एक बेईमान शिक्षिका
एक बेईमान शिक्षिका
आजादी या स्वतंत्रता क्या है ? केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहरा लेना विद्यालय में जलेबी बांट देना और नेता जी का भाषण दे देना ही आजादी मनाना मान लेना क्या सही है ?
आजादी का मतलब उन लोगों से पूछिए जो आज भी किसी न किसी बंदिश में है किसी के गुलामी में जीने को मजबूर हैं जैसे बिहार के शिक्षक जो सरकारी नौकरी करने वाले सरकार के गुलाम इस प्रकार है कि उनके सामने कोई भी नियम कानून फेल है ।
जो चाहे जैसा चाहे सरकार उनसे काम ले रही है जिसका उचित वेतन भी नहीं दिया जाता है । बिहार सरकार के शिक्षकों के प्रति ऐसी भावना है जैसे बिहार के सरकारी नियोजित शिक्षक बंधुआ मजदूर हो उनसे कोल्हू के बैल की तरह कार्य लिया जा सकता है । कोई भी विपत्ति आने पर शिक्षक को कार्य पर लगा दिया जाता है फिर भी कहा जाता है कि शिक्षक किसी कार्य के लिए सक्षम नहीं है । फिर क्यों चुनाव शिक्षक के भरोसे होता है? क्यों जनगणना शिक्षक के भरोसे होता है ? क्यों बीएलओ का काम शिक्षक के भरोसे होता है? बाढ़, भूकंप, कोरोना कुछ भी प्राकृतिक आपदा में शिक्षकों को ही क्यों लगाया जाता है ? ये सब काम बिना शिक्षक के लगाए सरकार कर के दिखाए तो समझें।
शिक्षकों के लिए कोई भी फरमान कभी भी लागू कर दिया जाता है । उनकी छुट्टियां काट दी जाती है । कुछ लोग तो अजीब सी बाते करते है कि सेनाओं को कोई छुट्टी नहीं मिलती तो शिक्षकों को क्यों? वाह वाह ऐसे इंसान की सोच! सेना तो देश की रक्षा करते हैं उनके धूप और पसीने की तो किसी से तुलना की ही नहीं जा सकती । शिक्षक तो मासूमों को पढ़ाते है अगर उनका मन ही प्रसन्न ना रहे तो मासूमों को क्या शिक्षा देंगे उनके दिमाग में हमेशा टेंशन बना रहेगा तो अध्ययन सामग्री के विषय में न सोच कर केवल अपने टेंशन की बातें यानी घर खर्च और परिवार की जिम्मेदारी ही सोचते रह जाएंगे। शिक्षक खुश रहे तो देश के भविष्य को भी सुंदर और बेहतर शिक्षा दे सकेंगे।
जब बार बार किसी को कहा जाए कि तुम चोर हो तुम बेईमान हो तो उस पर क्या बीतती है जब वो शख्स बिल्कुल दिल लगा के अपना कार्य कर रहा हो। उसको बार बार बताया जाता है कि तुम कोई काम के नही जबकि वह अपना 100 प्रतिशत दे रहा होता है।
अतः हम ये नहीं कह सकते की देश में सब स्वतन्त्र है । सरकारी नौकरी का मतलब स्वतंत्रता छीन लेना नही होता।
हम भी कभी बच्चों के दिल से जुड़ा करते थे।
हम भी बहुत ईमानदार हुआ करते थे।
किसी ने जब बार बार बेईमान होने का अहसास कराया तो
सच में बेईमानी करनी पड़ी।
एक शिक्षिका
धन्यवाद
