एक अंतहीन पवित्र रिश्ता
एक अंतहीन पवित्र रिश्ता


अचानक अपने फोन पर एक मैसेज देख कर उर्वी चौक सी गई। कुछ समझ ही नहीं पा रही थी की क्या जवाब दे। मैसेज जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए था सो जवाब में थैंक यू लिख दिया उर्वी ने।लेकिन दो मिनट में फिर से मैसेज आया कि "चौंक गई?" उर्वी ने जवाब में लिखा "जी मैं चौंक गई क्योंकि मुझे आशा नहीं थी की आपसे इतने सालों बाद बात होगी।" उर्वी काफी देर तक सोचती रही। एक याद जो पुरानी हो चुकी थी, ताज़ा हो रही थी। क्योंकि एक वक्त था जब दोनों का रिश्ता जोड़ने के बारे में विचार किया गया था। लेकिन ऐसा होना संभव नहीं था।
ये उन दोनों की समझदारी थी कि दोनों ने अपने मन की बात मन में ही रहने दी। यहाँ तक की एकदूसरे को भी नहीं बताई।
माता-पिता अपनी संतान के निर्विघ्न जीवन की कामना करते हुए ही अपने बच्चों का रिश्ता जोड़ते है। वो कहते हैं ना कि जोड़ियां ऊपर वाला बनाता हैं और ऊपरवाला दोनों की जोड़ी किसी और के साथ बना चुका था।दोनों ने विधि के इस विधान को सम्मान के साथ स्वीकार किया।और सबसे अच्छा जीवनसाथी पाया।
लेकिन आज इतने सालों बाद अचानक एक मैसेज देखा तो आश्चर्य होना स्वाभाविक था। बात यहीं थमी नहीं अब रोज़ दोनों की बात होने लगी थी। इसी दौरान उन्हें पता चला की दोनों के विचार और पसंद कितनी मिलती जुलती है। लेकिन एक बात थी जो अलग थी। वो थी एक अलग एहसास और अलग भाव। ये कहने को तो सिर्फ एक अंतर था लेकिन बहुत लम्बा था जो पार नहीं किया जा सकता।
उस व्यक्ति का उर्वी के लिए प्रेम सच्चा था और यही वजह थी की उसने सालों तक एक हां के लिए इंतज़ार किया और अभी भी वो इंतज़ार कायम है लेकिन उर्वी के लिए अब ये संभव नहीं था। जो बात कहने की हिम्मत उसने शादी से पहले नहीं की थी वो शादी के इतने सालों बाद? असंभव।
इसके पीछे एक कारण ये भी था की उर्वी का जीवन अब सिर्फ उसके जीवनसाथी के इर्द-गिर्द घूम रहा था। और उसका मानना ये था की अगर आप कोई बात अपने जीवनसाथी से खुल कर नहीं कह पा रहे हो तो कही कुछ गलत तो है। खास कर तब उसका प्रेम गहरा हो। और अगर सच में कुछ गलत है तो चुप रहना बेहतर है। इसीलिए उर्वी के लिए ये बात कोई मायने नहीं रखती थी की उसके खुद के दिल में क्या है।
उर्वी को इस बात का पुरा विश्वास था की जो व्यक्ति इतने सालों से उससे बात कर रहा है और अपने दिल की बात बता कर उर्वी के दिल की बात जानने की कोशिश में लगा है, कई बार अपना काम भूल कर और यहाँ तक की छुट्टी के दिन भी सिर्फ कुछ देर ही सही लेकिन उर्वी से बात करने के लिए कही से भी समय ढूंढ रहा हो उस व्यक्ति का प्रेम कभी झूठा हो ही नहीं सकता। लेकिन अब सब कुछ बदल चूका था।इंसान जो चाहे वो हर बार होना संभव नहीं होता।
शायद ये एक अंतहीन रिश्ता है क्यूंकि अभी भी दोनों अपनी सोच और ज़िद पर कायम है और शायद रहेंगे। और ये अनोखा रिश्ता शायद तब तक चलेगा जब तक दोनों की सांसे चलेंगी। फिर चाहे बात हो या ना हो दिल तो है।
अजीब बात है एक प्रेम ढूंढ रहा है तो दूसरा दोस्त और यही कारण है कि ये रिश्ता कुछ अलग है। लेकिन उतना ही सच्चा और पवित्र है जितना भगवान।