदमी के बिना ये दुनिया जीना मुश्किल कर देती है पर जब आदमी ही जीना मुश्किल कर दे तो क्या करुँगी, उस के साथ रह कर। मेरे पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं, पूरा शरीर दर्द कर रहा है"| मीरा ने उसे सांतवना देते हुए कहा "तू उससे तलाक ले ले| तेरे भैया सारे कागज़ तैयार करवा देंगे। अभी हम पुलिस में शिकायत दर्ज़ करवा देते हैं ताकि पुलिस उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही कर के उसे गिरफ़्तार कर सके।
हमारे घर के पास ही जो सरकारी हॉस्पिटल है, वहां गॉर्ड की नौकरी के लिए महिला कर्मचारी की जरुरत है। कल ही हमारा ड्राइवर अपने दोस्त को बता रहा था। मैं वहां तेरा नाम भी लिखवा दूंगी। तू घबरा मत, जब तक तेरा तेरे पति के साथ कोई फैसला नहीं हो जाता...तब तक तू अपने बच्चों के साथ हमारे घर में रह ले।"
सीमा मीरा के पैर छूने के लिए आगे बड़ी यह कहते हुए कि "आप तो मेरे लिए कोई फरिश्ता बन कर आई हो।"
मीरा ने उसे पकड़ते हुए कहा "अरे ! भगवान ने हम सबको इस दुनिया में एक दूसरे की मदद करने के लिए भेजा है। मुझे भी थोड़ा पुण्य कमाने दे।"
मीरा के कहने से पंकज ने पुलिस में कंप्लेंट लिखा दी। पुलिस ने सीमा की गवाही और सबूतों को देख कर उसके पति को गिरफ्तार कर लिया। कुछ समय बाद सीमा की नौकरी भी हॉस्पिटल में लग गयी, अब उसे पहले से दुगना पैसा मिलने लगा। कोर्ट में सीमा और उसके पति के तलाक का केस चल रहा है।सीमा अब अपनी झोपड़ी में ही रहने लगी पर उसने मीरा के घर का काम नहीं छोड़ा...आखिर मीरा ने उसकी ऐसे समय में मदद की थी, जब उसके आगे-पीछे अन्धकार के सिवा कुछ नहीं था। मीरा ने सीमा के दोनों बड़े बच्चों का पास के सरकारी स्कूल में नाम लिखवा दिया।