एक सच्ची कहानी प्रेम की
एक सच्ची कहानी प्रेम की
स्कूल के दिनों से शुरुआत हुई थी उन दोनों की प्रेम कहानी जब दोनो १०वीं में थे। योगी बहुत शांत सरल स्वभाव की थी इसलिए उसने गोपी को कभी हां में जवाब नहीं दिया था। पर तब गोपी उसे बहुत चाहने लगा था तो उसने हार नही मानी और रोज नए नए बहाने ढूंढता योगी से बात करने का। और इसी आंख मिचोली में कब साल गुज़र गया पता ही न चला। फिर गोपी ने एक दिन योगी के करीबी मित्र से जान पहचान बड़ा कर योगी का दूरभाष नं मांग ही लिया और पहली कामयाबी की खुशी में मुस्कुराते घर चला गया। लगभग रात के ८ बजे गोपी ने बड़ी हिम्मत करके योगी को संपर्क किया और योगी ने फोन उठा लिया। कुछ देर हालचाल और सामान्य बातें हुई और फिर योगी ने फोन रख दिया। लेकिन गोपी ने फिर फोन किया और बताया की उसके मन में योगी के लिए क्या भाव हैं और बहुत विनती मिन्नतें करने लगा। की वो कैसे भी करके हां कर दे और उससे बातें करे।
बार बार योगी के मना करने पर भी गोपी नहीं माना योगी फोन रखती गई और गोपी फोन करता गया। आखिर रात के ११बजे ना नुकुर करते योगी ने हामी भरी और इस तरह फोन पर सुबह तक बातें की। फिर स्कूल में गोपी का योगी को देखना और योगी का कभी नजरें चुराना तो कभी गुस्से से देखना चलता रहा। धीरे धीरे बातें बढ़ने लगी दोनो साथ आते जाते बैठते सबके मुंह बस दोनो के ही चर्चे होते। और इस तरह दोनो ने मैरिट उत्तीर्ण कर ली। गोपी का अपना सपना पुलिस बनने का और योगी ने स्नातक करने का फैसला लिया। गोपी योगी से मिलता रहता कभी बाजार मिलते तो कभी योगी के महाविद्यालय में। इस बीच योगी ने पॉलीटेक्निक ऑफिस मेनेजमेंट में रैंक पाई और अपने गांव घर से दूर पढ़ने आ गई। फोन पर ही दोनो की बातें होती तो कभी महीने में गोपी मिलने आ जाता। योगी अपनी पढ़ाई के साथ साथ गोपी को सुबह ४बजे जगाती उसे दौड़ने के लिए जाने को कहती रोज मेहनत करने और जल्दी से उसके सपने का साकार करने का हौसला और हिम्मत देती।
जैसे गोपी का सपना अब योगी पूरा कर रही थी उसे हर तरीके से समझा कर और हर जरूरत का साधन दिलाकर । योगी पढ़ाई के बहाने अपने घर से कुछ ज्यादा पैसे मांगती और बचे पैसों से गोपी की मदद करती। उसे गोपी से प्यार तो था ही लेकिन दया ज्यादा थी वजह थी कि गोपी के पापा नही थे। दोनो के घर में एक दूसरे के बारे में पता था और दोनों ही परिवार उनके उज्जवल सफल भविष्य की राह देखते। योगी ने ३साल तक पढ़ाई की और गोपी ने इस बीच पुलिस की तैयारी और स्नातक किया। योगी बाद में अपने गांव वापस चली गई गोपी उसे लेने आया दोनो ने समान पैक किया उस रात दोनो मेरे घर रहे और हमने ढेर सारी बातें की। अगली सुबह उनके साथ मैं भी गाड़ी तक गई मैं उदास थी योगी के लिए और गोपी से मेरा बड़े भाई का रिश्ता था। फिर बस आई और दोनो ने समान चढ़ाया और हाथ हिलाते यादें दे गए। फिर मैं भी व्यस्त हो गई कभी कभार फोन होता था योगी से और घंटो बात करे लेते। फिर एक दिन अचानक योगी का फोन आता है और वो मुझे कहती है की तेरे गोपी भैया का चयन हो गया है पुलिस की नौकरी में। मैंने खुशी जताई और उसे बधाई दी। पर थोड़ी देर में ही वो रोने लगे और। बताया की अब उन दोनों का रिश्ता नहीं रहा सब खत्म हो गया है। पूछने पर कारण बताया की गोपी चयन हो जाने के बाद उसने अपनी ओहदे की लड़कियों से बातें की ओर उन्हीं में से एक को चाहता है। और तब पता चला मुझे की भैया ने आखिर मुझे एक भी फोन क्यों नहीं किया था क्यों राखी का जवाब नही आया था।
खैर अब योगी की शादी हो गई है और उसका जीवनसाथी बहुत अच्छे स्वभाव का उसे समझने वाला है। योगी दर्द से बाहर निकल रही है धीरे धीरे और खुश है।