स्वीटी की सूझ बूझ
स्वीटी की सूझ बूझ
गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं। स्वीटी हर दिन अपनी सहेलियों के साथ खेलती, कहानियाँ पढ़ती और नए-नए प्रयोग करती। वह बहुत समझदार और चतुर लड़की थी।एक दिन, वह अपने दोस्तों के साथ पार्क में खेल रही थी। अचानक उन्होंने देखा कि एक छोटा बच्चा रो रहा था। वह अकेला था और बहुत घबराया हुआ लग रहा था। स्वीटी तुरंत उसके पास गई और प्यार से पूछा, "क्या हुआ? तुम रो क्यों रहे हो?"बच्चे ने सुबकते हुए कहा, "मैं मम्मी-पापा से बिछड़ गया हूँ। मुझे उनका फोन नंबर भी याद नहीं है।"
स्वीटी ने अपनी सूझ-बूझ से काम लिया। उसने बच्चे को दिलासा दिया और अपने दोस्तों से कहा, "हमें घबराने की जरूरत नहीं है। हम इसे सही सलामत इसके माता-पिता तक पहुँचाएंगे।"
उसने बच्चे से उसका नाम पूछा और आसपास के लोगों से पूछताछ की। फिर उसने देखा कि पार्क के गेट के पास एक गार्ड खड़ा था। स्वीटी तुरंत गार्ड के पास गई और सारी बात बताई। गार्ड ने तुरंत पार्क के लाउडस्पीकर से बच्चे के माता-पिता को बुलाने की घोषणा करवाई।
कुछ ही मिनटों में एक परेशान जोड़ा भागते हुए आया। जैसे ही उन्होंने अपने बच्चे को देखा, उनकी आँखों में खुशी के आँसू आ गए। माँ ने बच्चे को गले लगाते हुए कहा, "धन्यवाद बेटा, तुमने हमारी बहुत मदद की!"
गार्ड ने भी स्वीटी की प्रशंसा की और कहा, "तुम बहुत समझदार और बहादुर लड़की हो। तुम्हारी सूझ-बूझ से यह बच्चा अपने माता-पिता से मिल सका।"
स्वीटी मुस्कुराई और बोली, "हमें हमेशा एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। यह हमारा फर्ज है!"
उस दिन से स्वीटी सभी की प्रिय बन गई, और उसकी बुद्धिमानी की चर्चा पूरे मोहल्ले में होने लगी।
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