STORYMIRROR

Anju Kharbanda

Inspirational

3  

Anju Kharbanda

Inspirational

एक और एक ग्यारह

एक और एक ग्यारह

2 mins
187

"उफ्फ परेशान हो गई हूँ रोज रोज की चिक चिक से !" ऑफिस पहुंचते ही अपना बैग चेअर पर पटकती हुई स्वीटी गुस्से से भन्नाती हुई बोली। "क्या हुआ!" शीशे में अपनी लिपस्टिक ठीक करते हुए सोनम ने लापरवाही से पूछा। "कुछ नया नहीं! रोज का वही रोना !" धम्म से पसर गई स्वीटी साथ वाली चेअर पर।

"तुम छोड़ क्यूं नहीं देती निलेश को!" सोनम ने उसकी आँखो में झांकते हुए पूछा। "सच में अब तो ऐसा ही जी करता है!" कहते हुए आँखे भर आई। "मुझे देख ! आजाद पंछी की तरह रहती हूँ न चिक चिक न पिक पिक !"

तिरछी मुस्कान के साथ सोनम ने कहा तो स्वीटी के मुँह से यकायक निकला- "हाँ! सही कहा तुमने, आज ही बात करती हूँ घर जाकर !" घर पहुंचते ही स्वीटी निलेश पर बिफर पड़ी। थोड़ा सुबह की चिक चिक का गुस्सा था तो थोड़ा सोनम द्वारा भड़काए जाने का। निलेश ने उसे प्यार से पास बिठाया और पूछा-

"तुम आजकल बात बात में इतनी हाईपर क्यूं हो जाती हो। मुझे पता है घर और बाहर सब संभालना आसान नही होता, मुझसे जितना हो पाता है उतनी मदद कर देता हूँ। स्वीटी ! महानगरों में रहना आसान नहीं होता, घर को सुचारु रूप से चलाने के लिये मियाँ बीवी दोनों को नौकरी करनी ही पड़ती है। फिर नौकरी का डिसीजन तो तुम्हारा खुद का ही था ताकि हम बच्चों को अच्छी जिन्दगी दे सके और अपने बुढ़ापे को भी सुरक्षित कर सके।"

स्वीटी फूट फूट कर रो पड़ी और सारा क्षोभ, दर्द आँसुओं के सैलाब के साथ बह गया। अब वह खुद को हल्का महसूस कर रही थी। उसने भर्राए गले से कहा- "हाँ निलेश! तुम सही कहते हो पर पता नहीं कभी कभी मुझे क्या हो जाता है। शायद थकावट की वजह से थोड़ी चिड़चिड़ी सी हो जाती हूँ और सारा गुस्सा ..... !"

"कोई बात नहीं! आज से काम में मदद में साथ साथ तुम्हारा सिर भी दबा दिया करूँगा !"

निलेश हँसते हुए बोला तो उसकी इस अदा पर स्वीटी भी हँस दी - "हाँ हाँ और गला भी !" "बस तुम यूँ ही हँसती रहा करो। हम एक और एक ग्यारह बनेंगे तभी तो अपने बच्चों के सामने भी सही मिसाल पेश कर पाएंगे।"

निलेश ने उसका हाथ थामते हुए कहा तो स्वीटी ने भी कसकर उसका हाथ पकड़ लिया अपना सिर निलेश के मजबूत कंधों पर टिका दिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational