Jeetal Shah

Tragedy Inspirational Thriller

4  

Jeetal Shah

Tragedy Inspirational Thriller

एक भूल पड़ी भारी

एक भूल पड़ी भारी

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गुनगुन बस सिर्फ ९ साल की थी। अपने पापा की परी। वो जोभी कहती वो रोहन के लिए पत्थर की लकीर। रोहन एक बाइक राइडर्स था। गुनगुन को भी वो तरह तरह के खेल दिखाया करता। माया बहुत बार कहती की गुनगुन अभी तो छोटी बच्ची है।इसे यह सब मत दिखाओ।

रोहन हमेशा माया की बात अन सुना कर देता। अब रोहन रोज गुनगुन को स्कूल छोड़ने जाता। ओर फिर लेने माया चली जाती। गुनगुन अपने क्लास में सब से कहती उसके पापा बेस्ट है। गुनगुन के दोस्त भी कहते हां हमें पता है। 

एक दिन रोहन को अपने काम पर जल्दी जाना था। उसने गुनगुन को कहा बेटा आज तुम्हें तुम्हारी मां छोड देगी। कयु? गुनगुन ने कहा। आज से मुझे कुछ दीनो तक जल्दी जाना होगा ।में एक शो करने वाला हु मुझे उसकी तैयारी ओर प्रेक्टिस भी करनी होगी।

शो क्या बात है पापा। में चलु आपके साथ मुझे भी देखना है। गुनगुन ने कहा।

रोहन और गुनगुन की बात सुनकर माया  भी रसोईघर से बाहर आकर बोली क्या हुआ? कैसा शो? जल्दी बताओ पापा मुझे जानना है। मौत का कुआं।ये है मेरे शो का नाम। क्या? में भी चालु पापा? मुझे देख ना है। पलिझ पापा आने दोना मुझे। पलिझ पापा। नहीं बेटा आज नहीं फिर कभी।

माया गभराते हुए रोहन का हाथ पकड़ लिया और बोलीं क्या इसमें ख़तरा है। रोहन मुस्कुराते हुए बोला नहीं माया इसमे कोई ख़तरा नहीं। तुम चिंता मत करो मुझे कुछ नहीं होगा।

बस केवल १५ दिन की तो बात है फिर ये शो खत्म। क्या १५ दिन ? माया ने घबराते हुए कहा ! तुम क्या पागल हो गए हों? माया ने गंभीरता से कहा। ये कोई बच्चों का खेल नहीं है रोहन ।इस में  तुम्हारी जान भी जा सकतीं हैं।  रोहन ने माया का हाथ पकड़ ते हुए कहा चिंता मत करो। ओर गुनगुन की तरफ देखकर इशारा किया। गुनगुन झट से माया से लिपट गई और बोली मां चिंता मत करो ।मेरे पापा सबसे बेस्ट है। फिर सब मुस्कुरा ने लगे।

गुनगुन जल्द से बोली चलो मुझे स्कूल के लिए देरी हो रही है। चलों जल्दी चलों।रोहन ने कहा चलों आज मैं तुम्हें छोड़ देता हूं। कलसे  मम्मी छोड़ दिया करेंगी। ठीक है पापा। गुनगुन ने कहा।  रोहन ने गुनगुन को स्कूल छोड़ दिया। और फिर वो अपने काम पर चला गया।  बस कुछ दिनों तक ऐसा चलता रहा।

एक दिन गुनगुन ने सोचा कयु न में पापा का शो देखने जाएं। उसने मन-ही-मन में सोच लिया था।

की मम्मी जब स्कूल छोड देंगी तब वो पापा के पास चली जाएगी। माया ने गुनगुन को स्कूल छोड़ दिया। फिर वो घर की तरफ निकल गई।  गुनगुन को पता नहीं था की रोहन का शो कहा होने वाला था। पर उसने रोहन ओर माया की बातें सुन ली थी। वो गुनगुन की स्कूल के पिछे एक जगह है वहां होगा ।

गुनगुन स्कूल से निकल गई और अपने पापा का शो देखने चली गई। गुनगुन को वहां देख कर रोहन चौंक गया। तुम यहां कैसे आईं बेटा ओर तुम्हें कैसे पता चला कि शो यहां है? गुनगुन ने घबरा कर कहा पापा आप जब मम्मी से कल बात कर रहे थे तब मैंने सुनलिया।  सोरी पापा। ठीक है लेकिन एक दम चुप रहना एकदम से चिल्ला ना मत। ओके पापा।  

बस अब शो शुरू हो गया। गुनगुन तालियां बजाती हुई खुशी से नाच ने लगी । वा पापा वा।  बीच के शो में जब बाईक गोल गोल उपर तक आती तो गुनगुन घबरा जाती।  बस वो खत्म हो ते ही गुनगुन अपने पापा से लिपट गई और बोली वाह पापा वा मुझे बहुत मझा आया इस शो में। 

शो आज जल्दी खत्म हो गया था।  रोहन ने कहा चलों बेटा अब घर चलते हैं। गुनगुन बोली घबराते हुए पर पापा मेरी स्कूल अभी खत्म नहीं हुई है। कोई बात नहीं हम मम्मी को सब सच बता देंगे।  ओर तुम तो हमारी लाडली हो मम्मी कुछ नहीं कहेंगी।  

रोहन ने गुनगुन को  बाइक पर बैठाया और घर की तरफ चले। गुनगुन पापा ओर तेज ओर तेज चलाए ना पलिझ। रोहन ओर तेज चलाने गया तभी ब्रेक फेल हो गई। उसने बड़ी कोशिश की पर वो कंट्रोल न कर पाया। सामने से बड़े ही तेज़ी से गाड़ी आ रही थी। रोहन ने कंट्रोल करने की कोशिश की पर उसका एक्सिडेंट हो गया था। गुनगुन को सर पर गहरी चोट लगी थी। रोहन बेहोश हो गया था।

सब लोग रोहन ओर गुनगुन को अस्पताल ले गए। रोहन की चोट मामुलि थी इसलिए उसे कुछ नहीं हुआ। रोहने होस में आते ही माया को कोल  करके सीटी अस्पताल बुला लिया और उसको सब कुछ बताया। फिर माया के गले लग कर खुब रोने लगा और माफी मांगने लगा मुझे माफ़ कर दो। अब में ऐसा नहीं करुंगा हमारी गुनगुन ठीक तो हो जाएंगी ना।  बड़ी ही हिम्मत जताते माया ने अपने आंसु पोंछ कर कहां हां हमारी गुनगुन ठीक हो जाएंगी तुम चिंता मत करो। उतना कहा तब उसी समय डोक्टर वहा पर आएं, माया ओर रोहन की धड़कनें तेज हो रही थी उन्होंने डोक्टर से घबराकर दबे स्वर से कहा गुनगुन कैसी है। डोक्टर ने कहा वो बिल्कुल ठीक है आप उसे घर ले जा सकते हैं। अब खतरा टल गया है।  बस दोनों ने डोक्टर का शुक्रिया अदा किया और गुनगुन को रोते हुए गले लगा कर माथा चूम ने लगे ओर कहा अब में बाइक इतना तेज नहीं चलाऊंगा मुझे माफ़ कर दो बेटा।

ओर इस हादसे को भुला कर आगे बढ़ने लगे ओर ये सिख ली की कभी भी बच्चों को सभी चीजों के लिए हां नहीं कहेंगे। 


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