एक का सिक्का
एक का सिक्का
एक का सिक्का
श्री राम सिंह के शहर मे अचानक आ जाने से बहु रीतु तमतमा उठी और पति रोहन से बोली -लगता है, पापा को पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है।वर्ना यहाँ कौन आने वाला हैं।अपने घर का खर्च निकलता नहीं,घरवालों को कहाँ से दोगे?रोहन नज़रें बचाकर दूसरी ओर देखने लगा।श्री राम सिंह नल पर हाथ-मुँह धोकर सफ़र की थकान दूर कर रहे
हैं।इस बार रोहन का हाथ कुछ ज्यादा हीं तंग हो गया। बेटा का जूता फट चुका हैं ,वह स्कूल जाते वक्त रोज भुनभुनाता है।पत्नी रीतु के इलाज के लिए पूरी दवाइयाँ नहीं खरीदी जा सकीं।उसने सोचा क्या, पापा जी को भी अभी आना हैं।घर में बोझिल चुप्पी पसरी हुई हैं।
खाना खा चुकने पर, श्री राम सिंह ने
बेटे रोहन को पास बैठने का इशारा किया।वो शंकित है कि कोई आर्थिक समस्या लेकर पापा आये होंगे। श्री राम सिंह कुर्सी पर उठ कर बैठ गए। एकदम बेफिक्र एवं बेपरवाह।
सुनो, कहकर उन्होंने बेटे का ध्यान अपनी ओर खींचा।बेटा सांस रोक कर,
उनके मुँह की ओर देखने लगा।
रोम-रोम कान बनकर,अगला वाक्य सुनने के लिए चौकन्ना हो गया।
वे बोले.. खेती के काम में घड़ी भर भी फुर्सत नहीं मिलती।इस वक्त काम का समय है।रात की गाड़ी से वापस जाऊँगा।तीन महीने से तुम्हारी कोई चिट्ठी तक नहीं मिली।जब तुम परेशान होते हो, तभी ऐसा करते हो।उन्होंने जेब से सौ-सौ के पचास नोट निकाल कर रोहन की तरफ बढ़ा दिए, रख लो।तुम्हारे काम आएंगे।धान की फसल अच्छी हो गई थी।घर में कोई दिक्कत नहीं है।तुम बहुत कमजोर लग रहे हो।ढंग से खाया-पिया करो।बहू का भी ध्यान रखो।रोहन कुछ नहीं बोल पाया।शब्द जैसे उसके हलक मे फंस कर रह गये हों।वह कुछ कहता, इससे पूर्व ही पापा ने प्यार से डांटा ,ले लो, बहुत बड़े हो गये हो क्या?नहीं तो। बेटे ने हाथ बढ़ाया।पापा ने नोट उसकी हथेली पर रख दिए।बरसों पहले पापा उसे स्कूल भेजने के लिए,इसी तरह हथेली पर एक का सिक्का देते । पर तब उसकी नज़रें आज की तरह झुकी नहीं होती। आज रोहन की नजर अपनी नजर मे ही झुकी है।
आपको एक का सिक्का कहानी कैसी लगी ? आपके सुझावों का इंतजार रहेगा। आपकी दोस्त प्रियंका सागर।
