MITHILESH NAG

Drama

5.0  

MITHILESH NAG

Drama

एक और एक ग्यारह

एक और एक ग्यारह

5 mins
441


चोर चो रपकड़ो ( गोले इंस्पेक्टर थक कर कमर पकड़ कर बैठ जाते है)

“कितना तेज़ दौड़ता है”।

हाँ« सर लगता है एक दिन पक्का ये मैराथन जीतेगा।”

क्यो बे ! उसकी तारीफ करने के सिवा कुछ और भी रहता है।

गाड़ी निकाल जल्दी से( मुँह बनाते हुए)

गाड़ी, “लेकिन सर गाड़ी तो पुलिस चौकी में ही भूल गए ”

ये एक साइकिल है इसी से चलते है।( साइकिल की ओर इशारा कर के)

हेरा फेरी तुम दोनो एक दिन मेरी नौकरी खा जाओगें।

हेरा को कम सुनाई देता है,इसलिये जो कुछ भी कोई बोलता था,उसका उल्टा ही सुनता है।

नही नही सर कौन पैखाना जाएगा? मैं तो नही जाऊँगा।

हे भगवान! किस नमूने को मेरे साथ लगा दिया है। ( मुँह बना कर रोता है)

“क्या हुआ सर घर की याद आ रही है तो चले जाओ।

चुप एक दम चुप जान ले लोगे ( उसको आँख दिखाते हुए)।

शिवा बाजार में

शिवा की उम्र बहुत ज्यादा नही है। 10 साल का लड़का जो पूरे मोहल्ले वालों की जान ले लेता है। हर रोज कोई ना कोई कारनामा करता रहता है। जब देखो लोगो को परेशान ही करता है।

सुबह सुबह एक आदमी कार से मार्केट में आता है। वो चारो ओर देखने के बाद उसकी नज़र शिवा पर पड़ती है।

“ये लड़का सीधा लगता है, इसी से बात करता हूं”।

कहते है ना मुसीबत को खुद से दावत देने के बराबर होता है।

सुनो आए लड़के! तुम से कुछ पूछना है।

“अब तो शिवा के दिमाग मे खुरापाती जाग गयी थी।”

“मुझे एक मकान खरीदना है,तो सब से सस्ता और अच्छा घर बताओ”( मुँह अजीब तरह बनाते हुए हँसता है)

सिवा एक आदर्श बच्चे की तरह उनके पास बैठ कर देखता है,

चाचा “ मेरी नज़र में तो एक घर है,लेकिन आप को पैसे पहले मुझे देने होंगे। क्योंकि जिसका मकान है वो बाहर गए है और मुझे बोले है कि तुम मेरा मकान बेच कर पैसे मुझे दे देना”।

लेकिन ( कुछ सोचते हुए) ठीक है कितना देना होगा?

“10लाख”

ठीक है मकान तो दिखा दो। क्यो की बिना देखे तो नही लूँगा ना।

तो ठीक है चलिये मेरे साथ लेकिन एक बात ध्यान देना ।

क्या? (उसका मुंह देखते हुए)।

कोई पूछे तो बोलना मैं इसका चाचा हूँ।

ठीक है

अब दोनों साथ साथ जा रहे है। पूरा बाजार उस आदमी को देख रहा है। जो भी देख रहा है वो हँस रहा है। सब की जुबान पर बस एक ही बात चल रहा है

“लगता है,शिवा आज फिर किसी को चूना लगाएगा। अब देखो इस बार क्या नया करता है”

कुछ आदमी एक दुकान पर घेरा बना कर यही बात कर रहे थे।

“ये सब तुम को देख कर हँस क्यो रहे है”?

शिवा मन ही मन, कुछ नही चाचा 2,3 दिन तुम भी हँसोगे।

“क्या बोले?( कुछ दूर रुक कर)”

“चाचा तुम से बोला था ना कि कोई मुझे पसंद नही करता है।इसलिए सब हँसते है मेरी गरीबी पर।”

“लो बातो बातो में हम घर के पास आ गऐ”

(घर की ओर दिखाते हुए)

अब चाचा की तो आँखे जैसे खुली की खुली ही रह गयी ।

“इतना बड़ा बगला। बड़े मुनाफे का सौदा है”

“तो कब ले रहे हो?”( हाथ मालते मालते )

उस दिन श्याद घर पर कोई नही था,क्योंकि सभी किसी के शादी में गए थे। तो चाचा को भी लगा होगा कि शायद सच मे मकान मालिक बाहर गया है। 

अगली सुबह स्टेशन में

हेरा फेरी आज तुम्हरी ड्यूटी किसी और जगह नही बल्कि मेरे घर पर लगेगी। इसलिए तुम दोनों को मेरे घर जाना होगा।

“बोटी क्या सर इतनी सुबह सुबह आप बोटी खाने की बात कर रहे है।”( कान खुजलाते हुए)।

गोले इंस्पेक्टर खूब तेज़ तेज़ रोने लगता है, और बोलता है“ किन पागलो से मेरा पाला पड़ गया है,किसी जन्म का बदला ले रहे हो”।

हेरा उनको देख कर धीरे से फेरी से पूछ बैठा।

“ये रो क्यो रहे है,कोई मर वर तो नही गया है”(फेरी के कान में धीरे से पूछता है)

“चुप हो जा मरवाएगा क्या”?।

गोले के घर पर

हेरा फेरी सुबह से ही घर पर तैनात हो गए । एक एक।कुर्सी लगा कर।

कुछ देर बाद चाचा मस्ती में आते है,फिर गेट पर खड़े हो कर हेरा फेरी को देखते है।

“क्या बात है? कौन हो और यहाँ मेरे घर पर क्या कर रहे हो?”।

हेरा फेरी एक दूसरे को दखते है। कुछ देर तो वैसे ही उसकी शक्ल देखते रहते है। फिर खूब तेज़ हँसते है।

“क्यो हँस रहे हो”?

फेरी“ तुम को पता है,ये किसका मकान है”?

किसका?

“इंस्पेक्टर गोले सर का” अगर उनको जरा सा भी पता चला कि तुम उनके मकान पर कब्जा करने आये हो तो फिर लग जायेगी तुम्हरि”।

अब तो चाचा माथा पकड़ कर बैठ जाते है।और खूब रोने लगता है।

“मैं लूट गयामैं बरबाद हो गया”।

झुक गया कौन झुक गया? ( हेरा को कम सुनाई की वजह से)

तभी कुछ देर में गोले सर आते है। और उनके घर की भीड़ देख कर वो चौक जाते है। जल्दी जल्दी घर की तरफ बढ़ते है।

“क्यो भीड़ लगाए हो सब के सब”? ( इधर उधर देख कर)

“ये नीचे कौन सो रहा है?”

कौन बो रहा है (सर के कान में धीरे से बोलता है)

इतने में गोले सर एक जोर दार थप्पड़ चिपका देते है।

फिर उसको जागा कर गोले पूछता है।

चाचा उसको एक एक बात बताने लगा।कैसे क्या हुआ था।अभी भी किसी को कुछ नही पता कि ये कौन किया ।

“उसका नाम क्या है”।

एक साथ सभी आदमी बोलने लगे

“शिवा”

खूब तेज़ चिल्लाते हुए गोले शिवा बोलता है।

“उस हरामखोर ने मेरा भी घर फर्जी में बेच दिया”।

कहाँ मिलेगा वो?

“सर मेरे पैसे”

गोले इतने गुस्से में था कि उस चाचा को खूब तेज़ थप्पड़ रखते हुए।

“ये ले बाकी पैसे कुछ दिन बाद ले लेना”।

तभी अचानक एक फ़ोन गोले को आता है। 

“क्यो सर कैसी रही मज़ा आया ।”

“मैं तुमको किसी भी हाल में नही छोडूंगा”।( गुस्से में )

“पकड़ के तो देखो”।

“आज तो मैंने बस आपका मकान बेचा है”। कही ऐसा ना हो कल आपका नीचे का ( हँसने लगा)

अचानक गोले अपने नीचे हाथ लगता है। 

“एक बार तो मिल जाओ, फिर देखो कैसे कैसे पढ़ाई तुम को पड़ता हूँ।“

“मुझे क्या पता पढ़ाई वडाई दुनिया एक और एक दो जानती है

लेकिन मुझे तो बस एक और एक ग्यारह ही पता है”।

फिर मिलते हैं। (और हँसते हँसते फ़ोन कट कर देता है।)


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